गोपाल प्रसाद व्यास
गोपाल प्रसाद व्यास
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पूरा नाम | गोपाल प्रसाद व्यास |
जन्म | 13 फ़रवरी, 1915 |
जन्म भूमि | गोवर्धन, मथुरा |
मृत्यु | 28 मई, 2005 |
मृत्यु स्थान | नई दिल्ली |
अभिभावक | ब्रजकिशोर शास्त्री, चमेली देवी |
पति/पत्नी | अशर्फी देवी |
संतान | पुत्र- जगदीश, गोविन्द, ब्रजमोहन; पुत्रियाँ- पुष्पा उपाध्याय, मधु शर्मा, डॉ. रत्ना कौशिक |
कर्म भूमि | भारत |
कर्म-क्षेत्र | काव्य, साहित्य, लेखन |
भाषा | ब्रजभाषा |
प्रसिद्धि | कवि, लेखक, व्यंग्यकार |
विशेष योगदान | गोपाल प्रसाद व्यास हिन्दी में व्यंग्य-विनोद की नई धारा के जनक माने जाते हैं। |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | गोपाल जी हास्य रस में पत्नीवाद के प्रवर्तक कहे जाते हैं। वे सामाजिक, साहित्यिक, राजनीतिक व्यंग्य-विनोद के प्रतिष्ठा प्राप्त कवि एवं लेखक थे |
इन्हें भी देखें | कवि सूची, साहित्यकार सूची |
पंडित गोपाल प्रसाद व्यास (अंग्रेज़ी: Gopal Prasad Vyas; जन्म- 13 फरवरी, 1915, गोवर्धन, मथुरा; मृत्यु- 28 मई, 2005, नई दिल्ली) भारत के प्रसिद्ध कवियों, लेखकों और साहित्यकारों में से एक थे। वे ब्रजभाषा के कवि, समीक्षक, व्याकरण, साहित्य-शास्त्र, रस-रीति, अलंकार, नायिका-भेद और पिंगल के मर्मज्ञ माने जाते थे। पंडित जी हिन्दी में व्यंग्य-विनोद की नई धारा के जनक थे। गोपाल प्रसाद व्यास हास्य रस में पत्नीवाद के प्रवर्तक माने जाते थे। वे सामाजिक, साहित्यिक, राजनीतिक व्यंग्य-विनोद के प्रतिष्ठा प्राप्त कवि एवं लेखक थे और 'हास्यरसावतार' के नाम से प्रसिद्ध थे।
जन्म तथा परिवार
गोपाल प्रसाद व्यास का जन्म सूरदास की निर्वाणस्थली पारसौली (गाँव- महमदपुर, गोवर्धन कस्बे के निकट, मथुरा ज़िला) उत्तर प्रदेश में हुआ था। जन्मपत्री के अनुसार इनका जन्म माघ शुक्ल 10, संवत 1972 विक्रमी को हुआ था। किंतु स्कूल के प्रमाण पत्र के अनुसार इनकी जन्म तिथि 13 फरवरी, 1915 ई. है। पंडित गोपाल प्रसाद व्यास के पिता का नाम स्व. ब्रजकिशोर शास्त्री और माता का नाम स्व. चमेली देवी था। इनके तीन पुत्र- स्व.जगदीश, गोविन्द, ब्रजमोहन तथा तीन पुत्रियाँ- पुष्पा उपाध्याय, मधु शर्मा और डॉ. रत्ना कौशिक थी।
शिक्षा
पंडित गोपाल प्रसाद व्यास की प्रारंभिक शिक्षा पहले पारसौली के निकट भवनपुरा में हुई। उसके बाद उन्होंने अथ से इति तक मथुरा में केवल कक्षा सात तक ही शिक्षा प्राप्त की। 'स्वतंत्रता संग्राम' के कारण उसकी भी परीक्षा नहीं दे सके और स्कूली शिक्षा समाप्त हो गई। गोपाल प्रसाद व्यास ने स्व. नवनीत चतुर्वेदी से पिंगल पढ़ा था। अलंकार, रस-सिद्धांत सेठ कन्हैयालाल पोद्दार से पढ़े। नायिका भेद का ज्ञान सैंया चाचा से और पुरातत्त्व, मूर्तिकला, चित्रकला आदि का डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल से ज्ञान प्राप्त किया। विशारद और साहित्यरत्न का अध्ययन तथा हिन्दी के नवोन्मेष का पाठ डॉ. सत्येन्द्र से पढ़ा।
विवाह
सन 1931 में हिन्डौन, राजस्थान निवासी प्रताप जी की पौत्री श्रीमती अशर्फी देवी के साथ गोपाल प्रसाद व्यास का विवाह हुआ था।
कार्य-क्षेत्र
पंडित गोपाल प्रसाद व्यास का प्रथम कार्य-क्षेत्र आगरा में रहा। तत्पश्चात् सन 1945 से मृत्युपर्यंत तक वे दिल्ली में रहे।
योगदान
पंडित गोपाल प्रसाद व्यास ब्रजभाषा के कवि, समीक्षक, व्याकरण, साहित्य-शास्त्र, रस-रीति, अलंकार, नायिका-भेद और पिंगल के मर्मज्ञ के रूप में विख्याती प्राप्त थे। पंडित जी हिन्दी में व्यंग्य-विनोद की नई धारा के जनक माने जाते हैं। पंडित गोपाल प्रसाद व्यास हास्य रस में पत्नीवाद के प्रवर्तक कहे जाते हैं। वे सामाजिक, साहित्यिक, राजनीतिक व्यंग्य-विनोद के प्रतिष्ठा प्राप्त कवि एवं लेखक थे और 'हास्यरसावतार' के नाम से प्रसिद्ध थे। उन्होंने अपनी विद्वत्ता से हिन्दी को समृद्ध किया था।
पत्रकारिता
'साहित्य संदेश' आगरा, 'दैनिक हिन्दुस्तान' दिल्ली, 'राजस्थान पत्रिका' जयपुर, 'सन्मार्ग', कलकत्ता में संपादन तथा दैनिक 'विकासशील भारत' आगरा के प्रधान संपादक के तौर पर भी गोपाल प्रसाद व्यास ने बहुत कार्य किया। स्तंभ लेखन में सन 1937 से अंतिम समय तक निरंतर संलग्न रहे। ब्रज साहित्य मंडल, मथुरा के संस्थापक और मंत्री से लेकर अध्यक्ष तक का पद आपने सुशोभित किया था। 'दिल्ली हिन्दी साहित्य सम्मेलन' के संस्थापक और 35 वर्षों तक महामंत्री और अंत तक संरक्षक रहे। श्री पुरुषोत्तम हिन्दी भवन न्यास समिति के संस्थापक महामंत्री के पद पर अंत तक कार्य करते रहे। लाल क़िले के 'राष्ट्रीय कवि-सम्मेलन' और देश भर में होली के अवसर पर 'मूर्ख महासम्मेलनों' के जन्मदाता और संचालक का कार्य बखूबी समाप्त किया।
निधन
पंडित गोपाल प्रसाद व्यास का निधन शनिवार, 28 मई, 2005, प्रातः 6 बजे, अपने निवास बी-52, गुलमोहर पार्क, नई दिल्ली-110049 पर हुआ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
सम्बंधित कड़ियाँ
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