मुक्तिधाम मंदिर, नासिक: Difference between revisions

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मुक्तिधाम मंदिर में 12 ज्योतिर्लिंगों की प्रतिकृतियां हैं, जिन्हें मूल देवताओं के आयाम के अनुसार बनाया गया है और उन्हें उनके संबंधित तीर्थ स्थानों पर भेजकर पवित्र किया गया है। इसके अलावा मुक्तिधाम परिसर में भगवान कृष्ण को समर्पित एक मंदिर है। कृष्ण मंदिर की दीवारों में [[कृष्ण]] और [[महाभारत]] के जीवन के दृश्यों को चित्रित किया गया है। इन्हें एक प्रसिद्ध चित्रकार रघुबीर मुलगांवकर द्वारा चित्रित किया गया था, जिनकी सेवाओं को मुक्तिधाम के संस्थापक जयरामभाई चौहान द्वारा नियोजित किया गया था। इस मंदिर के लिए अद्वितीय भी दीवारों पर लिखे गए गीता के अठारह अध्याय हैं।
मुक्तिधाम मंदिर में 12 ज्योतिर्लिंगों की प्रतिकृतियां हैं, जिन्हें मूल देवताओं के आयाम के अनुसार बनाया गया है और उन्हें उनके संबंधित तीर्थ स्थानों पर भेजकर पवित्र किया गया है। इसके अलावा मुक्तिधाम परिसर में भगवान कृष्ण को समर्पित एक मंदिर है। कृष्ण मंदिर की दीवारों में [[कृष्ण]] और [[महाभारत]] के जीवन के दृश्यों को चित्रित किया गया है। इन्हें एक प्रसिद्ध चित्रकार रघुबीर मुलगांवकर द्वारा चित्रित किया गया था, जिनकी सेवाओं को मुक्तिधाम के संस्थापक जयरामभाई चौहान द्वारा नियोजित किया गया था। इस मंदिर के लिए अद्वितीय भी दीवारों पर लिखे गए गीता के अठारह अध्याय हैं।


मंदिर को [[राजस्‍थान]] में मकराना से और राजस्‍थानी मूर्तिकारों द्वारा संगमरमर से बनाया गया है। श्रीकृष्ण के मंदिर, सभी बारह ज्योतिर्लिंगों की प्रतिकृतियों के अलावा, सभी प्रमुख हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां भी हैं, जैसे- [[विष्णु]], [[लक्ष्मी]], [[राम]], [[लक्ष्मण]], [[सीता]], [[हनुमान]], [[दुर्गा]], [[गणेश]]।
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मुक्तिधाम मंदिर (अंग्रेज़ी: Muktidham Temple) ज़िला नासिक, महाराष्ट्र में स्थित है। यह मंदिर संगमरमर से निर्मित है जिसमें विभिन्न हिन्दू देवताओं को पूजा जाता है। यह एक प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल है, यहां अनेकों लोग आते रहते हैं। मन्दिर का निर्माण सन 1971 में किया गया था। कुंभ मेले के दौरान हजारों हिंदू भक्त मुक्तिधाम मंदिर जाते हैं।

निर्माण

मुक्तिधाम मंदिर विभिन्न हिंदू देवताओं का सम्मान करने वाला एक संगमरमर का मंदिर परिसर है। यह भारत में महाराष्ट्र राज्य में नासिक शहर के उपनगर नासिक रोड में स्थित लोकप्रिय पर्यटक आकर्षण है। यह एक ट्रस्ट के माध्यम से निजी तौर पर संचालित होता है और स्थानीय उद्योगपति जे. डी. चौहान-बाय्टको द्वारा एक उदार दान के माध्यम से बनाया गया था। मंदिर की स्थापना वर्ष 1971 में हुई थी। पवित्र मंदिर की वास्तुकला अलग और अपरंपरागत है। इसकी दीवारों पर भगवद गीता के 18 अध्याय है। यह मंदिर भारत में बारह ज्योतिर्लिंगों की सटीक प्रतिलिपि है।

दृश्यचित्र

मुक्तिधाम मंदिर में 12 ज्योतिर्लिंगों की प्रतिकृतियां हैं, जिन्हें मूल देवताओं के आयाम के अनुसार बनाया गया है और उन्हें उनके संबंधित तीर्थ स्थानों पर भेजकर पवित्र किया गया है। इसके अलावा मुक्तिधाम परिसर में भगवान कृष्ण को समर्पित एक मंदिर है। कृष्ण मंदिर की दीवारों में कृष्ण और महाभारत के जीवन के दृश्यों को चित्रित किया गया है। इन्हें एक प्रसिद्ध चित्रकार रघुबीर मुलगांवकर द्वारा चित्रित किया गया था, जिनकी सेवाओं को मुक्तिधाम के संस्थापक जयरामभाई चौहान द्वारा नियोजित किया गया था। इस मंदिर के लिए अद्वितीय भी दीवारों पर लिखे गए गीता के अठारह अध्याय हैं।

मंदिर को राजस्थान में मकराना से और राजस्‍थानी मूर्तिकारों द्वारा संगमरमर से बनाया गया है। श्रीकृष्ण के मंदिर, सभी बारह ज्योतिर्लिंगों की प्रतिकृतियों के अलावा, सभी प्रमुख हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां भी हैं, जैसे- विष्णु, लक्ष्मी, राम, लक्ष्मण, सीता, हनुमान, दुर्गा, गणेश

समय

सुबह 6 से 7 बजे के दौरान मंदिर खुला रहता है। पर्यटक सार्वजनिक छुट्टियों पर भी इस स्थान पर जा सकते हैं। मुक्तिधाम मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर-मार्च का है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख