मटिल्डा (शुभंकर): Difference between revisions

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'''मटिल्डा (शुभंकर)''' {[[अंग्रेज़ी]]: ''Matilda (mascot)''} [[ऑस्ट्रेलिया]] के ब्रिस्बेन में आयोजित सन [[1982]] के [[राष्ट्रमंडल खेल|राष्ट्रमंडल खेलों]] का [[शुभंकर]] था। यह फोर्कलिफ्ट के ऊपर बने [[कंगारू]] का एक मॉडल था। 13 मीटर से अधिक लंबा और छह टन वजन का मटिल्डा अपना सिर घुमा सकता था। इसके कान झूम सकते थे और आंखें झपक सकती थीं। इसकी थैली एक दरवाजे के रूप में दोगुनी थी।
'''मटिल्डा (शुभंकर)''' {[[अंग्रेज़ी]]: ''Matilda (mascot)''} [[ऑस्ट्रेलिया]] के ब्रिस्बेन में आयोजित सन [[1982]] के [[राष्ट्रमंडल खेल|राष्ट्रमंडल खेलों]] का [[शुभंकर]] था। यह फोर्कलिफ्ट के ऊपर बने [[कंगारू]] का एक मॉडल था। 13 मीटर से अधिक लंबा और छह टन वजन का मटिल्डा अपना सिर घुमा सकता था। इसके कान झूम सकते थे और आंखें झपक सकती थीं। इसकी थैली एक दरवाजे के रूप में दोगुनी थी।



Revision as of 09:52, 14 September 2022

[[चित्र:Matilda-Mascot.jpg|thumb|250px|शुभंकर मटिल्डा, राष्ट्रमंडल खेल 1982]] मटिल्डा (शुभंकर) {अंग्रेज़ी: Matilda (mascot)} ऑस्ट्रेलिया के ब्रिस्बेन में आयोजित सन 1982 के राष्ट्रमंडल खेलों का शुभंकर था। यह फोर्कलिफ्ट के ऊपर बने कंगारू का एक मॉडल था। 13 मीटर से अधिक लंबा और छह टन वजन का मटिल्डा अपना सिर घुमा सकता था। इसके कान झूम सकते थे और आंखें झपक सकती थीं। इसकी थैली एक दरवाजे के रूप में दोगुनी थी।

  • नन्हा सा हाथी 'अप्पू' जहां दिल्ली में हुए 1982 के एशियाई खेलों के दौरान भारतीयों के बीच लोकप्रियता बंटोर रहा था, वहीं ब्रिसबेन में एक खूबसूरत कंगारू 'मटिल्डा' का चर्चा सभी की ज़ुबां पर था। मटिल्डा 1982 के राष्ट्रमंडल खेलों का शुभंकर था।[1]
  • ब्रिसबेन में 30 सितंबर से 9 अक्टूबर के बीच राष्ट्रमंडल खेल हुए थे जबकि 19 नवंबर से 4 दिसंबर के दरमियान दिल्ली में दूसरी बार एशियाई खेलों का आयोजन हुआ था। पूरे भारत पर जहां 'कुट्टिनारायण' उर्फ 'अप्पू' का जादू सिर चढ़कर बोल रहा था, वहीं ऑस्ट्रेलिया में मटिल्डा की लोकप्रियता भी कुछ कम नहीं थी।
  • मटिल्डा वास्तव में एक कार्टून कंगारू था और स्टेडियम के भीतर तथा दर्शकों के बीच इस चलते फिरते रोबोट ने काफी मशहूरी हासिल की थी। 13 मीटर ऊँचे इस कंगारू की यादें आज भी उन लोगों के ज़ेहन में ताज़ा हैं जो 1982 के राष्ट्रमंडल खेलों के साक्षी रहे।
  • बीजिंग ओलंपिक, 2008 से पहले जहां तिब्बतियों के विरोध प्रदर्शन ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा था, वहीं ऑस्ट्रेलिया में आदिवासियों ने 1982 राष्ट्रमंडल खेलों को अपने अधिकारों की लड़ाई का मंच बनाया। बड़े पैमाने पर हुए इस विरोध प्रदर्शन में भले ही कई गिरफ्तारियां हुईं, लेकिन इसने अंतरराष्ट्रीय मीडिया का ध्यान खींचने में कामयाबी ज़रूर हासिल की।
  • 12वें राष्ट्रमंडल खेलों की मेज़बानी ब्रिसबेन को तब मिली, जब लागोस (नाइजीरिया), कुआलालम्पुर (मलेशिया) और बर्मिंघम (इंग्लैंड) ने नाम वापिस ले लिया था। मांट्रियल में 1976 में हुए ओलंपिक खेलों के बाद मेज़बान का फैसला किया गया था।
  • अपनी सरज़मीं पर हुए इन खेलों में ऑस्ट्रेलिया ने 39 स्वर्ण पदक जीतकर बाजी भले ही मार ली हो, लेकिन इंग्लैंड ने उसे कांटे की टक्कर दी। ऑस्ट्रेलिया ने 39 स्वर्ण, 39 रजत और 29 पदक जीतकर पहला स्थान हासिल किया था जबकि इंग्लैंड 38-38 स्वर्ण और रजत और 32 कांस्य समेत 108 पदक लेकर दूसरे स्थान पर रहा। कनाडा के नाम 82 पदक थे, जिनमें 26 स्वर्ण शामिल थे। स्कॉटलैंड और न्यूज़ीलैंड को 26 पदक मिले। भारत 16 पदक लेकर छठे स्थान पर रहा था। इनमें पांच स्वर्ण, आठ रजत और तीन कांसे के पदक थे।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारत में अप्पू और ऑस्ट्रेलिया में थे मटिल्डा के चर्चे (हिंदी) livehindustan.com। अभिगमन तिथि: 14 सितंबर, 2021।

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