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*कोलकाता शहर, [[पश्चिम बंगाल]] राज्य की राजधानी है और ब्रिटिशकालीन [[भारत]] (1772-1912) की राजधानी था। | *कोलकाता शहर, [[पश्चिम बंगाल]] राज्य की राजधानी है और ब्रिटिशकालीन [[भारत]] (1772-1912) की राजधानी था। | ||
*कोलकाता भारत के सबसे बड़े नगरों और प्रमुख बंदरगाहों में से एक हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार [[हिन्दू धर्म|हिंदुओं]] की देवी [[काली]] के नाम से 'कोलकाता' शहर के नाम की उत्पत्ति हुई है। | *कोलकाता भारत के सबसे बड़े नगरों और प्रमुख बंदरगाहों में से एक हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार [[हिन्दू धर्म|हिंदुओं]] की देवी [[काली]] के नाम से 'कोलकाता' शहर के नाम की उत्पत्ति हुई है। | ||
*19 वीं सदी के उत्तरार्द्ध और 20 वीं शताब्दी के प्रारंभ में प्रख्यात [[बांग्ला भाषा|बांग्ला]] साहित्यकार बंकिमचंद्र चैटर्जी, जिनका लिखा 'आनंदमठ' का गीत '[[राष्ट्रीय गीत|वन्दे मातरम्]]' आज भारत का [[राष्ट्रीय गीत|राष्ट्र गीत]] है। | *19 वीं सदी के उत्तरार्द्ध और 20 वीं शताब्दी के प्रारंभ में प्रख्यात [[बांग्ला भाषा|बांग्ला]] साहित्यकार बंकिमचंद्र चैटर्जी, जिनका लिखा 'आनंदमठ' का गीत '[[राष्ट्रीय गीत|वन्दे मातरम्]]' आज भारत का [[राष्ट्रीय गीत|राष्ट्र गीत]] है। | ||
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एक व्यक्तित्वright|90px|link=राहुल सांकृत्यायन|border महापण्डित राहुल सांकृत्यायन को हिन्दी यात्रा साहित्य का जनक माना जाता है। वे एक प्रतिष्ठित बहुभाषाविद थे और 20वीं सदी के पूर्वार्द्ध में उन्होंने यात्रा वृतांत तथा विश्व-दर्शन के क्षेत्र में साहित्यिक योगदान किए। बौद्ध धर्म पर उनका शोध हिन्दी साहित्य में युगान्तरकारी माना जाता है, जिसके लिए उन्होंने तिब्बत से लेकर श्रीलंका तक भ्रमण किया था। बौद्ध धर्म की ओर जब झुकाव हुआ तो पाली, प्राकृत, अपभ्रंश, तिब्बती, चीनी, जापानी, एवं सिंहली भाषाओं की जानकारी लेते हुए सम्पूर्ण बौद्ध ग्रन्थों का मनन किया और सर्वश्रेष्ठ उपाधि 'त्रिपिटिका चार्य' की पदवी पायी। साम्यवाद के क्रोड़ में जब राहुल जी गये तो कार्ल मार्क्स, लेनिन तथा स्तालिन के दर्शन से पूर्ण परिचय हुआ। प्रकारान्तर से राहुल जी इतिहास, पुरातत्त्व, स्थापत्य, भाषाशास्त्र एवं राजनीति शास्त्र के अच्छे ज्ञाता थे। ... और पढ़ें
एक आलेखright|150px|link=संसद भवन|border संसद भवन नई दिल्ली में स्थित सर्वाधिक भव्य भवनों में से एक है, जहाँ विश्व में किसी भी देश में मौजूद वास्तुकला के उत्कृष्ट नमूनों की उज्ज्वल छवि मिलती है। राजधानी में आने वाले भ्रमणार्थी इस भवन को देखने ज़रूर आते हैं जैसा कि संसद के दोनों सभाएं लोक सभा और राज्य सभा इसी भवन के अहाते में स्थित हैं। संसद भवन संपदा के अंतर्गत संसद भवन, स्वागत कार्यालय भवन, संसदीय ज्ञानपीठ (संसद ग्रंथालय भवन) संसदीय सौध और इसके आस-पास के विस्तृत लॉन, जहां फ़व्वारे वाले तालाब हैं, शामिल हैं। संसद भवन की अभिकल्पना दो मशहूर वास्तुकारों - सर एडविन लुटय़न्स और सर हर्बर्ट बेकर ने तैयार की थी जो नई दिल्ली की आयोजना और निर्माण के लिए उत्तरदायी थे। संसद भवन की आधारशिला 12 फ़रवरी, 1921 को महामहिम द डय़ूक ऑफ कनाट ने रखी थी । इस भवन के निर्माण में छह वर्ष लगे और इसका उद्घाटन समारोह भारत के तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड इर्विन ने 18 जनवरी, 1927 को आयोजित किया। इसके निर्माण पर 83 लाख रुपये की लागत आई। ... और पढ़ें
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