गाजर: Difference between revisions
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*गाजर रक्त को शुद्ध करने वाली होती है। 10-15 दिन गाजर का रस पीने से रक्तविकार, गांठ, सूजन और त्वचा के रोगों में लाभ मिलता है इसमें लौहतत्व भी अत्यघिक मात्रा में पाया जाता है। गाजर खूब चबा-चबा कर खाने से दाँत भी मजबूत, स्वच्छ और चमकीले होते हैं। मसूड़े मजबूत होते हैं। | *गाजर रक्त को शुद्ध करने वाली होती है। 10-15 दिन गाजर का रस पीने से रक्तविकार, गांठ, सूजन और त्वचा के रोगों में लाभ मिलता है इसमें लौहतत्व भी अत्यघिक मात्रा में पाया जाता है। गाजर खूब चबा-चबा कर खाने से दाँत भी मजबूत, स्वच्छ और चमकीले होते हैं। मसूड़े मजबूत होते हैं। | ||
*रोजाना गाजर का रस पीने से दिमागी कमज़ोरी दूर होती है। | *रोजाना गाजर का रस पीने से दिमागी कमज़ोरी दूर होती है। | ||
*गाजर को कद्दूकस करके नमक मिलाकर खाने से खाज-खुजली में | *गाजर को कद्दूकस करके नमक मिलाकर खाने से खाज-खुजली में फ़ायदा होता है। | ||
*गाजर के रस में नमक, घनिया पत्ती, जीरा, काली मिर्च, नीबू का रस डालकर पीने से पाचन संबंघी गड़बड़ी दूर होती है। | *गाजर के रस में नमक, घनिया पत्ती, जीरा, काली मिर्च, नीबू का रस डालकर पीने से पाचन संबंघी गड़बड़ी दूर होती है। | ||
*ह्दय की कमज़ोरी अथवा घड़कनें बढ़ जाने पर गाजर को भूनकर खाने पर लाभ होता है। | *ह्दय की कमज़ोरी अथवा घड़कनें बढ़ जाने पर गाजर को भूनकर खाने पर लाभ होता है। |
Revision as of 11:31, 30 November 2010
गाजर एक सब्ज़ी है। इसका वानस्पतिक नाम डाकस कैरोटा है। एशिया के लोगो ने सबसे पहले गाजर की खेती प्रारम्भ की और वहीं से यह विश्व के अन्य देशों में पहुँची। विद्वानों का मत है कि गाजर का मूल उत्पत्ति स्थल पंजाब व कश्मीर की पहाड़ियाँ हैं। जहाँ अब भी इसकी जंगली जातियाँ उगती हुई पायी जाती है इसका द्वितीय उत्पत्ति केन्द्र भूमध्य सागरीय क्षेत्र के आस-पास हो सकता है।[1]
गाजर को फल, सब्जी एवं सलाद के रूप में उपयोग किया जाता है। इसको संतुलित आहार भी माना जाता है। ये दो तरह की होती है। काली गाजर, दूसरी लाल गाजर दोनों ही स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होती है। काली गाजर का उपयोग कम होता है मगर ये गाजर हाजमे के लिए अधिक फायदेमंद होती है, पर लाल गाजर आमतौर पर अधिक प्रयोग में लायी जाती है। कच्ची गाजर का सेवन स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है।[2]
उपयोग
गाजर से सब्जी, अचार, मिठाइयाँ, हलवा, गाजर पाक तथा अन्य महत्त्वपूर्ण खाद्य पदार्थ तैयार किये जाते है। साथ ही यह दूध देने वाले पशुओं तथा घोड़ों का अच्छा आहार है। गाजर विटामिन 'ए' का अच्छा स्त्रोत मानी जाती है।[3]
लाभ
गाजर को उसके प्राकृतिक रूप यानी कच्चा खाना लाभदायक होता है। इसके भीतर का पीला भाग नहीं खाना चाहिए। क्योंकि वह अत्यधिक गरम होता है। इससे छाती में जलन होती है।
- गाजर ह्दय के लिए लाभकारी, रक्त को शुद्ध करने वाली, वातदोषनाशक, पुष्टिवर्द्धक तथा दिमाग और नस-नाडि़यों के लिए बलवर्घक, बवासीर, पेट के रोगों, सूजन, पथरी तथा दुर्बलता का नाश करने वाली है।
- गाजर के बीज गरम होते हैं। अत: गर्भवती महिलाओं को उनका प्रयोग नहीं करना चाहिए।
- कैल्शियम और केरोटीन की प्रचुर मात्रा होने के कारण छोटे बच्चों के लिए यह उत्तम आहार है। गाजर से आंतों के हानिकारक कीड़े नष्ट हो जाते हैं।
- इसमें विटामिन ए काफ़ी मात्रा में पाया जाता है। यह नेत्र रोगों में लाभदायक है।
- गाजर रक्त को शुद्ध करने वाली होती है। 10-15 दिन गाजर का रस पीने से रक्तविकार, गांठ, सूजन और त्वचा के रोगों में लाभ मिलता है इसमें लौहतत्व भी अत्यघिक मात्रा में पाया जाता है। गाजर खूब चबा-चबा कर खाने से दाँत भी मजबूत, स्वच्छ और चमकीले होते हैं। मसूड़े मजबूत होते हैं।
- रोजाना गाजर का रस पीने से दिमागी कमज़ोरी दूर होती है।
- गाजर को कद्दूकस करके नमक मिलाकर खाने से खाज-खुजली में फ़ायदा होता है।
- गाजर के रस में नमक, घनिया पत्ती, जीरा, काली मिर्च, नीबू का रस डालकर पीने से पाचन संबंघी गड़बड़ी दूर होती है।
- ह्दय की कमज़ोरी अथवा घड़कनें बढ़ जाने पर गाजर को भूनकर खाने पर लाभ होता है।
- गर्मी में गाजर का मुरब्बा दिमाग के लिए फायदेमंद होता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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