Category:जैन धर्म

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
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                                           (भजन )
                       दिगम्बर प्राकृतिक मुद्रा, विरागी की निशानी है ।
                       कमण्डलु पिच्छिधारी नग्न- मुनिवर की कहानी  है ।।टेक०।।
                        दिशाएँ ही बनी अंबर, न तन पर वस्त्र ये डालें ।
                        महाव्रत पाँच समिति और, गुप्ती तीन ये पालें ।।
                        त्रयोदश विधि चरित पालन, करें जिनवर की वाणी है ।।कमण्डलु --।।१।।
                         बिना बोले ही इनकी शान्त मुद्रा यह बताती है ।
                        मुक्ति कन्या वरण में यह, ही मुद्रा काम आती है ।।
                        मोक्ष पथ के पथिक जन को, यही वाणी सुनानी है ।।कमंडलु०।।२ ।।
                       यदि मुनिव्रत न पल सकता, तो श्रावक धर्म मत भूलो ।
                       देव-गुरु-शास्त्र की श्रद्धा, परम कर्तव्य मत भूलो ।।
                       बने मति " चन्दना" ऐसी, यही रृषियों की वाणी है ।।कमण्डलु ० ।।३ ।।

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