अश्वबोधतीर्थ
- भृगुकच्छ के निकट एक जैन तीर्थ जिसका उल्लेख विविधतीर्थ-कल्प में है।
- जिन सुव्रत अश्वबोधतीर्थ प्रतिष्ठानपुर से आए थे और इस स्थान के निकट वन में उन्होंने राजा जितशत्रु को उपदेश दिया था।
- जितशत्रु उस समय अश्वमेधयज्ञ करने जा रहे थे।
- जैन धर्म में दीक्षित होने के उपरांत उन्होंने यहाँ एक चैत्य बनवाया जो अश्वबोधतीर्थ कहलाया था।
- जैन ग्रंथ प्रभावकचरित में अश्वबोध मंदिर का इतिहास वर्णित है।
- इसमें इसका अशोक के पौत्र संप्रति द्वारा जीर्णोद्वार कराए जाने का उल्लेख है।
- 1184 ई. के लगभग रचे गए सोमप्रभासूरि के ग्रंथ कुमारपाल प्रतिबोध में भी इस तीर्थ में हेमचंद्रसूरि द्वारा प्राचीन मंदिर का पुनर्निर्माण करवाने का उल्लेख है।
- इस तीर्थ को शकुनिकाविहार भी कहते थे।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ऐतिहासिक स्थानावली | पृष्ठ संख्या= 51| विजयेन्द्र कुमार माथुर | वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार
बाहरी कड़ियाँ
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