आबनूस

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आबनूस - यह पौधा तिंदुक कुल एबीनेसी का सदस्य है। इसके अन्य नाम इस प्रकार हैं: तिंदुक स्फूर्जफ, कालस्कंध (संस्कृत), गाम, तेंदू (हिंदी)। यह समस्त भारतवर्ष में पाया जाता है। यह एक मध्यप्रमाण का वृक्ष है जो अनेक शाखाओं प्रशाखाओं से युक्त होता है तथा सघन, सदाहरित पत्तियों से आच्छादित होता है। तना कठोर तथा कृष्ण वर्ण का होता है। इसकी पत्तियाँ चिकनी, आयताकार पाँच से लेकर आठ इंच तक लंबी तथा डेढ़ दो इंच चौड़ी होती हैं। इसका पुष्प श्वेतवर्ण और सुगंधित होता है। फल गोल, कठोर तथा गुरचई रंग का होता है। पक जाने पर इसका रंग पीला और स्वाद मधुर हो जाता है। प्रत्येक फल में वृक्काकृति शरीफे के समान छह से लेकर आठ तक बीज होते हैं। फल में कषाय द्रव्य (टैनिन, पेक्टीन और ग्लूकोस) होता है। कच्चे फल, छाल ओर पुष्प में कषाय द्रव्य बहुत होता है। इसके अतिरिक्त इसमें ग्लूटौनिक अम्ल की भी 12.8% मात्रा होती है। 150px|left इसकी लकड़ी का उपयोग इमारती सामान आदि बनाने में किया जाता है। औषधि के रूप में इसकी छाल, फल, बीज तथा पुष्प का उपयोग किया जाता है। इसकी छाल का लेप फोड़ों पर किया जाता है तथा रक्त स्राव होने पर इसका चूर्ण छिड़कने से रक्त बंद हो जाता है। इसके क्वाथ का प्रयोग रक्तविकार तथा कफ-पित-जन्य रोगों में करते हैं। यह योनिवस्ति प्रदर, रक्तस्राव तथा गर्भाशय की श्लेषमकता के शोथ को दूर करने में भी उपयोगी है। इसकी छाल का क्वाथ प्रमेह, शीघ्रपतन, रक्तप्रदर तथा श्वेतप्रदर में भी दिया जाता है। इसके अतिरिक्त कुष्ठ, विषमज्वर, सर्पदंश और चमड़ा रंगने के काम में भी इसकी छाल का उपयोग किया जाता है।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 389 |

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