जीतल

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 09:36, 9 January 2020 by दिनेश (talk | contribs)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search

जीतल अथवा 'जित्तल' सल्तनत काल में प्रचलित चाँदी का सिक्का था। इल्तुतमिश पहला तुर्क सुल्तान था, जिसने शुद्ध अरबी सिक्के चलवाये। उसने सल्तनत कालीन दो महत्त्वपूर्ण सिक्के चाँदी का 'टका' (लगभग 175 ग्रेन) तथा तांबे का ‘जीतल’ चलवाया। इल्तुतमिश ने सिक्कों पर टकसाल के नाम अंकित करवाने की परम्परा को आरम्भ किया।

  • मुहम्मद बिन कासिम ने 712 ई. में सिंध को जीतते समय हिन्दुओं पर जज़िया लगाया था। फ़िरोज़शाह तुग़लक़ (1351-1388 ई.) ने 40, 42 और 10 टका जज़िया लगाया था। ब्राह्मणों को जज़िया नहीं देना पड़ता था, लेकिन उसने उन पर भी 10 टका 50 जीतल कर लगाया।
  • अलाउद्दीन ख़िलजी के समकालीन इतिहासकारों ने उसकी आर्थिक सुधार व्यवस्था के बारे में उल्लेख किया है। अलाउद्दीन ने एक अधिनियम द्वारा दैनिक उपयोग की वस्तुओं का मूल्य निश्चित कर दिया था। कुछ महत्त्वपूर्ण अनाजों का मूल्य इस प्रकार था- गेहूँ 7.5 जीतल प्रति मन, चावल 5 जीतल प्रति मन, जौ 4 जीतन प्रति मन, उड़द 5 जीतल प्रति मन, मक्खन या घी 1 जीतल प्रति 5/2 कि.ग्रा.। मूल्यों की स्थिरता अलाउद्दीन ख़िलजी की महत्त्वपूर्ण उपलब्धि थी।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः