पंजाब की अर्थव्यवस्था

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पंजाब की अर्थव्यवस्था में उत्पादन और वाणिज्यिक कृषि की प्रमुखता है और यहाँ विभिन्न लघु व मध्यम आकार के उद्योग हैं। भारत के मुख्य राज्यों में से पंजाब में प्रति व्यक्ति आय सबसे अधिक है। भारत के कुल क्षेत्रफल के मात्र 1.6 प्रतिशत भू-भाग वाला पंजाब लगभग भारत के कुल अन्न उत्पादन का 12 प्रतिशत हिस्सा पैदा करता है। यह केंद्रीय भंडार (उपयोग से अधिक अन्न की राष्ट्रीय भंडारण प्रणाली) के लगभग 40 प्रतिशत चावल और 60 प्रतिशत गेहूँ की आपूर्ति करता है।

कृषि

पंजाब में कृषि का जबरदस्त विकास मुख्यत: हरित क्रांति का परिणाम है, जिसने राज्य में आधुनिक कृषि प्रौद्योगिकी की शुरुआत की। अधिक पैदावार वाले गेहूँ और चावल के बीजों के आगमन साथ ही इन फसलों के उत्पादन में कई गुना वृद्धि हुई। गेहूँ और चावल की खेती लगभग तीन-चौथाई कृषि क्षेत्र में होती है। अन्य वाणिज्यिक फसलों में कपास, गन्ना, आलू, और तिलहन हैं। मक्का, मूंगफली, चना, बाजरा और कुछ दलहनों की खेती में पिछले कुछ वर्षों में कमी आई है। हालांकि गेहूँ व चावल की उपज अब भी काफ़ी अच्छी है, इसमें और वृद्धि नहीं हो रही है। चावल के लिए अधिक पानी की आवश्यकता होने के कारण भूमि के पोषक तत्त्व कम होते जा रहें। जिससे मिट्टी अनुपजाऊ हो रही है। परिणामस्वरूप उत्पादकता बनाए रखने के लिए अधिक उर्वरक का इस्तेमाल करना पड़ता है। मिट्टी की उर्वरता को फिर से प्राप्त करने के लिए और कृषि को लाभकारी उद्यम बनाने के लिए कृषि में विविधता लाने का प्रयास किया जा रहा है। बागबानी, फूलों की खेती, मुर्गीपालन और डेयरी उद्योगों का धीरे-धीरे विकास हो रहा है।

सिंचित प्रदेश

पंजाब का लगभग समूचा कृषि क्षेत्र सिंचित है और इस प्रकार यह देश का सर्वाधिक सिंचित प्रदेश है। सरकारी नहरें और नलकूप सिंचाई के प्रमुख साधन हैं। हिमाचल प्रदेश में स्थित भाखड़ा बांध परियोजना राज्य के सिंचाई का अधिकांश जल उपलब्ध कराती है। दक्षिण और दक्षिण-पश्चिम पंजाब में मुख्यत: नहरों के ज़रिये सिंचाई होती है, जबकि उत्तर और पूर्वोत्तर में नलकूपों (तीन-चौथाई से अधिक नलकूप बिजली द्वारा चालित) का व्यापक उपयोग होता है और दक्षिण-पश्चिम में फुहारों से सिंचाई भी प्रचलित है। लगभग 1970 में संपन्न हुई चकबंदी के कारण निजी नलकूप सिंचाई का तेज़ीसे विकास हुआ, साथ ही यंत्रों के इस्तेमाल समेत कृषि की कार्यकुशलता में भी वृद्धि हुई। आमतौर पर ज़्यादा खेतों वाले किसानों को हरित क्रांति की कार्यकुशलता में भी वृद्धि हुई। ज़्यादा खेतों वाले किसानों को हरित क्रांति से ज़्यादा लाभ हुआ, जिसमें राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में आय की विषमता बढ़ी। सूती,,ऊनी और रेशमी वस्त्र उद्योग, खाद्य उत्पाद , धातु उत्पादन, परिवहन उपकरण व पुर्जे, धातु व मिश्र धातु उद्योगों में सबसे ज़्यादा श्रमिक कार्यरत हैं।

उद्योग

महत्त्वपूर्ण उद्योगों में होजरी, साइकिल, सिलाई मशीन, खेल के समान, बिजली की मशीनें, उपकरण व पुर्जों का निर्माण शामिल है। जीवाश्म ईंधनों के अभाव में पंजाब के उद्योगों को ऊर्जा की कमी का सामना करना पड़ता है। राज्य के लगभग तीन-चौथाई घरों में बिजली का उपयोग होता है। नये बिजली घर और तापविद्युत परियोजनाएँ काम कर रही हैं लेकिन माँग आपूर्ति से कहीं अधिक है।

परिवहन

पंजाब में 48.000 किमी लंबी सड़कों का विशाल संजाल है। जिनमें से 80 प्रतिशत सड़कें पक्की हैं। सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि लगभग सभी गांव सड़कों से जुड़े हुए है। देश की रेल प्रणाली के एक हिस्से, उत्तरी रेलवे का कार्यकुशल व्यापक संजाल पंजाब में है। दिल्ली से चंडीगढ़ और अमृतसर, लुधियाना और भटिंडा नगरों के लिए भी नियमित हवाई सेवाएँ उपलब्ध हैं। रेल सेवा की तरह ही डाक व तार सेवा और रेडियों तथा टेलीविजन का प्रसारण केंद्र सरकार के नियंत्रण में है।


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