भूरी बाई

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 07:59, 31 March 2021 by रविन्द्र प्रसाद (talk | contribs)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search

thumb|250px|भूरी बाई भूरी बाई (अंग्रेज़ी: Bhuri Bai) भारतीय भील कलाकार हैं। वह भारत के सबसे बड़े आदिवासी समूह भीलों के समुदाय से हैं। वह अपनी चित्रकारी के लिए काग़ज़ और कैनवास का इस्तेमाल करने वाली प्रथम भील कलाकार हैं। भूरी बाई भोपाल में आदिवासी लोककला अकादमी में एक कलाकार के तौर पर काम करती हैं। उन्हें मध्य प्रदेश सरकार से सर्वोच्च पुरस्कार 'शिखर सम्मान' (1986-1987) प्राप्त हो चुका है। 1998 में उन्हें 'अहिल्या सम्मान' और अब 2021 में 'पद्मश्री' से विभूषित किया गया है।

परिचय

मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले के पिटोल गांव में जन्मी भूरी बाई आदिवासी समुदाय से आती हैं। वे बचपन से ही चित्रकारी करने की शौकीन थीं। खास बात यह है कि उन्हें हिंदी बोलनी भी ठीक से नहीं आती थी। वे केवल स्थानीय भीली बोली जानती थीं। लेकिन चित्रकारी का उनका शौक ही धीरे-धीरे उनकी पहचान बन गया। भूरी बाई ने कैनवास का इस्तेमाल कर आदिवासियों के जीवन से जुड़ी चित्रकारी करने की शुरुआत की और देखते ही देखते उनकी पहचान पूरे देश में हो गई।

भूरी बाई का बचपन बेहद गरीबी में बीता था। वह पहली आदिवासी महिला हैं, जिन्होंने गांव में घर की दीवारों पर पिथोरा पेंटिंग करने की शुरुआत की। बाद में उनकी पेटिंग की पहचान जिलेभर में होने लगी। इस दौरान वे जीवन का गुजर बसर करने के लिए राजधानी भोपाल में आकर मजदूरी करने लगीं। वे उस दौर में भोपाल में पेटिंग बनाने का काम करती थीं। बाद में संस्कृति विभाग की तरफ से उन्हें पेटिंग बनाने का काम दिया गया। जिसके बाद वे राजधानी भोपाल के 'भारत भवन' में पेटिंग करने लगीं।

सम्मान व पुरस्कार

बाद उन्हें 1986-87 में मध्‍य प्रदेश सरकार के सर्वोच्‍च पुरस्‍कार 'शिखर सम्‍मान' से सम्मानित किया गया। इसके अलावा 1998 प्रदेश सरकार ने उन्‍हें 'अहिल्‍या सम्‍मान' भी सम्मानित किया। 2021 में 'पद्मश्री' से भी विभूषित किया गया है।

विदेशों में पहचान

भूरी बाई की बनाई गई पेटिंग्स ने न केवल देश बल्कि विदेशों में भी अपनी पहचान बनाई। उनकी पेटिंग अमेरिका में लगी वर्कशॉप में भी लगाई गई। जहां उनकी पेटिंग खूब पसंद की गई। भूरी बाई आज चित्रकारी के क्षेत्र में एक बड़ा नाम बन चुका है। वे देश के अलग-अलग जिलों में आर्ट और पिथोरा आर्ट पर वर्कशॉप का आयोजन करवाती हैं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः