इंद्रकील हिमालय के उतर में एक छोटा सा पर्वत।
- इंद्रकील पर अर्जुन ने उग्र तपस्या की थी जिसके फलस्वरूप अर्जुन को इंद्र के दर्शन हुए थे।
'हिमवन्तमतिक्रम्य गंधमादनमेव च, अत्यक्रामत् स दुर्गाणि दिवारात्रमतिन्द्रत:। इंद्रकीलं समासाद्यततोऽतिष्ठद् धनंजय:'।[1]
- इंद्रकील के निकट ही शिव और अर्जुन का युद्ध हुआ था[2]।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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