तालीकोटा: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
गोविन्द राम (talk | contribs) No edit summary |
No edit summary |
||
(7 intermediate revisions by 5 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
तालीकोटा [[मैसूर]] ([[कर्नाटक]] राज्य) के समीप [[कृष्णा नदी]] के तट पर स्थित एक नगर है। यह [[इतिहास]] में इसलिये प्रसिद्ध हुआ, क्योंकि यहाँ 1565 ई. में हुए एक भीषण युद्ध ने एक बहुत ही सम्पन्न साम्राज्य को नेस्तनाबूद कर दिया, वह साम्राज्य था- [[विजयनगर साम्राज्य]] | '''तालीकोटा''' [[मैसूर]] ([[कर्नाटक]] राज्य) के समीप [[कृष्णा नदी]] के तट पर स्थित एक नगर है। यह [[इतिहास]] में इसलिये प्रसिद्ध हुआ, क्योंकि यहाँ 1565 ई. में हुए एक भीषण युद्ध ने एक बहुत ही सम्पन्न साम्राज्य को नेस्तनाबूद कर दिया, वह साम्राज्य था- [[विजयनगर साम्राज्य]]। | ||
==इतिहास== | ==इतिहास== | ||
रामराजा, जो विजयनगर की सेना का नेतृत्व कर रहा था तथा [[अहमदनगर]], [[बीजापुर]] और | रामराजा, जो विजयनगर की सेना का नेतृत्व कर रहा था तथा [[अहमदनगर]], [[बीजापुर]] और [[गोलकुंडा]] की मुस्लिम सेनाओं के बीच [[23 जनवरी]],1565 ई. को घमासान युद्ध हुआ। रामराजा परास्त होकर वीरगति को प्राप्त हुआ। यह पराजय मुस्लिम सेनाओं द्वारा शीघ्र ही होने वाले विनाश के ताण्डव की तुलना में कुछ भी न थी। वस्तुतः यह मात्र पराजय न थी बल्कि प्रलय थी। इस युद्ध में विजयनगर एवं दक्षिण की संयुक्त मुस्लिम सेना में, सैनिकों की संख्या कितनी-कितनी थी, यह साक्ष्यों के अभाव में विश्वसनीय रूप से नहीं कहा जा सकता है; किंतु यह निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि दक्षिण के मैदानों में, इससे पूर्व इतनी विशाल सेनाएँ समरभूमि में नहीं उतरी थीं। विजेताओं ने विजयनगर पहुँचकर, पाँच महीने तक वहाँ घेरा डालकर, इस ढंग से हत्याकाण्ड, लूट, विनाश एवं अत्याचार का सिलसिला चलाया कि विजयनगर, जिसकी सुन्दरता एवं समृद्धि की प्रशंसा सभी विदेशी यात्रियों एवं भारतीय इतिहासकारों ने की है, इस प्रकार नष्ट-भ्रष्ट हो गया कि उसका पुनर्निर्माण असम्भव हो गया। लाखों व्यक्ति मार डाले गये और असंख्य नर-नारी दासता की बेड़ियों में जकड़े गये। | ||
को घमासान युद्ध हुआ। रामराजा परास्त होकर वीरगति को प्राप्त हुआ। यह पराजय मुस्लिम सेनाओं द्वारा शीघ्र ही होने वाले विनाश के ताण्डव की तुलना में कुछ भी न थी। वस्तुतः यह मात्र पराजय न थी बल्कि प्रलय थी। इस युद्ध में विजयनगर एवं दक्षिण की संयुक्त मुस्लिम सेना में, सैनिकों की संख्या कितनी-कितनी थी, यह साक्ष्यों के अभाव में | <blockquote>संसार के इतिहास में, एक भव्य नगर का ऐसा विनाश इतने अकस्मात रूप से सम्भवत: कभी न हुआ। वह नगर जो एक दिन धन-सम्पन्न एवं व्यवसाय संलग्न जनता से भरा हुआ था, वैभव के बाहुल्य से पूर्ण था, वही पूरे दिन आक्रांत, घर्षित और ध्वस्त होकर वर्णनातीत बर्बर नर-संहार एवं पैशाचिक कृत्यों का क्रीड़ा-स्थल बना हुआ था।</blockquote> | ||
<blockquote>संसार के इतिहास में, एक भव्य नगर का ऐसा विनाश इतने अकस्मात रूप से | |||
{{लेख प्रगति | {{लेख प्रगति | ||
|आधार= | |आधार= | ||
Line 12: | Line 10: | ||
|पूर्णता= | |पूर्णता= | ||
|शोध= | |शोध= | ||
}} | }} | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> | ||
[[Category:कर्नाटक]][[Category:कर्नाटक के | ==संबंधित लेख== | ||
{{कर्नाटक के नगर}} | |||
{{कर्नाटक के पर्यटन स्थल}} | |||
[[Category:कर्नाटक]][[Category:कर्नाटक के नगर]] [[Category:भारत के नगर]] | |||
__INDEX__ | __INDEX__ |
Latest revision as of 11:58, 7 July 2012
तालीकोटा मैसूर (कर्नाटक राज्य) के समीप कृष्णा नदी के तट पर स्थित एक नगर है। यह इतिहास में इसलिये प्रसिद्ध हुआ, क्योंकि यहाँ 1565 ई. में हुए एक भीषण युद्ध ने एक बहुत ही सम्पन्न साम्राज्य को नेस्तनाबूद कर दिया, वह साम्राज्य था- विजयनगर साम्राज्य।
इतिहास
रामराजा, जो विजयनगर की सेना का नेतृत्व कर रहा था तथा अहमदनगर, बीजापुर और गोलकुंडा की मुस्लिम सेनाओं के बीच 23 जनवरी,1565 ई. को घमासान युद्ध हुआ। रामराजा परास्त होकर वीरगति को प्राप्त हुआ। यह पराजय मुस्लिम सेनाओं द्वारा शीघ्र ही होने वाले विनाश के ताण्डव की तुलना में कुछ भी न थी। वस्तुतः यह मात्र पराजय न थी बल्कि प्रलय थी। इस युद्ध में विजयनगर एवं दक्षिण की संयुक्त मुस्लिम सेना में, सैनिकों की संख्या कितनी-कितनी थी, यह साक्ष्यों के अभाव में विश्वसनीय रूप से नहीं कहा जा सकता है; किंतु यह निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि दक्षिण के मैदानों में, इससे पूर्व इतनी विशाल सेनाएँ समरभूमि में नहीं उतरी थीं। विजेताओं ने विजयनगर पहुँचकर, पाँच महीने तक वहाँ घेरा डालकर, इस ढंग से हत्याकाण्ड, लूट, विनाश एवं अत्याचार का सिलसिला चलाया कि विजयनगर, जिसकी सुन्दरता एवं समृद्धि की प्रशंसा सभी विदेशी यात्रियों एवं भारतीय इतिहासकारों ने की है, इस प्रकार नष्ट-भ्रष्ट हो गया कि उसका पुनर्निर्माण असम्भव हो गया। लाखों व्यक्ति मार डाले गये और असंख्य नर-नारी दासता की बेड़ियों में जकड़े गये।
संसार के इतिहास में, एक भव्य नगर का ऐसा विनाश इतने अकस्मात रूप से सम्भवत: कभी न हुआ। वह नगर जो एक दिन धन-सम्पन्न एवं व्यवसाय संलग्न जनता से भरा हुआ था, वैभव के बाहुल्य से पूर्ण था, वही पूरे दिन आक्रांत, घर्षित और ध्वस्त होकर वर्णनातीत बर्बर नर-संहार एवं पैशाचिक कृत्यों का क्रीड़ा-स्थल बना हुआ था।
|
|
|
|
|