मीठा रीठा साहिब: Difference between revisions
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[[सिक्ख|सिक्खों]] के दसवें गुरु [[गुरु गोविंद सिंह]] यहाँ आये थे एवं उन्होंने यहाँ पर रीठे के वृक्ष के नीचे विश्राम किया था। गुरु के प्रताप से उनके शिष्य ने जिस वृक्ष से अपनी क्षुधा शान्त करने हेतु रीठे तोडे थे, उस वृक्ष के रीठे मीठे हो गये थे। इस स्थल को मीठा रीठा साहिब भी कहा जाता है। यहाँ पर सिक्खों द्वारा भव्य गुरुद्वारा निर्मित किया गया है। प्रति वर्ष [[वैशाखी]] पर यहाँ पर बहुत विशाल मेले का आयोजन भी किया जाता है। | [[सिक्ख|सिक्खों]] के दसवें गुरु [[गुरु गोविंद सिंह]] यहाँ आये थे एवं उन्होंने यहाँ पर 'रीठे के वृक्ष' के नीचे विश्राम किया था। गुरु के प्रताप से उनके शिष्य ने जिस वृक्ष से अपनी क्षुधा शान्त करने हेतु रीठे तोडे थे, उस वृक्ष के रीठे मीठे हो गये थे। इस स्थल को 'मीठा रीठा साहिब' भी कहा जाता है। यहाँ पर सिक्खों द्वारा भव्य गुरुद्वारा निर्मित किया गया है। प्रति [[वर्ष]] [[वैशाखी]] पर यहाँ पर बहुत विशाल मेले का आयोजन भी किया जाता है। | ||
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Latest revision as of 12:27, 25 September 2012
thumb|right|मीठा रीठा साहिब का विहंगम दृश्य मीठा रीठा साहिब लोहाघाट, उत्तराखंड से लगभग 64 कि.मी. की दूरी पर स्थित है।
इतिहास
सिक्खों के दसवें गुरु गुरु गोविंद सिंह यहाँ आये थे एवं उन्होंने यहाँ पर 'रीठे के वृक्ष' के नीचे विश्राम किया था। गुरु के प्रताप से उनके शिष्य ने जिस वृक्ष से अपनी क्षुधा शान्त करने हेतु रीठे तोडे थे, उस वृक्ष के रीठे मीठे हो गये थे। इस स्थल को 'मीठा रीठा साहिब' भी कहा जाता है। यहाँ पर सिक्खों द्वारा भव्य गुरुद्वारा निर्मित किया गया है। प्रति वर्ष वैशाखी पर यहाँ पर बहुत विशाल मेले का आयोजन भी किया जाता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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