चमनाक: Difference between revisions

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'''चमनाक''' पूर्व [[बरार]], [[महाराष्ट्र]] का [[ऐतिहासिक स्थान]] है। इस स्थान से [[वाकाटक वंश|वाकाटक]] नरेश [[प्रवरसेन द्वितीय]] का एक ताम्रदान पट्ट प्राप्त हुआ है, जो इसके शासन काल के 18वें वर्ष में जारी किया गया था। प्रवरसेन भगवान [[शिव|शंभु]] का [[भक्त]] था।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=327|url=}}</ref>
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*चमनाक से प्राप्त पट्ट में प्रवरसेन द्वारा चर्मांक नामक ग्राम (वर्तमान चमनाक) का एक सह़स्त्र [[ब्राह्मण|ब्राह्मणों]] को दान में दिए जाने का उल्लेख है।
*चमनाक से प्राप्त पट्ट में प्रवरसेन द्वारा चर्मांक नामक ग्राम (वर्तमान चमनाक) का एक सह़स्त्र [[ब्राह्मण|ब्राह्मणों]] को दान में दिए जाने का उल्लेख है।

Latest revision as of 14:15, 16 June 2013

चमनाक पूर्व बरार, महाराष्ट्र का ऐतिहासिक स्थान है। इस स्थान से वाकाटक नरेश प्रवरसेन द्वितीय का एक ताम्रदान पट्ट प्राप्त हुआ है, जो इसके शासन काल के 18वें वर्ष में जारी किया गया था। प्रवरसेन भगवान शंभु का भक्त था।[1]

  • चमनाक से प्राप्त पट्ट में प्रवरसेन द्वारा चर्मांक नामक ग्राम (वर्तमान चमनाक) का एक सह़स्त्र ब्राह्मणों को दान में दिए जाने का उल्लेख है।
  • इस अभिलेख में वाकाटक महाराजाओं की निम्न वशांवली दी हुई है, जिससे इस वंश के इतिहास पर प्रकाश पड़ता है-
  1. महाराजा प्रवरसेन
  2. गौतमीपुत्र
  3. रुद्रसेन[2]
  • पृथ्वीसेन भगवान महेश्वर का भक्त था, जबकि रुद्रसेन चक्रपाणि विष्णु का भक्त था और देवगुप्त की कन्या प्रभावती गुप्त इसकी रानी थी।
  • वाकाटक नरेश गुप्त सम्राटों के समकालीन थे।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार |पृष्ठ संख्या: 327 |
  2. स्वामी महाभैरव का भक्त था और भारशिव महाराज भवनाम का दौहित्र था। भारशिव महाराजाओं ने भगीरथी गंगा को अपनी वीरता द्वारा प्राप्त किया था।

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