गोकाक: Difference between revisions

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गोकाक [[भारत]] के प्राचीन कस्बों में से एक है। इसका प्रथम उल्लेख 1047 ई. के एक अनुलेख में 'गोकागे' (Gokage) नाम से प्राप्य है। संभवत: यह [[हिंदू|हिंदुओं]] का पवित्र स्थल रहा है, जो 'गऊ' (गो या [[गाय]]) से संबंधित है। 1685 ई. में यह सरकार<ref>मध्यकालीन जनपद</ref> का प्रधान केंद्र था। 1717-1754 काल में यह सबानूर के नवाबों के अधीन रहा, जिन्होंने यहाँ मस्जिद तथा गंजीखाने का निर्माण कराया। इसके बाद पुन: यह हिंदुओं के अधीन हुआ। सन 1836 में गोकाक तालुका तथा नगर [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] के अधीन हो गए।
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==भौगोलिक स्थिति==
==भौगोलिक स्थिति==
गोकाक नगर से पश्चिमोत्तर तथा दक्षिण रेलमार्ग पर स्थित ध्रुपदल स्टेशन से 3 मील {{मील|मील=3}} दूर स्थित गोकाक प्रपात है, जहाँ घाटप्रभा नदी बलुआ पत्थर के शीर्ष से 170 फुट गहराई में गिरती है। प्रपात के बाद एक सुंदर खड्डमय घाटी का निर्माण करती है। यहाँ प्रति [[वर्ष]] हजारों पर्यटक आते हैं। प्रपात के समीप ही नदी के दाएँ तट पर [[1887]] ई. में सूती कपड़े का कारखाना निर्मित हुआ। कारखाने को बिजली देने तथा आसपास के क्षेत्र में सिंचाई करने के लिये 'गोकाक जलाशय' का निर्माण हुआ। गोकाक नगरपालिका का क्षेत्र<ref>22.5 वर्ग मील</ref>प्रशासकीय सुविधा के लिये पाँच भागों में बँटा है।<ref>{{cite web |url=http://khoj.bharatdiscovery.org/india/%E0%A4%97%E0%A5%8B%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%95 |title=गोकाक |accessmonthday=21 दिसम्बर |accessyear=2013 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=भारतखोज |language=हिंदी }}</ref>  
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गोकाक आधुनिक मैसूर, कर्नाटक के बेलगाँव जनपद में तालुके का प्रधान नगर है। यह दक्षिणी रेलमार्ग[1]पर स्थित गोकाक स्टेशन से लगभग 8 मील (लगभग 12.8 कि.मी.) की दूरी पर स्थित है और राजमार्ग द्वारा उससे जुड़ा हुआ है। पहले यहाँ कपड़ों की बुनाई तथा रँगाई का व्यवसाय बहुत उन्नत था तथा बड़े पैमाने पर किया जाता था, लेकिन बाद में यह समाप्त होने लगा। पुन: सरकारी प्रयत्नों से इन उद्योगों का विकास किया जा रहा है। हल्की लकड़ी तथा स्थानीय क्षेत्र में प्राप्य एक विशेष प्रकार की मिट्टी से निर्मित खिलौने तथा चित्रादि बनाने का व्यवसाय यहाँ काफ़ी प्रसिद्ध है।

इतिहास

गोकाक भारत के प्राचीन कस्बों में से एक है। इसका प्रथम उल्लेख 1047 ई. के एक अनुलेख में 'गोकागे' (Gokage) नाम से प्राप्य है। संभवत: यह हिंदुओं का पवित्र स्थल रहा है, जो 'गऊ' (गो या गाय) से संबंधित है। 1685 ई. में यह सरकार[2] का प्रधान केंद्र था। 1717-1754 काल में यह सबानूर के नवाबों के अधीन रहा, जिन्होंने यहाँ मस्जिद तथा गंजीखाने का निर्माण कराया। इसके बाद पुन: यह हिंदुओं के अधीन हुआ। सन 1836 में गोकाक तालुका तथा नगर अंग्रेज़ों के अधीन हो गए।

भौगोलिक स्थिति

गोकाक नगर से पश्चिमोत्तर तथा दक्षिण रेलमार्ग पर स्थित ध्रुपदल स्टेशन से 3 मील (लगभग 4.8 कि.मी.) दूर स्थित गोकाक प्रपात है, जहाँ घाटप्रभा नदी बलुआ पत्थर के शीर्ष से 170 फुट गहराई में गिरती है। प्रपात के बाद एक सुंदर खड्डमय घाटी का निर्माण करती है। यहाँ प्रति वर्ष हजारों पर्यटक आते हैं। प्रपात के समीप ही नदी के दाएँ तट पर 1887 ई. में सूती कपड़े का कारखाना निर्मित हुआ। कारखाने को बिजली देने तथा आसपास के क्षेत्र में सिंचाई करने के लिये 'गोकाक जलाशय' का निर्माण हुआ। गोकाक नगरपालिका का क्षेत्र[3]प्रशासकीय सुविधा के लिये पाँच भागों में बँटा है।[4]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. पहले का दक्षिण मराठा रेलमार्ग
  2. मध्यकालीन जनपद
  3. 22.5 वर्ग मील
  4. गोकाक (हिंदी) भारतखोज। अभिगमन तिथि: 21 दिसम्बर, 2013।

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