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| <quiz display=simple> | | <quiz display=simple> |
| {एक सफल शैक्षणिक पाठ्यक्रम में किसका महत्त्व है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-179,प्रश्न-18 | | |
| | {[[इलाहाबाद विश्वविद्यालय]] में [[चित्रकला]] विभाग की स्थापना किस चित्रकार ने की थी?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-97,प्रश्न-3 |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| +[[कला]] | | -एल. एम. सेन |
| -[[साहित्य]]
| | -ए. के हल्दर |
| -कलाकार
| | +क्षितीन्द्रनाथ मजूमदार |
| -कला-साहित्य
| | -[[जामिनी राय]] |
| ||एक सफल शैक्षणिक पाठ्यक्रम में कला का महत्त्वपूर्ण स्थान है। इनमें मानव मन में संवेदनाएं उभारने, प्रवृत्तियों को ढालने, चिंतन को मोड़ने तथा अभिरुचि को दिशा देने की अद्भुत क्षमता होती है।
| | ||[[इलाहाबाद विश्वविद्यालय]] में [[चित्रकला]] विभाग की स्थापना क्षितीन्द्रनाथ मजूमदार ने की थी? |
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| {[[भारत]] की प्रथम महिला [[राज्यपाल]] कौन थीं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-185,प्रश्न-25 | | {'प्रभु हरिदास अंतिम अवस्था में' किसने चित्रित किया है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-98,प्रश्न-9 |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -राधाबाई सुबारायन | | -रणवीर सिंह विष्ट |
| -रोज मिलियन मैथ्यू | | -[[नंदलाल बोस]] |
| -अन्ना जॉर्ज
| | +क्षितीन्द्रनाथ मजूमदार |
| +[[सरोजिनी नायडू]]
| | -ललित मोहन सेन |
| ||सरोजिनी नायडू, जिन्हें 'भारत की कोकिला' नाम से जाना जाता है, एक कवि एवं स्वतंत्रता के लिए सक्रिय सदस्य थीं। उन्होंने [[15 अगस्त]], 1947-2 मार्च, [[1949]] तक संयुक्त [[आगरा]] एवं अवध प्रांत के [[राज्यपाल]] के रूप में कार्य किया। उन्होंने [[भारत]] की किसी भी राज्य की प्रथम महिला राज्यपाल होने का गौरव प्राप्त किया। | | ||क्षितीन्द्रनाथ मजूमदार ने वैष्णव संत चैतन्य के जीवन से कई दृश्यों को चित्रित किया है जिनमें 'प्रभु हरिदास अंतिम अवस्था' चित्र भी शामिल है जो वाश पेपर एवं जलरंग से चित्रित है। |
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| {'आक्रोश' फ़िल्म में [[अभिनेता]] की मुख्य भूमिका किसने की थी? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-207,प्रश्न-165 | | {'मणिकुट्टिम पद्धति' में किस वस्तु का प्रयोग किया जाता है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-103,प्रश्न-12 |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -[[नाना पाटेकर]] | | -रंग |
| -[[श्याम बेनेगल]] | | +संगमरमर |
| +[[ओमपुरी]]
| | -लकड़ी |
| -ओम शिवपुरी | | -सीमेंट |
| ||वर्ष [[1980]] में आई फिल्म 'आक्रोश' में [[ओमपुरी]] ने मुख्य [[अभिनेता]] के रूप में भूमिका निभाई। इस फिल्म में ओमपुरी ने 'भीखू' नामक एक स्वाभिमानी जनजातीय व्यक्ति की भूमिका निभाई। | | ||'मणिकुट्टिम पद्धति' में संगमरमर का प्रयोग किया जाता है। |
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| {जे.जे. स्कूल ऑफ़ आर्ट कहां है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-236,प्रश्न-373 | | {'अंतिम भोज' चित्र के [[चित्रकार]] का क्या नाम है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-109,प्रश्न-49 |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -[[चेन्नई]] | | -माइकेल एंजिलो |
| +[[मुंबई]] | | -रूबेन्स |
| -[[दिल्ली]] | | +[[लियोनार्डो दा विंची]] |
| -[[आगरा]]
| | -बोत्तिचेल्ली |
| ||सर जे.जे. स्कूल ऑफ़ आर्ट, [[मुंबई]] की स्थापना वर्ष [[1857]] में हुई। इसके संस्थापक विलियम जैरी है। इसके प्रथम प्रिंसिपल लॉव वुड किपलिंग थे। लॉक वुड किपलिंग प्रसिद्ध लेखक रूडयार्ड किपलिंग के पिता थे। | | ||'अंतिम भोज' चित्र के चित्रकार लियोनार्डो विंचीं है। |
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| {[[भीमबेटका गुफ़ाएँ|भीमबेटका]] किस शहर के पास स्थित है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-19,प्रश्न-10 | | {इनमें से घनवादी कलाकार नहीं हैं(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-130,प्रश्न-45 |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -[[मिर्जापुर]] | | -ब्राक |
| +[[भोपाल]]
| | -पिकासो |
| -[[इंदौर]] | | -फर्ना लेजे |
| -[[रायपुर]]
| | +जेम्स एन्सोर |
| ||भीमबेटका का चट्टानी शरण-स्थल भोपाल से 45 किमी. पश्चिम में स्थित है। [[यूनेस्को]] ने भीमबेटका शैल चित्रों को विश्व विरासत सूची में सम्मिलित किया है। इन गुफ़ाओं में जीवन के विविध रंगों को पेंटिंग के रूप में उकेरा गया जिसमें [[हाथी]], सांभर, हिरन आदि के चित्र हैं। | | ||दिए गए विकल्पों में जेम्स एन्सोर घनवादी कलाकार नहीं हैं बल्कि वे अभिव्यंजनावादी कलाकार हैं जबकि ब्राक, लेजे एवं पिकासो घनवादी कलाकार हैं। |
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| {[[बाघ की गुफ़ाएँ|बाघ गुफा]] के भित्ति चित्रों को बनाने में किस तकनीक का प्रयोग किया गया है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-26,प्रश्न-31 | | {कौन यथार्थवादी [[चित्रकार]], चित्रकार के साथ-साथ सुप्रसिद्ध व्यंग्य चित्रकार भी था।(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-132,प्रश्न-1 |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -ब्यूनो तकनीक | | +दाउमियर |
| -सीक्को तकनीक | | -कुर्बे |
| -इटालियन ब्यूनो तकनीक | | -डेविड |
| +ग्लु रंग चित्रण तकनीक
| | -गोया |
| ||बाघ गुफाओं की चट्टानें भुरभुरे बलुए पत्थर की हैं जो शीघ्र ही नष्ट हो जाती हैं। इसी भित्ति पर चूने का प्लास्टर चढ़ाकर टेम्परा रंगों से चित्रण किया गया है। चित्रण विधान अजंता से मिलता-जुलता है। कुछ चित्रों में प्रयुक्त रंग संभवत: उसी क्षेत्र से प्राप्त किए गए हैं जिसे पीसकर गोंद मिलाकर रंगों से भरा गया प्रतीत होता है किंतु जिस प्रकार [[काला रंग|काले रंग]] से अजंता के चित्रों में कलई की गई है, उसका अभाव बाघ चित्रों में दिखाई देता है। | | ||होनोर दाउमियर एक प्रतिभाशाली प्रिंटमेकर, कार्टूनिस्ट, [[चित्रकार]] एवं [[मूर्तिकार]] थे। |
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| {'[[कल्पसूत्र]]' की सबसे उत्तम प्रति कहां की है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-43,प्रश्न-24 | | {'आटोबायोग्राफी: डायरी ऑफ ए जीनियस' किसकी आत्मकथा है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-134,प्रश्न-16 |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -[[अयोध्या]] | | -[[एम. एफ. हुसैन]] |
| +[[जौनपुर]] | | +सल्वाडोर डॉली |
| -[[गुजरात]] | | -पाब्लो पिकासो |
| -इनमें से सभी | | -वान गॉग |
| ||'[[कल्पसूत्र]]' नामक जैन ग्रंथों में तीर्थंकरों (पार्श्वनाथ, महावीर स्वामी आदि) का जीवन चरित वर्णित है। भद्रबाहु इसके रचयिता माने जाते हैं। कल्पसूत्र ग्रंथों के चित्रण जैन शैली में हुए। इस ग्रंथ की रचना महावीर स्वामी के निर्वाण के 150 वर्ष बाद हुई मानी जाती है। | | ||'आटोबायोग्राफी: डायरी ऑफ ए जीनियस' सल्वाडोर डॉली की आत्मकथा है 'ए जीनियस ऑफ डायरी' इनकी आत्मकथा का प्रथम भाग था। सल्वाडो डॉली विलक्षण एवं बहुमुखी प्रतिभाशाली कलाकार थे। वे अतियथार्थवाद के प्रणेता थे। |
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| {[[अकबर]] कालीन चित्रित पोथी 'अनवर-ए-सुहेली' अनुवाद है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-65,प्रश्न-66 | | {बरोक शैली का मुख्य कलाकार कौन है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-141,प्रश्न-22 |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -[[रामायण]] का | | -रूबेन्स |
| -[[गीत गोविन्द]] का | | +कारावेजियो |
| +[[पंचतंत्र]] का
| | -रेम्ब्रां |
| -[[महाभारत]] का | | -बोट्टीचेल्ली |
| ||[[अकबर]] कालीन चित्रित पोथी 'अनवर-ए-सुहेली' [[पंचतंत्र]] का [[फ़ारसी भाषा|फारसी]] अनुवाद अबूल फ़ज़ल ने किया। | | ||कारावेजियो इटली के महान [[चित्रकार]] थे। उन्होंने अपनी पेंटिंग में बरोक शैली का प्रयोग किया। |
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| {अधिकांश प्रागैतिहासिक चित्रों के [[रंग]] क्या हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-162,प्रश्न-35 | | {'पिशाचिनियों की सभा' किसकी कृति है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-142,प्रश्न-34 |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| +गेरुआ | | -पिसारो |
| -[[काला रंग|काला]] | | +माइकेल एंजिलो |
| -[[श्वेत रंग|श्वेत]] | | -[[लिओनार्डो दा विंची]] |
| -[[नीला रंग|नीला]]
| | -गोया |
| ||प्रागैतिहासिक स्थलों से अनेक चित्रित गुफाएं, शैलाश्रय और कलाकृतिया गेरुआ रंग से उत्कीर्ण हैं, इसलिए अधिकांश प्रागैतिहासिक चित्रों का रंग गेरुआ है। प्रागैतिहासिक मृदभांड संस्कृति गेरुआ रंग के लिए प्रसिद्ध है। | | ||फ्रांसिस्को गोया ने 'पिशाचिनियों की सभा' चित्र को चित्रित किया। |
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| {प्रसिद्ध लोक चित्रकारी मांडना किस प्रदेश से संबंधित है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-171,प्रश्न-34 | | {कलकत्ता ग्रुप की स्थापना किस वर्ष में हुई?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-149,प्रश्न-84 |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -[[उत्तर प्रदेश]] | | -1935 |
| +[[राजस्थान]] | | -1940 |
| -[[पश्चिम बंगाल]] | | +1943 |
| -[[बिहार]]
| | -1948 |
| | ||'कलकत्ता ग्रुप' आधुनिक कला का भारत में वर्ष 1943 में स्थापित प्रथम ग्रुप है। कलकत्ता ग्रुप के संस्थापकों में प्रदोष दासगुप्ता एवं उनकी पत्नी कमला शुभो टैगोर, परितोष सेन, गोपाल, घोष, निरोदे मजूमदार आदि प्रमुख थे। |
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| {न्यूज पेपर '[[बंगाल गजट]]' के संस्थापक का क्या नाम है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-192,प्रश्न-57 | | {भारतीय चित्रकला का मूल तत्त्व क्या है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-172,प्रश्न-47 |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -डेविड ओगील्वी | | -[[रंग]] |
| +जेम्स आगस्ट | | -शीर्षक |
| -वोल्नी बी. पालमर
| | +रेखा |
| -ए.डब्ल्यू. अय्यर | | -[[धर्म]] |
| ||भारतवर्ष में प्रकाशित पहला अख़बार '[[बंगाल गजट]]' है जो वर्ष 1780 में [[अंग्रेज]] (आयरिश) जेम्स आगस्ट हेकीज द्वारा [[कलकत्ता]] से प्रकाशित किया गया था। अत: इसी समय से [[कोलकाता]] में पहली छपाई मशीन की शुरुआत हुई।
| | ||[[चित्रकला]] के मुख्य रूप से 6 मूल तत्त्व होते हैं - रेखा, रूप, वर्ण, तान, पोत और अंतराल। |
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| {[[जैन चित्रकला]] कहलाती है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-44,प्रश्न-30 | | {जूट माध्यम से [[मूर्तिकला]] के प्रयोग कौन करता है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-195,प्रश्न-79 |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -भित्ति चित्र
| | +मृणालनी मुखर्जी |
| +पोथी चित्र | | -मीरा मुखर्जी |
| -लद्यु चित्र | | -गोगी सरोजपाल |
| -पट चित्र | | -[[अंजलि इला मेनन]] |
| ||[[जैन चित्रकला]] 'पोथी चित्रकला' भी कहलाती है। इसका विकास 1100 ई. से 1500 ई. के [[गुजरात]], [[अहमदाबाद]] तथा मरवाड़ के आस-पास में हुआ है। [[जैन चित्रकला]] शैली को विवादित रूप में '[[गुजरात चित्रकला|गुजरात शैली]]', 'पश्चिम भारतीय शैली' तथा 'अपभ्रंश शैली' के नामों से भी जाना जाता है। डॉ. आनंद कुमारस्वामी ने इस शैली का नाम लामा तारानाथ के द्वारा दिए गए नाम 'पश्चिमी-भारत शैली' का समर्थन करते हुए इस शैली का नवीन नाम 'पश्चिम भारतीय शैली' माना है।
| | ||जूट के माध्यम से [[मूर्तिकला]] का निर्माण मृणालनी मुखर्जी करती हैं। इनका जन्म वर्ष 1949 में [[मुंबई]] में हुआ था। इनके पिता बिनोद बिहारी एक कलाकार थे वर्ष 1971 में मृणालनी मुखर्जी ने मूर्तिकला के लिए ब्रिटिश काउंसिल से छात्रवृत्ति प्राप्त की। |
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| {कौन-सा पहाड़ी शैली के चित्रों का केंद्र नहीं है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-50,प्रश्न-28 | | {'जहांगीर आर्ट गैलरी' स्थित है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-201,प्रश्न-120 |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -[[बसौली]] | | -[[दिल्ली]] में |
| -[[गुलेरी चित्रकला|गुलेर]]
| | +[[मुंबई]] में |
| +[[मेवाड़ की चित्रकला (तकनीकी)|मेवाड़]]
| | -[[गुजरात]] में |
| -[[कांगड़ा चित्रकला|कांगड़ा]] | | -[[लखनऊ]] में |
| ||[[मेवाड़ चित्रकला]] शैली का संबंध [[राजस्थानी चित्रकला]] शैली से था बसौली, गुलेर तथा कांगड़ा पहाड़ी शैली के अंतर्गत आते हैं। | | ||जहांगीर आर्ट गैलरी मुबंई में स्थित है जिसकी स्थापना सर कोवासजी जहांगीर ने के. के . हेब्बर एवं होमी भाभा के अनुरोध पर किया। इसका निर्माण वर्ष 1952 में किया। |
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| {[[जहांगीर]] अपने समय में सबसे अच्छा [[चित्रकार]] किसे मानता था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-61,प्रश्न-36 | | {सवाई मान सिंह द्वारा बनाया गया 'जंतर-मंतर' कहाँ स्थित है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-230,प्रश्न-331 |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -[[उस्ताद मंसूर]] | | +[[जयपुर]] |
| -अबुल फजल को | | -[[पटना]] |
| +अबुल हसन को
| | -[[हैदराबाद]] |
| -[[बसावन]] को | | -[[बड़ौदा]] |
| | ||सवाई मान सिंह की आकांक्षा थी कि जंतर-मंतर बनवाएँ किंतु वे ऐसा नहीं कर पाए। सवाई राजा जय सिंह द्वितिय जंतर-मंतर बनवाया जबकि प्रश्न को गलत रुप में पूछा गया है। |
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| {'[[अकबर]]' की चित्रशाला में कुल कितने गुजराती [[चित्रकार]] थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-69,प्रश्न-84 | | {'टेराकोटा' के लिए कौन-सी जगह प्रसिद्ध है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-232,प्रश्न-349 |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -सात | | -[[मथुरा]] |
| -आठ | | -[[बस्तर]] |
| +छ: | | +[[गोरखपुर]] |
| -चार | | -[[जौनपुर]] |
| ||[[अकबर]] की चित्रशाला में कुल छ: गुजराती चित्रकार थे। अकबर के दरबार में अधिकांश चित्रकार कायस्थ, चितेरा, खाती तथा कहार जाति के थे। | | ||[[टेराकोटा]] या मिट्टी की कला, एक ऐसी कृति है जो मिट्टि से बनी तथा पकाने पर चमक रहित होती है। यह सामान्यत: लाल रंग की होती है। [[गोरखपुर]] 'टेराकोटा' कला के लिए प्रसिद्ध है। |
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| {इनमें [[मूर्तिकार]] कौन है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-81,प्रश्न-28 | | {रिनी घुमाल किसके लिए प्रख्यात हैं?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-193,प्रश्न-67 |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| +[[देवी प्रसाद रायचौधरी]] | | +पेंटिंग के लिए |
| -ईश्वरी प्रसाद | | -मूर्ति के लिए |
| -सुधीर रंजन खास्तगीर | | -संस्थापन कला के लिए |
| -मुकुल डे | | -न्यू मीडिया आर्ट के लिए |
| ||[[देवी प्रसाद राय चौधरी]] भारत के प्रसिद्ध चित्रकार, [[मूर्तिकार]] एवं ललित कला अकादमी के संस्थापक अध्यक्ष थे। इनका जन्म [[15 जून]], 1899 मीरपुर (अब पाकिस्तान में है) में हुअा था। इन्हें [[भारत सरकार]] द्वारा [[1958]] में [[पद्म भूषण]] से सम्मानित किया गया है। {{point}} '''अधिक जानकारी के लिए देखें-:''' [[देवी प्रसाद रायचौधरी]] | | ||रिनी घुमाल पेंटिंग के लिए प्रसिद्ध हैं। इनका जन्म वर्ष 1984 में [[बंगाल]] में हुआ था। वर्ष 1988 में इन्हें ललित कला आकादमी का राष्ट्रीय पुस्कार तथा वर्ष 1984 एवं 1988 में ऑल इंडिया फाइन आर्ट्स एंड क्राफ्ट्स सोसाइटी पुरस्कार प्राप्त हुआ था। |
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| {'हरिपुरा पैनल' की विषय-वस्तु बताइये? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-81,प्रश्न-35 | | {मधुबनी किस राज्य की लोक कला है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-224,प्रश्न-292 |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| +भारतीय ग्राम्य जीवन
| | -पश्चिमी बंगाल |
| -पौराणिक कथायें | | -[[उत्तर प्रदेश]] |
| -[[रामायण]]
| | +[[बिहार]] |
| -[[महाभारत]] | | -[[पंजाब]] |
| | ||मधुबनी, बिहार की लोक कला है। बिहार के पिपरिया के ग्रामिण अंचलों में इस सरल एवं लयात्मक चित्रकारी की संस्कृति यद्यपि काफी पहले से प्रचलित रही है। मधुबनी के लोकप्रिय चित्र प्राकृतिक रंगों से बनाए जाते हैं। |
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| {एक कवि-चित्रकार जिनकी कर्मभूमि [[शांतिनिकेतन]] थी, हैं- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-85,प्रश्न-60 | | {निम्नलिखित में से कौन टैगोर परिवार से संबंधित नहीं है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-229,प्रश्न-327 |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -[[नंदलाल बोस]] | | -[[रबीन्द्रनाथ टैगोर|रबीन्द्रनाथ]] |
| -[[देवी प्रसाद रायचौधरी]] | | -[[अबनीन्द्रनाथ टैगोर|अबनीन्द्रनाथ]] |
| +[[रबींद्रनाथ ठाकुर]] | | -गगेन्द्रनाथ |
| -गगनेन्द्रनाथ ठाकुर
| | +राजेन्द्रनाथ |
| ||आधुनिक [[भारत]] के प्रमुख चित्रकारों में [[रबींद्रनाथ ठाकुर]] की सहज स्फूर्त अंकन पद्धति क्ले के निर्दिष्ट मार्ग का अनुसरण करती है। [[कवि]], लेखक तथा चिंतक एवं पेंटर के रूप में रबीन्द्रनाथ ठाकुर की कर्मभूमि [[शांतिनिकेतन]] थी। | | ||टैगोर (ठाकुर) परिवार से राजेन्द्रनाथ नहीं थे। शेष टैगोर परिवार से संबद्ध हैं [[गगनेन्द्रनाथ टैगोर]], [[अबनीन्द्रनाथ टैगोर]] के बड़े भाई और [[रवीन्द्रनाथ टैगोर]] के भतीजे थे। |
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| {किस लैंडस्केप [[चित्रकार]] ने प्रभाववादियों को प्रेरणा दी थी? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-117,प्रश्न-14 | | {प्रथम भारतीय महिला [[चित्रकार]] कौन थीं?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-231,प्रश्न-344 |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| +टर्नर
| | -ललिता लाजमी |
| -क्लॉड | | -अमृता शेरगिल |
| -मिले | | -गौरी भंज |
| -गोया
| | +सुनयनी देवी |
| ||इंग्लैंड के भू-दृश्य (लैंडस्केप) चित्रकारों में जोसेफ मैलॉर्ड विलियम टर्नर (1775-1851 ई.) को अद्भुत प्रतिभाशाली एवं संयमी कलाकार माना जाता है। उनका कार्य प्रभाववादियों के लिए एक रोमांटिक प्रस्तावना के रूप में जाना जाता है। वह अपने तैल चित्रों के लिए प्रसिद्ध थे। वर्ष 1839 में उनके द्वारा चित्रित चित्र 'द फाइटिंग टेंपरेरी' तैलीय माध्यम में बनी हुई है। वह ब्रिटिश वाटरकलर लैंडस्केप चित्रकारी के महानतम पुरोधा भी थे। टर्नर ने अपनी [[कला]] के द्वारा प्रकाश का प्रयोग विकसित किया। | | ||प्रथम भारतीय महिला [[चित्रकार]] सुनयनी देवी थीं। ये बंगाल के पट चित्रों की शैली से प्रभावित थीं। वर्ष 1905 से 1938 तक ये चितेरी के रूप में सक्रिय रहीं। |
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| {किस भारतीय कलाकार ने [[2001]] में अपना 100वां वर्ष मनाया? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-146,प्रश्न-63 | | {वह कौन सी महिला है, जिन्होंने साहित्य के साथ चित्रकारी भी कि हैं?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-232,प्रश्न-347 |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -के.जी. सुब्रमण्यन | | -किरण शर्मा |
| -सत्येन घोषाल | | -रचना |
| +भावेश सान्याल | | +महादेवी वर्मा |
| -अतुल बसु | | -सविता श्रीवास्तव |
| ||भावेश सान्याल (B.C. Sanyal) का जन्म [[22 अप्रैल]], [[1901]] की [[असम]] के धुबरी जिले में हुआ था। इस प्रकार वर्ष [[2001]] में उन्होंने अपना 100वां जन्म दिवस मनाया। | | ||महादेवी वर्मा साहित्य के साथ चित्रकार भी थीं। उनकी रचना दीपशिखा एवं सांध्यगीत में यह दर्शित होता है। |
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| {प्रभाववादी चित्रों का भूल उद्देश्य था- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-119,प्रश्न-25 | | {'महा स्फिंक्स अवस्थित है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-233,प्रश्न-352 |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -विषय का भाववादी चित्रण | | -सक्कारा में |
| +विषय पर क्षणिक दृष्टि के प्रभाव का चित्रण | | +गीजा में |
| -विषय पर रंगों की छटा का चित्रण | | -लक्सर में |
| -विषय का सौंदर्यपूर्ण चित्रण | | -असुआन में |
| ||प्रभाववाद 19वीं सदी का एक कला आंदोलन था जो पेरिस स्थित कलाकारों के एक मुक्त संगठन के रूप में आरंभ हुआ। इसका मूल उद्देश्य विषय पर क्षणिक दृष्टि के प्रभाव का चित्रण था। | | ||'महान स्फिंक्स (Great Sphinx) मिस्त्र में नील नदी के पश्चिमी तट पर गीजा में एक चूने के पत्थर की मूर्ति है जिसका शरीरा सिंह के समान तथा मुंह स्त्री की भांति है। |
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| {अजंता भित्तिचित्रों की रचना किस राजवंश के शासनकाल में हुई? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-31,प्रश्न-21 | | {[[राजा रवि वर्मा|रवि वर्मा]] के चित्र का सबसे बड़ा संग्रहालय कहाँ है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-92,प्रश्न-24 |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -[[मौर्य]] | | -प्रिंस ऑफ वेल्स में |
| +[[वाकाटक राजवंश|वाकाटक]] | | -राष्ट्रीय संग्रहालय, नई दिल्ली में |
| -[[शुंग]] | | +सालार जंग संग्रहालय, हैदराबाद में |
| -[[पल्लव]]
| | -चित्रा आर्ट गैलरी, त्रिवेंद्रम में |
| ||[[अजंता की गुफ़ाएँ|अजंता भित्तिचित्रों]] की अधिकांश चित्र रचना [[वाकाटक राजवंश|वाकाटक]] एवं [[चालुक्य]] राजाओं के समय में की गई। वाकाटक एवं [[चालुक्य राजवंश]] के शासक बौद्ध धर्मानुयायी थे, इसलिए अजंता के चित्रों में बौद्ध चित्रों की प्रमुखता है। | | ||रवि वर्मा के चित्र का सबसे बड़ा संग्रह सालार जंग संग्रहालय [[हैदराबाद]] में है। |
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| {[[कांगड़ा चित्रकला]] पर किस शैली का प्रभाव पड़ा? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-74,प्रश्न-15 | | {'[[कनिष्क]]' मूर्ति किस काल में बनी थी?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-229,प्रश्न-324 |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -[[राजस्थानी चित्रकला|राजस्थानी]] | | -[[गुप्त काल]] |
| +[[मुगल कालीन चित्रकला|मुगल]]
| | -[[मौर्य काल]] |
| -[[जैन चित्रकला|जैन]] | | -[[शुंग काल]] |
| -कश्मीरी
| | +[[कुषाण काल]] |
| ||[[कांगड़ा चित्रकला]] शैली तथा परंपरागत प्राचीन भारती कला शैली तथा पहाड़ी हिंदू कला का प्रभाव पड़ा। [[मुगल कालीन चित्रकला|मुगल चित्रकारों]] तथा मूल पहाड़ी चित्रकारों ने मिलकर पहाड़ी चित्र शैली को जन्म दिया। जिसके मुखत: तीन रूप थे- [[बसौली|बसौली शैली]], गुलेर शैली तथा कांगड़ा शैली। यद्यपि पहाड़ी कला के विशेषज्ञ डॉ. बी.एन. गोस्वामी पहाड़ी कला को मुगल प्रभाव मुक्त अर्थात पूरी तरह से भिन्न मानते हैं। गोस्वामी के अनुसार, पहाड़ी चित्रकला गुलेरवासी चित्रकार 'सेऊ' के वंशजों के आधार पर पली-बढ़ी।
| | ||'[[कनिष्क]]' मूर्ति कुषाण काल में मथुरा शैली में बनी थी। मथुरा में कनिष्क की एक विशाल खड़ी मूर्ति पाई गई है जिसकी दाहिनी भुजा में गदा और बाईं में तलवार है। |
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| {प्रसिद्ध कलाकृति, 'द लास्ट सपर' के चित्रकार हैं- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-107,प्रश्न-35 | | {भगवान बुद्ध ने पहला उपदेश कहाँ दिया था?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-227,प्रश्न-311 |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| +[[लियोनार्डो दा विंची]] | | +[[सारनाथ]] में |
| -माइकल एंजेलो | | -[[वैशाली]] में |
| -राफेल सौंजियो डयू | | -[[साँची]] में |
| -अलबर्ट ड्यूरर | | -[[बोधगया]] में |
| ||'द लास्ट सपर', [[लियोनार्डो दा विंची]] द्वारा 15वीं शताब्दी में चित्रित एक प्रसिद्ध चित्र है। यह ईसा मसीह के शूली पर चढ़ने के पूर्व येरूसलम में उनके प्रेरितों के साथ साझा गया अंतिम भोजन का चित्र है। {{point}} '''अधिक जानकारी के लिए देखें-:''' [[लियोनार्डो दा विंची]]
| | ||भगवान बुद्ध मे पहला उपदेश सारनाथ (ऋषिपतनम्) में दिया था जिसे बौद्ध ग्रंथों में 'धर्मचक्रप्रवर्तन' कहा गया है। |
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| {प्रभाववादी चित्रकार का मुख्य विषय होता है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-120,प्रश्न-35 | | {नृत्यांगना सुधा चंद्रन की फ़िल्म है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-225,प्रश्न-299 |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -तान | | -पायल की झंकार |
| -वस्तु | | -डांस इंडिया डांस |
| -[[रंग]] | | +नाचे मयूरी |
| +वातावरण और प्रकाश
| | -आजा नच ले |
| ||[[प्रभाववाद]] एवं यथार्थवाद में स्पष्ट अंतर है। यथार्थवाद में विषय का अस्तित्व उद्देश्यपूर्ण होता है जबकि प्रभाववाद में विषय का कार्य सौंदर्यानुभूति को जागृत करना मात्र है। यथार्थवाद में वस्तु के नैसर्गिक वर्ण का विचार करके रंगांकन किया जाता है जबकि प्रभाववाद में [[प्रकाश]] एवं वातावरण के प्रभाव के साथ रंगों के नैसर्गिक सौंदर्य की भी विचार था। एडवर्ड माने ने सुंदर [[रंग]] योजना व स्पष्ट तूलिका संचालन जैसे गुणों का विकास करके अपने अंतिम वस्तु निरपेक्ष सौंदर्य से परिपूर्ण चित्र बनाए, जो प्रभाववाद की आधुनिक कला की देन है। | | ||फ़िल्म नाचे मयुरी को वर्ष 1986 में प्रदर्शित किया गया। यह तेलुगू फ़िल्म मयूरी जो वर्ष 1984 में बनी थी, का हिन्दी रूपांतरण थी। इस फ़िल्म में भरतनाट्यम की नृत्यांगना सुधा चंद्रन ने प्रमुख भूमिका निभाई थी। |
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| {घनवाद से प्रेरणा लेने के उपरांत निजी विशेषता वाले कलाकार का नाम बताइए-(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-129,प्रश्न-38 | | {[[गुप्तकाल]] की सर्वप्रमुख विशेषता क्या है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-219,प्रश्न-246 |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -ब्राक | | -[[मूर्तिकला]] |
| -ओकेनफेन्ट | | +मंदिरों का निर्माण |
| -के.एस. कुलकर्णी | | -[[चित्रकला]] |
| +राजकुमार
| | -काष्ठकला |
| ||राजकुमार जी ने कला का अध्ययन [[पेरिस]] में 'आन्द्रे लाहोत' तथा फर्नांड लेंगर' के निर्देशन किया। इन्होंने वर्ष [[1970]] में जे.आर.डी. फैलोशिप के अंतर्गत [[अमेरिका]] की यात्रा की। राजकुमार जी को चित्रों के द्वारा नई दुनिया की रचना करने वाले 'मनुष्य की सभ्यता' का [[चित्रकार]] कहा जाता है। ये पहले भारतीय थे जिन्होंने अमूर्तकाल (Abstract Art) के लिए अलंकारिक कला (Figurativism) को छोड़ दिया। अमूर्त कला, घनवादी शैली का ही प्रारूप है। | | ||[[गुप्तकाल]] में मंदिरों का निर्माण काफी संख्या में हुआ था। इस काल में [[मूर्तिकला]] एवं [[चित्रकला]] का भी विकास हुआ किंतु सर्वप्रमुख विशेषता मंदिरों का निर्माण ही है। |
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| {[[तैयब मेहता]] का प्रसिद्ध चित्र कौन-सा है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-145,प्रश्न-50 | | {[[सारनाथ]] का 'धमेख-स्तूप' के निर्माणकर्त्ता शासक हैं(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-215,प्रश्न-219 |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -दुर्गा | | +[[मौर्य]] |
| -सरस्वती | | -[[कुषाण]] |
| +काली
| | -शंग |
| -रेवती | | -[[गुप्त]] |
| ||[[तैयब मेहता]] बाम्बे प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट ग्रुप से संबंधित थे। उनके द्वारा चित्रित 'काली का चित्र' सर्वाधिक प्रसिद्ध है जिसकी एक करोड़ रुपये की बोली लगी। वर्ष [[2009]] में इनकी मृत्यु हुई थी।
| | ||'धमेख-स्तूप' एक वृहत स्तूप है जो [[सारनाथ]] में स्थित है। इसका निर्माण मौर्यकाल में हुआ था। यह बेलनकार इमारत है, जिसकी ऊंचाई 43.5 मीटर है जो पत्थर एवं ईंटों की बनी है। |
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| {[[रंग]] को तकनीकी भाषा में कहते हैं- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-159,प्रश्न-16 | | {'तारीख-ए-अल्फी' क्या है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-213,प्रश्न-208 |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| +ह्यू | | -मुगल इतिहास |
| -वैल्यू | | +ईरान का इतिहास |
| -क्रोमा | | -दुनिया का इतिहास |
| -विबग्योर
| | -कश्मीर का इतिहास |
| ||[[रंग]] को तकनीकी भाषा में ह्यू कहते हैं। ह्यू तकनीकी से [[नीला रंग|नीले]], [[पीला रंग|पीले]] और [[लाल रंग]] की विशेषता को जानते हैं। चित्र के एक ही रंग की विशेषता को जानते हैं। चित्र के एक ही [[रंग]] की शुद्धता (हल्का अथवा गहरा) को ज्ञात करने को क्रोमा कहा जाता है जबकि विबग्योर [[सूर्य]] [[प्रकाश]] के वर्ण विक्षेपण के रंगों का नीचे से ऊपर क्रमश: [[बैंगनी रंग|बैंगनी]], जामुनी, नीला, [[हरा रंग|हरा]], [[पीला रंग|पीला]], [[नारंगी रंग|नारंगी]], तथा [[लाल रंग|लाल]]। | | ||'तारीख-ए-अल्फी' में ईरान का इतिहास वर्णित है। इसकी रचना 1582 ई. में अकबर द्वारा नियुक्त एक समिति के द्वारा की गई। |
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| {समान अथवा सामंजस्यपूर्ण अवयवों की पुनरावृत्ति से उत्पन्न निरंतरता को कहते हैं- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-164,प्रश्न-55 | | {[[उत्तर प्रदेश]] में किस स्थान की 'ब्लैक पॉटरी' प्रसिद्ध है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-209,प्रश्न-177 |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -एकता | | -[[चुनार]] |
| +[[लय]]
| | -[[रामपुर]] |
| -प्रभाविता | | -[[लखनऊ]] |
| -संतुलन | | -निजामाबाद |
| ||समान अथवा सामंजस्यपूर्ण अवयवों की पुनरावृत्ति से उत्पन्न निरंतरता को 'लय' कहते हैं। लय समस्त कलाओं की [[आत्मा]] और गति का आधार है। | | ||[[उत्तर प्रदेश]] के [[आजमगढ़ ज़िला|आजमगढ़ जिले]] के निजामाबाद की ब्लैक पॉटरी प्रसिद्ध है। |
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| | {[[ईसाई धर्म]] की पुस्तक बाइबिल मूल रूप से किस भाषा में लिखी गई है? |
| | -लैटिन |
| | -[[अंग्रेजी]] |
| | -[[जर्मनी]] |
| | +हिब्रु |
| | ||[[ईसाई धर्म]] की पुस्तक बाइबिल (Bible) मूल रूप से हिब्रु (Hebrew) भाषा में लिखी गई है। |
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| </quiz> | | </quiz> |
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