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*[[उज्जयिनी]]  के  'कार्दम वंश' का प्रथम [[शक]] [[क्षत्रप]] शासक '''चष्टन''' था।
*[[उज्जयिनी]]  के  'कार्दम वंश' का प्रथम [[शक]] [[क्षत्रप]] शासक '''चष्टन''' था।
*इस वंश का शासन काल सम्भवतः 130 ई. से 388 ई. तक माना जाता है।
*इस वंश का शासन काल सम्भवतः 130 ई. से 388 ई. तक माना जाता है।
*चष्टन सम्भवतः पहले [[कुषाण|कुषाणें]] की अधीनता में [[सिन्ध]] क्षेत्र का क्षत्रप था।
*चष्टन सम्भवतः पहले [[कुषाण|कुषाणें]] की अधीनता में [[सिंध]] क्षेत्र का क्षत्रप था।
*[[नहपान]] की मृत्यु के बाद उसे [[कुषाण साम्राज्य]] के दक्षिण पश्चिमी प्रान्त का वायसराय नियुक्त किया गया था।
*[[नहपान]] की [[मृत्यु]] के बाद उसे [[कुषाण साम्राज्य]] के दक्षिण पश्चिमी प्रान्त का '''वायसराय''' नियुक्त किया गया था।
*वायसराय बनने के बाद उसने अपने अभिलेखों में [[शक संवत]] का प्रयोग किया है।
*वायसराय बनने के बाद उसने अपने अभिलेखों में [[शक संवत]] का प्रयोग किया है।
*'अन्धै' (कच्छखाड़ी) के अभिलेख से ज्ञात होता है कि,130 ई. में चष्टन अपने पौत्र [[रुद्रदामन]] के साथ मिलकर शासन कर रहा था।
*'अन्धै'<ref>कच्छखाड़ी</ref> के अभिलेख से ज्ञात होता है कि 130 ई. में चष्टन अपने [[पौत्र]] [[रुद्रदामन]] के साथ मिलकर शासन कर रहा था।
*चष्टन ने [[चाँदी]] और [[सोना|सोने]] के बहुत सिक्के चलाए, जिनमें से कुछ प्राप्त हुए हैं।
*चष्टन ने [[चाँदी]] और [[सोना|सोने]] के बहुत सिक्के चलाए, जिनमें से कुछ प्राप्त हुए हैं।
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*[[टॉल्मी]] के [[भूगोल]]<ref>140 ई.</ref> से पता चलता है कि, [[अवन्ति]] या पश्चिम [[मालवा]] की राजधानी पर 'हिमास्टेनीज' का अधिकार था।
*इस आधार पर यह कहा जा सकता है कि, चष्टन ने [[नहपान]] द्वारा खोए हुए कुछ प्रदेशों को [[सातवाहन|सातवाहनों]] से पुनः जीतकर [[उज्जैन]] को अपनी राजधानी बनाया था।
*इस आधार पर यह कहा जा सकता है कि, चष्टन ने [[नहपान]] द्वारा खोए हुए कुछ प्रदेशों को [[सातवाहन|सातवाहनों]] से पुनः जीतकर [[उज्जैन]] को अपनी राजधानी बनाया था।


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Latest revision as of 08:31, 24 April 2018

  • उज्जयिनी के 'कार्दम वंश' का प्रथम शक क्षत्रप शासक चष्टन था।
  • इस वंश का शासन काल सम्भवतः 130 ई. से 388 ई. तक माना जाता है।
  • चष्टन सम्भवतः पहले कुषाणें की अधीनता में सिंध क्षेत्र का क्षत्रप था।
  • नहपान की मृत्यु के बाद उसे कुषाण साम्राज्य के दक्षिण पश्चिमी प्रान्त का वायसराय नियुक्त किया गया था।
  • वायसराय बनने के बाद उसने अपने अभिलेखों में शक संवत का प्रयोग किया है।
  • 'अन्धै'[1] के अभिलेख से ज्ञात होता है कि 130 ई. में चष्टन अपने पौत्र रुद्रदामन के साथ मिलकर शासन कर रहा था।
  • चष्टन ने चाँदी और सोने के बहुत सिक्के चलाए, जिनमें से कुछ प्राप्त हुए हैं।
  • टॉल्मी के भूगोल[2] से पता चलता है कि, अवन्ति या पश्चिम मालवा की राजधानी पर 'हिमास्टेनीज' का अधिकार था।
  • इस आधार पर यह कहा जा सकता है कि, चष्टन ने नहपान द्वारा खोए हुए कुछ प्रदेशों को सातवाहनों से पुनः जीतकर उज्जैन को अपनी राजधानी बनाया था।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. कच्छखाड़ी
  2. 140 ई.

संबंधित लेख