अशोक दीवान: Difference between revisions

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'''अशोक दीवान''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Ashok Diwan'', जन्म- [[9 अगस्त]], [[1954]]) [[भारत]] के पूर्व [[हॉकी]] खिलाड़ी हैं। भारत की एकमात्र विश्व कप विजेता हॉकी टीम के सदस्य रहे हैं। अशोक दीवान 1975 में क्वालालंपुर में पाकिस्तान को फाइनल में हराकर विश्व कप जीतने वाली टीम के गोलकीपर थे। अशोक दीवान ने भारत को 1975 में विश्व कप जीतने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसके अलावा, वह 1976 में [[ ओलंपिक|मॉन्ट्रियल ओलंपिक]] में [[हॉकी|भारतीय हॉकी]] टीम का हिस्सा भी रहे थे।
 
 
1975 का विश्व कप जीतना और फाइनल में [[पाकिस्तान]] को शानदार तरीके से हराना अशोक दीवान के खेल जीवन का सबसे यादगार पल था। तब पाकिस्तान एक मजबूत प्रतिद्वंद्वी था।
 
वह मॉन्ट्रियल ओलंपिक के लिए गई भारतीय हॉकी टीम का हिस्सा थे। तब भारत विश्व चैंपियन टीम थी और गोल्ड के लिए सबकी पसंदीदा थी। लेकिन उस ओलंपिक में हॉकी के मैच कृत्रिम मैदान पर कराने का फैसला किया गया, जो भारतीय हॉकी के लिए एक बड़ा झटका साबित हुआ था। अशोक दीवान ने एक इंटरव्यू में बताया था कि ऐसे मैदान पर खेलने के आदी होने के लिए उनको व उनकी टीम को बहुत मशक्कत करनी पड़ी। यहां तक कि प्रैक्टिस के दौरान दीवान के दो दांत भी टूट गए थे। इसके बावजूद भारत उस [[ओलम्पिक खेल|ओलंपिक]] का गोल्ड नहीं जीत पाया था। दीवान ने उस इंटरव्यू में खुलासा किया था कि इस ओलंपिक में [[भारत]] को जब [[ऑस्ट्रेलिया]] के खिलाफ हार मिली, तब वह अपने प्रदर्शन से बेहद निराश थे। इस निराशा में उन्होंने अपना जीवन समाप्त करने का फैसला कर लिया था। तब दीवान 19वीं मंजिल पर थे और बालकनी से कूदने का फैसला कर चुके थे। तब उनके साथियों ने उनको बचाया और उनके साथ बातचीत की। मॉन्ट्रियल में ऑस्ट्रेलिया से मिली हार से उबरने में दीवान को काफी समय लगाया।
 
वह सन [[1976]] के मांट्रियल ओलंपिक में भारतीय टीम के सदस्य थे। उन्हें हॉकी में योगदान के लिये साल [[2002]] में '[[ध्यानचंद पुरस्कार]]' से नवाजा गया था। यह पुरस्कार खेल में आजीवन योगदान के लिए केंद्र सरकार द्वारा दिए जाता है।
 
 
 
 


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thumb|250px|अशोक दीवान अशोक दीवान (अंग्रेज़ी: Ashok Diwan, जन्म- 9 अगस्त, 1954) भारत के पूर्व हॉकी खिलाड़ी हैं। भारत की एकमात्र विश्व कप विजेता हॉकी टीम के सदस्य रहे हैं। अशोक दीवान 1975 में क्वालालंपुर में पाकिस्तान को फाइनल में हराकर विश्व कप जीतने वाली टीम के गोलकीपर थे। अशोक दीवान ने भारत को 1975 में विश्व कप जीतने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसके अलावा, वह 1976 में मॉन्ट्रियल ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम का हिस्सा भी रहे थे।


1975 का विश्व कप जीतना और फाइनल में पाकिस्तान को शानदार तरीके से हराना अशोक दीवान के खेल जीवन का सबसे यादगार पल था। तब पाकिस्तान एक मजबूत प्रतिद्वंद्वी था।

वह मॉन्ट्रियल ओलंपिक के लिए गई भारतीय हॉकी टीम का हिस्सा थे। तब भारत विश्व चैंपियन टीम थी और गोल्ड के लिए सबकी पसंदीदा थी। लेकिन उस ओलंपिक में हॉकी के मैच कृत्रिम मैदान पर कराने का फैसला किया गया, जो भारतीय हॉकी के लिए एक बड़ा झटका साबित हुआ था। अशोक दीवान ने एक इंटरव्यू में बताया था कि ऐसे मैदान पर खेलने के आदी होने के लिए उनको व उनकी टीम को बहुत मशक्कत करनी पड़ी। यहां तक कि प्रैक्टिस के दौरान दीवान के दो दांत भी टूट गए थे। इसके बावजूद भारत उस ओलंपिक का गोल्ड नहीं जीत पाया था। दीवान ने उस इंटरव्यू में खुलासा किया था कि इस ओलंपिक में भारत को जब ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हार मिली, तब वह अपने प्रदर्शन से बेहद निराश थे। इस निराशा में उन्होंने अपना जीवन समाप्त करने का फैसला कर लिया था। तब दीवान 19वीं मंजिल पर थे और बालकनी से कूदने का फैसला कर चुके थे। तब उनके साथियों ने उनको बचाया और उनके साथ बातचीत की। मॉन्ट्रियल में ऑस्ट्रेलिया से मिली हार से उबरने में दीवान को काफी समय लगाया।

वह सन 1976 के मांट्रियल ओलंपिक में भारतीय टीम के सदस्य थे। उन्हें हॉकी में योगदान के लिये साल 2002 में 'ध्यानचंद पुरस्कार' से नवाजा गया था। यह पुरस्कार खेल में आजीवन योगदान के लिए केंद्र सरकार द्वारा दिए जाता है।




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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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