ग़ुलाम मुस्तफ़ा ख़ान
ग़ुलाम मुस्तफ़ा ख़ान
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पूरा नाम | उस्ताद ग़ुलाम मुस्तफ़ा ख़ान |
जन्म | 3 मार्च, 1931 |
जन्म भूमि | बदायूँ, उत्तर प्रदेश |
मृत्यु | 17 जनवरी, 2021 |
कर्म भूमि | भारत |
कर्म-क्षेत्र | भारतीय शास्त्रीय संगीत |
पुरस्कार-उपाधि | पद्म श्री (1991), पद्म भूषण (2006), पद्म विभूषण (2018), संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार |
प्रसिद्धि | शास्त्रीय गायक |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | ग़ुलाम मुस्तफ़ा ख़ान के शिष्यों में सुर सम्राज्ञी लता मंगेशकर, आशा भोंसले, गीता दत्त, मन्ना डे के अतिरिक्त, सोनू निगम, हरिहरन, शान और ए. आर. रहमान का नाम शुमार है। |
ग़ुलाम मुस्तफ़ा ख़ान (अंग्रेज़ी: Ghulam Mustafa Khan, जन्म- 3 मार्च, 1931, बदायूँ, उत्तर प्रदेश; मृत्यु- 17 जनवरी, 2021) भारतीय शास्त्रीय संगीत गायक थे। वह रामपुर सहसवान घराने से ताल्लुक रखते थे। उस्ताद ग़ुलाम मुस्तफ़ा ख़ान की गिनती बेहतरीन संगीतकारों में होती थी, जिसके लिए भारत सरकार ने उन्हें 1991 में पद्म श्री, 2006 में पद्म भूषण और 2018 में पद्म विभूषण से नवाजा था। ग़ुलाम मुस्तफ़ा ख़ान के शिष्यों में प्रसिद्ध फ़िल्मी गायक और सुर सम्राज्ञी लता मंगेशकर, आशा भोंसले, गीता दत्त, मन्ना डे के अतिरिक्त, सोनू निगम, हरिहरन, शान और ए. आर. रहमान का नाम शुमार है।
परिचय
3 मार्च, 1931 को उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले में जन्मे और रामपुर-सहसवान घराने से ताल्लुक रखने वाले गायक ग़ुलाम मुस्तफ़ा ख़ान ने मृणाल सेन की चर्चित फिल्म 'भुवन शोम' से अपने गायकी के कॅरियर की शुरुआत की थी। हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायन के क्षेत्र में दुनिया भर में अपनी एक अलग पहचान बनाने वाले ग़ुलाम मुस्तफ़ा ख़ान ने 'उमराव जान', 'आगमन', 'बस्ती', 'श्रीमान आशिक' जैसी फिल्मों में भी अपनी गायकी का नायाब अंदाज़पेश किया था। उन्हें संगीत के क्षेत्र में 'जूनियर तानसेन' के नाम से भी बुलाया जाता था।[1]
पुरस्कार व सम्मान
left|thumb|250px|ग़ुलाम मुस्तफ़ा ख़ान संगीत के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें भारत सरकार ने 1991 में पद्म श्री, 2006 में पद्म भूषण और 2018 में पद्म विभूषण से नवाजा था। उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।
मृत्यु
दुनियाभर में मशहूर शास्त्रीय गायक उस्ताद ग़ुलाम मुस्तफ़ा ख़ान साहब का 89 साल की उम्र में मुम्बई के बांद्रा स्थित अपने घर में 17 जनवरी, 2021 को निधन हुआ। तकरीबन 15 साल पहले वह ब्रेन स्ट्रोक का शिकार हो गए थे और उन्हें लकवा मार गया था। तभी से वे बीमार चल रहे थे। चलने-फिरने की हालत में नहीं थे और घर में ही उनका इलाज चल रहा था। जनाजे पर तिरंगा लपेटकर उनकी अंतिम यात्रा निकाली गई।
लता मंगेशकर ने अपने ट्विटर अकाउंट पर उस्ताद ग़ुलाम मुस्तफ़ा खान साहब की एक फोटो शेयर की। उन्होंने कैप्शन में लिखा, "मुझे अभी ये दु:खद खबर मिली है कि महान शास्त्रीय गायक उस्ताद उस्ताद ग़ुलाम मुस्तफ़ा खान साहब खान इस दुनिया में नहीं रहे। ये सुनकर मुझे बहुत दु:ख हुआ है। वो गायक तो अच्छे थे ही पर इंसान भी बहुत अच्छे थे"। लता जी ने एक और ट्वीट में लिखा, "मेरी भांजी ने भी खान साहब से संगीत सीखा है। मैंने भी उनसे थोड़ा संगीत सीखा था। उनके जाने से संगीत की दुनिया को हानि हुई है। मैं उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं"।[2]
भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने ट्विटर हैंडल से उस्ताद ग़ुलाम मुस्तफ़ा खान के साथ की एक तस्वीर शेयर की। इसके साथ उन्होंने लिखा, "उस्ताद ग़ुलाम मुस्तफ़ा खान साहब के निधन से हमारी सांस्कृतिक दुनिया को एक बड़ी क्षति पहुंची है। वह संगीत क्षेत्र की अग्रणी हस्ती थे, रचनात्मकता के दिग्गज थे जिनकी रचनाओं ने उन्हें कई पीढ़ियों तक पहुंचाया। उनके साथ संवाद की मेरी खूबसूरत यादें हैं। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदना"।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ नहीं रहे शास्त्रीय गायक उस्ताद ग़ुलाम मुस्तफ़ा ख़ान साहब (हिंदी) abplive.com। अभिगमन तिथि: 18 जनवरी, 2020।
- ↑ लता मंगेशकर को संगीत सिखाने वाले उस्ताद ग़ुलाम मुस्तफ़ा का निधन (हिंदी) bollywoodkhazana.in। अभिगमन तिथि: 18 जनवरी, 2020।
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