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| <quiz display=simple> | | <quiz display=simple> |
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| {'[[राउफ नृत्य|रउफ]]' किस राज्य की प्रमुख [[लोक नृत्य]] शैली है?
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| |type="()"}
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| -[[गुजरात]]
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| -[[पश्चिम बंगाल]]
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| +[[जम्मू-कश्मीर]]
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| -[[हिमाचल प्रदेश]]
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| ||[[चित्र:Gulmarg-Jammu-And-Kashmir.jpg|right|120px|गुलमर्ग]]'जम्मू-कश्मीर' भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी भाग में पश्चिमी पर्वत श्रेणियों के निकट स्थित है। इस राज्य में [[मुस्लिम|मुस्लिमों]] द्वारा मनाए जाने वाले चार प्रमुख त्योहार हैं- [[ईद-उल-फितर]], [[ईद उल ज़ुहा]], [[ईद-ए-मिलाद]] या मीलादुन्नबी और मेराज आलम। [[मुहर्रम]] भी यहाँ बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता हैं। [[भारत]] में प्रचलित कुछ प्रमुख [[लोक नृत्य]] शैलियों में से एक [[रउफ नृत्य]] यहाँ का प्रसिद्ध [[नृत्य कला|नृत्य]] है। यह नृत्य मुख्यत: कश्मीरी स्त्रियों द्वारा किया जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जम्मू-कश्मीर]]
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| {निम्नलिखित [[लोक नृत्य]] और राज्यों के युग्मों में कौन-सा एक सुमेलित नहीं है?
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| |type="()"}
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| -[[तमाशा]] - [[महाराष्ट्र]]
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| +[[घूमर नृत्य|घूमर]] - [[हरियाणा]]
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| -[[कजरी]] - [[उत्तर प्रदेश]]
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| -[[गिद्दा नृत्य|गिद्दा]] - [[पंजाब]]
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| ||[[चित्र:Ghoomar-Dance.jpg|right|100px|घूमर नृत्य करती महिलाएँ]]'घूमर नृत्य' [[राजस्थान]] के प्रसिद्ध [[लोक नृत्य|लोक नृत्यों]] में से एक है। यह नृत्य राजस्थान में प्रचलित अत्यंत लोकप्रिय नृत्य है, जिसमें केवल स्त्रियाँ ही भाग लेती हैं। इसमें लहँगा पहने हुए स्त्रियाँ गोल घेरे में लोकगीत गाती हुई नृत्य करती हैं। जब ये महिलाएँ विशिष्ट शैली में नाचती हैं तो उनके लहँगे का घेर एवं हाथों का संचालन अत्यंत आकर्षक होता है। [[घूमर नृत्य]] तीज-त्योहारों, जैसे- [[होली]], दुर्गापूजा, [[नवरात्रि]] तथा [[गणगौर]] एवं विभिन्न देवियों की [[पूजा]] के अवसर पर आयोजित होता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[घूमर नृत्य]]
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| {[[भीमबेटका गुफ़ाएँ भोपाल|भीमबेटका गुफ़ाएँ]] किसके लिए प्रसिद्ध है?
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| |type="()"}
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| +गुफ़ाओं के शैलचित्र
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| -[[खनिज]]
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| -[[बौद्ध]] प्रतिमाएँ
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| -[[सोन नदी]] का उद्गम स्थल
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| ||[[चित्र:Bhimbetka-Caves-Bhopal.jpg|right|100px|भीमबेटका गुफ़ाएँ]]'भीमबेटका गुफ़ाएँ' [[भारत]] के [[मध्य प्रदेश]] प्रान्त के [[रायसेन ज़िला|रायसेन ज़िले]] में स्थित हैं। ये गुफ़ाएँ [[भोपाल]] से 46 किलोमीटर की दूरी पर दक्षिण में मौजूद हैं। गुफ़ाएँ चारों तरफ़ से [[विंध्य पर्वतमाला|विंध्य पर्वतमालाओं]] से घिरी हुईं हैं, जिनका संबंध 'नव पाषाणकाल' से है। भीमबेटका गुफ़ाओं में बनी चित्रकारियाँ यहाँ रहने वाले पाषाण कालीन मनुष्यों के जीवन को दर्शाती हैं। गुफ़ाएँ [[प्रागैतिहासिक काल]] की चित्रकारियों और मानव द्वारा बनाये गए शैलचित्रों और शैलाश्रयों के लिए भी प्रसिद्ध हैं। गुफ़ाओं की सबसे प्राचीन चित्रकारी 12000 साल पुरानी मानी जाती हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[भीमबेटका गुफ़ाएँ भोपाल|भीमबेटका]]
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| {[[जैन धर्म]] में मान्य 24 तीर्थंकरों के क्रम में अंतिम [[तीर्थंकर]] कौन थे?
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| |type="()"}
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| -[[पार्श्वनाथ तीर्थंकर|पार्श्वनाथ]]
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| -[[ऋषभदेव]]
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| +[[महावीर]]
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| -[[नेमिनाथ तीर्थंकर|नेमिनाथ]]
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| ||[[चित्र:Mahaveer.jpg|right|100px|वर्धमान महावीर]]'महावीर' या 'वर्धमान महावीर' [[जैन धर्म]] के प्रवर्तक भगवान [[ऋषभनाथ तीर्थंकर|ऋषभनाथ]] की परम्परा में 24वें [[तीर्थंकर]] थे। इनका जीवन काल 599 ई. ईसा पूर्व से 527 ई. ईसा पूर्व तक माना जाता है। भगवान [[महावीर|महावीर स्वामी]] का जन्म कुंडलपुर, [[वैशाली]] के 'इक्ष्वाकु वंश' में [[चैत्र मास]] के [[शुक्ल पक्ष]] की [[त्रयोदशी]] को [[उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र]] में हुआ था। इनकी [[माता]] का नाम त्रिशला देवी और [[पिता]] का नाम राजा सिद्धार्थ था। [[कलिंग]] नरेश की कन्या यशोदा से महावीर का [[विवाह]] हुआ। किंतु 30 वर्ष की उम्र में अपने ज्येष्ठबंधु की आज्ञा लेकर इन्होंने घर-बार छोड़ दिया और तपस्या करके '[[कैवल्य ज्ञान]]' प्राप्त किया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[महावीर]]
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| {[[बौद्ध धर्म]] में [[स्तूप]] किसका प्रतीक है?
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| |type="()"}
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| -महाभिनिष्क्रमण
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| -धर्मचक्रप्रवर्तन
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| -समाधि
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| +महापरिनिर्वाण
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| ||[[चित्र:Sanchi-Stupa.jpg|right|100px|बुद्ध स्तूप, साँची]]'स्तूप' एक गुम्बदाकार भवन हुआ करता था, जो [[महात्मा बुद्ध]] से संबंधित सामग्री या स्मारक के रूप में स्थापित किया जाता था। [[स्तूप]] का शाब्दिक अर्थ है- 'किसी वस्तु का ढेर'। स्तूप का विकास ही संभवतः [[मिट्टी]] के ऐसे चबूतरे से हुआ, जिसका निर्माण मृतक की चिता के ऊपर अथवा मृतक की चुनी हुई अस्थियों को रखने के लिए किया जाता था। महात्मा गौतम बुद्ध के जीवन की प्रमुख घटनाओं- जन्म, सम्बोधि, धर्मचक्रप्रवर्तन तथा [[निर्वाण]] से सम्बन्धित स्थानों पर भी स्तूपों का निर्माण किया गया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[स्तूप]]
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| {गायन के क्षेत्र में [[संयुक्त राष्ट्र]] में गायन का गौरव निम्न में से किसे प्राप्त है?
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| |type="()"}
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| -अनूप जलोटा
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| -[[भूपेन हज़ारिका]]
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| -[[लता मंगेशकर]]
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| +[[एम.एस. सुब्बुलक्ष्मी]]
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| ||[[चित्र:Subbulakshami.jpg|right|100px|एम.एस. सुब्बुलक्ष्मी]]'एम.एस. सुब्बुलक्ष्मी' को 'कर्नाटक संगीत' का पर्याय माना जाता है। वह [[भारत]] की ऐसी पहली [[शास्त्रीय संगीत]] गायिका थीं, जिन्हें सर्वोच्च नागरिक अलंकरण '[[भारत रत्न]]' से सम्मानित किया गया था। उनके गाये हुए गाने, ख़ासकर भजन आज भी लोगों के बीच काफ़ी लोकप्रिय हैं। [[एम.एस. सुब्बुलक्ष्मी]] ने जब [[संयुक्त राष्ट्र]] की असेम्बली में अपना गायन पेश किया था, तो प्रसिद्ध पत्र न्यूयार्क टाइम्स ने लिखा था कि "वे अपने संगीत के द्वारा पश्चिम के श्रोताओं से जो सम्पर्क स्थापित करती हैं, उसके लिए यह आवश्यक नहीं कि श्रोता उनके शब्दों का अर्थ समझें।"{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[एम.एस. सुब्बुलक्ष्मी]]
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| {[[ऋग्वेद]] में सूक्तों की कुल संख्या कितनी है?
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| |type="()"}
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| -1007
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| -1017
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| -1027
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| +1028
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| ||[[चित्र:Rigveda.jpg|right|100px|ऋग्वेद का आवरण पृष्ठ]]'ऋग्वेद' सनातन धर्म अथवा [[हिन्दू धर्म]] का स्रोत है। इसमें 1028 सूक्त हैं, जिनमें [[देवता|देवताओं]] की स्तुति की गयी है। इस [[ग्रंथ]] में देवताओं का [[यज्ञ]] में आह्वान करने के लिये [[मन्त्र]] हैं। यही सर्वप्रथम [[वेद]] माना जाता है। [[ऋग्वेद]] को दुनिया के सभी इतिहासकार हिन्द-यूरोपीय भाषा परिवार की सबसे पहली रचना मानते हैं। ये दुनिया के सर्वप्रथम ग्रन्थों में से एक है। ऋक् संहिता में 10 मंडल, बालखिल्य सहित 1028 सूक्त हैं। वेद मंत्रों के समूह को 'सूक्त' कहा जाता है, जिसमें एकदैवत्व तथा एकार्थ का ही प्रतिपादन रहता है। ऋग्वेद के सूक्त विविध देवताओं की स्तुति करने वाले भाव भरे गीत हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[ऋग्वेद]]
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| {[[मुग़ल चित्रकला]] किसके राज्य काल में अपनी पराकाष्ठा पर पहुँची?
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| |type="()"}
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| -[[हुमायूँ]]
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| +[[जहाँगीर]]
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| -[[अकबर]]
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| -[[शाहजहाँ]]
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| ||[[चित्र:Jahangir-Tomb-Lahore.jpg|right|100px|जहाँगीर का मक़बरा, लाहौर]][[मुग़ल]] बादशाह होने के साथ-साथ [[जहाँगीर]] के चरित्र में एक अच्छा लक्षण यह भी था कि वह प्रकृति का [[हृदय]] से आनंद लेता था। [[फूल|फूलों]] को प्यार करना, उत्तम सौन्दर्य को परखना और बोधात्मक रुचि से वह सम्पन्न था। स्वयं [[चित्रकार]] होने के कारण जहाँगीर [[कला]] एवं [[साहित्य]] का पोषक था। 'किराना घराने' की उत्पत्ति का मुख्य श्रेय जहाँगीर को ही दिया जाता है। उसका 'तुजूक-ए-जहाँगीरी' संस्मरण उसकी साहित्यिक योग्यता का प्रमाण है। जहाँगीर ने एक आदर्श प्रेमी की तरह 1615 ई. में [[लाहौर]] में संगमरमर की एक सुन्दर क़ब्र बनवायी थी, जिस पर एक प्रेमपूर्ण [[अभिलेख]] था- '''यदि मै अपनी प्रेयसी का चेहरा पुनः देख पाता, तो क़यामत के दिन तक अल्लाह को धन्यवाद देता रहता।'''{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जहाँगीर]]
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| {[[महाभारत]] का मौलिक नाम क्या था?
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| |type="()"}
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| -[[वृहत्कथामंजरी]]
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| -[[राजतरंगिणी]]
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| -[[कथासरित्सागर]]
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| +[[जयसंहिता]]
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| ||[[हिन्दू|हिन्दुओं]] के प्रमुख धार्मिक ग्रंथों में से एक [[महाभारत]] में मूलतः 8800 [[श्लोक]] थे तथा इसका नाम '[[जयसंहिता]]' (विजय संबंधी ग्रंथ) था। बाद में इसके श्लोकों की संख्या 24000 होने के पश्चात यह वैदिक जन [[भरत (दुष्यंत पुत्र)|भरत]] के वंशजों की कथा होने के कारण 'भारत' कहलाया। कालान्तर में [[गुप्त काल]] में श्लोकों की संख्या बढ़कर एक लाख तक होने पर यह 'शतसाहस्त्री संहिता' या 'महाभारत' कहलाया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जयसंहिता]]
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| {'भातखण्डे संगीत महाविद्यालय' कहाँ स्थित है?
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| |type="()"}
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| +[[लखनऊ]]
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| -[[अहमदाबाद]]
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| -[[चण्डीगढ़]]
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| -[[इलाहाबाद]]
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| ||[[चित्र:Chota-Imambara-Lucknow.jpg|right|120px|छोटा इमामबाड़ा, लखनऊ]]लखनऊ को ऐतिहासिक रूप से 'अवध क्षेत्र' के नाम से जाना जाता था। पुरातत्त्ववेत्ताओं के अनुसार इसका प्राचीन नाम 'लक्ष्मणपुर' था। [[राम]] के छोटे भाई [[लक्ष्मण]] ने इसे बसाया था। [[लखनऊ]] को 'नवाबों का शहर' भी कहा जाता था। इस शहर को 'पूर्व का स्वर्णनगर' और 'शिराज-ए-हिन्द' के रूप में भी जाना जाता था। [[कला]] और [[संस्कृति]] के संरक्षक [[अवध]] के नवाबों के शासनकाल में की गई [[मुग़ल चित्रकला|मुग़ल चित्रकारी]] आज भी कई संग्रहालयों में सुरक्षित है। यहाँ [[बड़ा इमामबाड़ा लखनऊ|बड़ा इमामबाड़ा]], [[छोटा इमामबाड़ा लखनऊ|छोटा इमामबाड़ा]] तथा [[रूमी दरवाज़ा लखनऊ|रूमी दरवाज़ा]], [[मुग़ल कालीन स्थापत्य एवं वास्तुकला|मुग़ल वास्तुकला]] के अद्भुत उदाहरण हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[लखनऊ]]
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| {[[यहूदी|यहूदियों]] का पूजा स्थल क्या कहलाता है? | | {[[यहूदी|यहूदियों]] का पूजा स्थल क्या कहलाता है? |
| |type="()"} | | |type="()"} |
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| -मज़ार | | -मज़ार |
| -[[चर्च]] | | -[[चर्च]] |
| | ||[[चित्र:Judaism.jpg|right|100px|यहूदी धर्म का प्रतीक चिह्न]]यहूदियों का [[यहूदी धर्म]] 'एकेश्वरवादी' धर्म है, जो यह मानता है कि ईश्वर की उपस्थिति का अनुभव मानव गतिविधियों और [[इतिहास]] द्वारा होता है। यह उपस्थिति कुछ मान्यताओं और मूल्यों की अभिव्यक्ति है, जो कर्म, सामाजिक व्यवस्था और [[संस्कृति]] में दृष्टिगोचर होती है। यहूदियों के मंदिर या पूजा स्थल को '[[सिनागौग]]' कहा जाता है, जबकि मन्दिर के [[पुरोहित]] को '[[रबी (यहूदी धर्म)|रबी]]' कहते हैं। '[[धर्मपिटक (यहूदी धर्म)|धर्मपिटक]]' पूजा स्थल सिनागौग में रखा कीकट की लकड़ी का स्वर्ण जड़ित एक पिटक है, जिसमें दस धर्मसूत्रों की प्रति रखी होती है। इसे 'धर्म प्रतिज्ञा की नौका' भी कहते हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[यहूदी धर्म]] |
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| {'कीर्तन' कहाँ का प्रमुख [[लोक नृत्य]] है? | | {'कीर्तन' कहाँ का प्रमुख [[लोक नृत्य]] है? |