वैद्यनाथ का हार्द शक्तिपीठ: Difference between revisions

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*पुस्तक- महाशक्तियाँ और उनके 51 शक्तिपीठ | लेखक- गोपालजी गुप्त | पृष्ठ संख्या-105 | प्रकाशक- पुस्तक महल
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Latest revision as of 12:33, 29 September 2014

वैद्यनाथ का हार्द शक्तिपीठ
वर्णन 'वैद्यनाथ का हार्द शक्तिपीठ' भारतवर्ष के अज्ञात 108 एवं ज्ञात 51 शक्तिपीठों में से एक है। इसका हिन्दू धर्म में बड़ा ही महत्त्व है।
स्थान गिरिडीह, झारखण्ड
देवी-देवता शक्ति- जयदुर्गा तथा शिव- वैद्यनाथ
संबंधित लेख शक्तिपीठ, सती, शिव, पार्वती
धार्मिक मान्यता ऐसा माना जाता है कि यहाँ सती का हृदय गिरा था और यहीं पर सती का दाह-संस्कार भी हुआ था।
अन्य जानकारी पद्म पुराण के अनुसार हृदय पीठ के समान महत्त्वपूर्ण शक्तिपीठ पूरे ब्रह्माण्ड में अन्यत्र नहीं है।

वैद्यनाथ का हार्द शक्तिपीठ 51 शक्तिपीठों में से एक है। हिन्दू धर्म के पुराणों के अनुसार जहां-जहां सती के अंग के टुकड़े, धारण किए वस्त्र या आभूषण गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठ अस्तित्व में आये। ये अत्यंत पावन तीर्थस्थान कहलाये। ये तीर्थ पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर फैले हुए हैं। देवीपुराण में 51 शक्तिपीठों का वर्णन है।

संक्षिप्त परिचय

  • शिव तथा सती के ऐक्य का प्रतीक बिहार (अब झारखण्ड) के गिरिडीह जनपद में स्थित वैद्यनाथ का हार्द या हृदय पीठ है और शिव का वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग भी यहीं है।
  • यह स्थान चिताभूमि में है। यहाँ सती का हृदय गिरा था। यहाँ की शक्ति 'जयदुर्गा' तथा शिव 'वैद्यनाथ' हैं।
  • एक मान्यतानुसार यहीं पर सती का दाह-संस्कार भी हुआ था।
  • पद्मपुराणानुसार हृदयपीठ के समान महत्त्वपूर्ण शक्तिपीठ पूरे ब्रह्माण्ड में अन्यत्र नहीं है- "हार्दपीठस्य सदृशे: नाऽस्ति भूगोल मण्डले"।[1]
  • देवी भागवत में वैद्यनाथ धाम को बागलामुखी का उत्कृष्ट स्थान कहा गया है तथा यहाँ की शक्ति को 'आरोग्य' कहा गया है।
  • मत्स्यपुराण में 'आरोग्या वैद्यनाये तु' प्रमाण मिलता है।
  • शंकराचार्य ने 12 ज्योर्तिर्लिंगों के स्वरूप वर्णन में वैद्यनाथ को शक्तियुक्त कहा है-

पूर्वोत्तरे प्रज्वलिकानिधाने सदा वसंतं गिरिजासमेतम।
सुरासुराराधिपाद पद्मं श्री वैद्यनाथ तमहं नमामि॥[2]

  • पटना से कोलकाता रेलमार्ग पर स्थित कियूल स्टेशन से 100 कि.मी. दक्षिण वैद्यनाथ धाम (देवगढ़) स्टेशन है।
  • यहीं सती का हार्द पीठ भी है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. पद्मपुराण, पाताल खण्ड
  2. शंकराचार्य-भाष्य
  • पुस्तक- महाशक्तियाँ और उनके 51 शक्तिपीठ | लेखक- गोपालजी गुप्त | पृष्ठ संख्या-105 | प्रकाशक- पुस्तक महल

बाहरी कड़ियाँ

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