आन (1952 फ़िल्म): Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
रिंकू बघेल (talk | contribs) ('{{सूचना बक्सा फ़िल्म |चित्र=Aan(1952).jpg |चित्र का नाम=आन (1952 फ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
रिंकू बघेल (talk | contribs) m (रिंकू बघेल ने आन (1958 फ़िल्म) पर पुनर्निर्देश छोड़े बिना उसे आन (1952 फ़िल्म) पर स्थानांतरित किया) |
||
(No difference)
|
Latest revision as of 13:08, 7 July 2017
आन (1952 फ़िल्म)
| |
निर्देशक | महबूब ख़ान |
निर्माता | महबूब ख़ान |
लेखक | आर. एस. चौधरी |
संवाद | एस. अली रज़ा |
कलाकार | दिलीप कुमार, नादिरा, निम्मी, मुकरी, शीलाबाज, प्रेमनाथ। |
संगीत | नौसाद |
संपादन | शमसुद्दीन कादरी |
प्रदर्शन तिथि | 4 जुलाई, 1952 |
अवधि | 161 मिनट |
भाषा | हिन्दी, उर्दू |
अन्य जानकारी | 'आन' महबूब ख़ान की पहली रंगीन फ़िल्म थी, जिसमें होली के रंगों को पहली बार पर्दे पर देखा गया था। |
आन (अंग्रेज़ी: Aan) 1952 में बनी हिन्दी भाषा की फ़िल्म है। इस फ़िल्म में अन्य साथी कलाकारों के साथ हिन्दी सिनेमा के अभिनेता दिलीप कुमार ने प्रमुख भूमिका निभायी थी। उन दिनों भारत की पहली रंगीन फ़िल्म 'आन' की आउटडोर शूटिंग का ज्यादातर हिस्सा नरसिंहगढ़ और इसके आसपास के इलाकों में फ़िल्माया गया था। फ़िल्म सन 1949 में बननी शुरू हुई थी और सन 1952 में रिलीज़ हुई थी। इसमें नरसिंहगढ़ का क़िला, जलमंदिर, कोटरा के साथ देवगढ़, कंतोड़ा, रामगढ़ के जंगल, गऊघाटी के हिस्सों में फ़िल्म के बड़े हिस्से को शूट किया गया था। फ़िल्म को देश के पहले शोमैन महबूब ख़ान ने बनाया था। जिनकी सन 1957 में रिलीज क्लासिक फ़िल्म 'मदर इंडिया' विश्व सिनेमा के इतिहास का महत्त्वपूर्ण दस्तावेज़ है। फ़िल्म में दिलीप कुमार, नादिरा, निम्मी, मुकरी, शीलाबाज, प्रेमनाथ, कुक्कू, मुराद ने प्रमुख भूमिकाएं निभाई थीं।[1]
पहली रंगीन फ़िल्म
हिन्दी सिनेमा की फ़िल्मों में पर्दे पर पहली बार होली फ़िल्म ‘औरत’ में खेली गई थी। यह ब्लैक एंड वाइट फ़िल्म साल 1940 में रिलीज़ हुई थी। यह फ़िल्म फ़िल्मकार महबूब ख़ान के निर्देशन में बनी थी, लेकिन पर्दे पर यह होली के रंग देखे नहीं जा सके। महबूब ख़ान की 1952 में आई फ़िल्म ‘आन’ में होली के असली रंग पर्दे पर देखने को मिले। इससे पहले फ़िल्मों में होली तो दिखती थी, लेकिन रंग नज़र नहीं आते थे। जाहिर है, जब रंगीन फ़िल्म आई, तो रंग भी पर्दे पर नज़र आए। यह नादिरा की डेब्यू फ़िल्म थी। नादिरा वाले किरदार के लिए महबूब ख़ान की पहली पसंद नर्गिस थीं।
इससे पहले 1933 में आई 'सैरंध्री' देश की पहली रंगीन फ़िल्म थी, लेकिन इसका प्रिंट साफ़ न होने की वजह से ये रिकॉर्ड 1937 में बनी 'किसान कन्या' के नाम हो गया।
प्रमुख कलाकार
- दिलीप कुमार
- प्रेमनाथ
- नादिरा
- निम्मी
- मुराद
- मुकरी
- कुक्कू
संगीत
इस फ़िल्म के अधिकतर गानों को बहुचर्चित गायक व लोकप्रिय जोड़ी लता मंगेशकर एवं मोहम्मद रफ़ी ने अपनी आवाज़ दी।
गीत | गायक |
---|---|
'मान मेरा एहसान' | मोहम्मद रफ़ी |
'दिल में छुपा के प्यार का' | मोहम्मद रफ़ी |
'तुझे खो दिया हमने' | लता मंगेशकर |
'आज मेरे मन में' | लता मंगेशकर |
'मोहब्बत चूमे जिनके हाथ' | मोहम्मद रफ़ी |
'गाओ तराने मन के' | मोहम्मद रफ़ी, लता मंगेशकर एवं शमशाद बेगम |
'टकरा गया तुमसे' | मोहम्मद रफ़ी |
'खेलो रंग हमारे संग' | लता मंगेशकर एवं शमशाद बेगम |
'आग लगी तन मन में' | शमशाद बेगम |
'मैं रानी हूँ राजा की' | शमशाद बेगम |
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ आन फ़िल्म में है नरसिंगढ़ किले का दृश्य (हिंदी) www.bhaskar.com। अभिगमन तिथि: 07 जुलाई, 2017।