ऋषभ पर्वत: Difference between revisions

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'''ऋषभ''' [[श्रीमद्भागवत]]<ref>[[श्रीमद्भागवत]]-5,19,16</ref> में उल्लेखित एक [[पर्वत]] है, जिसका नामोल्लेख [[मैनाक]], [[चित्रकूट]] और कूटक [[पर्वत|पर्वतों]] के साथ है-  
<blockquote>'मंगलप्रस्थो मैंआकस्त्रिकूटः ऋषभः कूटकः विंध्यःशुक्तिमानृक्षगिरिः'।</blockquote>  
<blockquote>'मंगलप्रस्थो मैंआकस्त्रिकूटः ऋषभः कूटकः विंध्यःशुक्तिमानृक्षगिरिः'।</blockquote>  
* यह विंध्यांचल के ही किसी [[पर्वत |पहाड़]] का नाम जान पड़ता है। [[ऋक्ष]] से यह भिन्न है क्योंकि उपर्युक्त उद्धरण में दोनों के नाम अलग-अलग हैं। संभव है यह [[कोसल|दक्षिण-कोसल]] अथवा [[विंध्य पर्वत|पूर्व विंध्य]] की श्रेणियों का कोई [[पर्वत]] हो क्योंकि ऋषभ नामक [[तीर्थ]] संभवतः इसी प्रदेश में था। [[ऋक्ष]] और ऋषभ भिन्न होते हुए भी एक ही भूभाग में स्थित थे- यह भी अनुमानसिद्ध जान पड़ता है।
* यह [[विंध्याचल]] के ही किसी [[पर्वत |पहाड़]] का नाम जान पड़ता है। [[ऋक्ष]] से यह भिन्न है क्योंकि उपर्युक्त उद्धरण में दोनों के नाम अलग-अलग हैं। संभव है यह [[कोसल|दक्षिण-कोसल]] अथवा [[विंध्य पर्वत|पूर्व विंध्य]] की श्रेणियों का कोई [[पर्वत]] हो क्योंकि '''ऋषभ''' नामक [[तीर्थ]] संभवतः इसी प्रदेश में था। [[ऋक्ष]] और ऋषभ भिन्न होते हुए भी एक ही भूभाग में स्थित थे- यह भी अनुमान सिद्ध जान पड़ता है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=106|url=}}</ref>
* [[कोसल|दक्षिण-कोसल]] का एक [[तीर्थ]]-
 
<blockquote>'ऋषभतीर्थ्मासद्य कोसलायां नराधिप'।<ref>महा. वन. 85,10</ref></blockquote>
* इससे पूर्व के [[श्लोक]] में [[नर्मदा]] और [[शोण नदी |शोण]] के उद्भव पर [[वंशगुल्म |वंशगुल्म तीर्थ]] का उल्लेख है। इससे स्पष्ट है कि ऋषभ [[महाभारत]] के अनुसार [[अमरकंटक]] की [[पर्वत|पहाड़ियों]] में ही स्थित होगा। यह तथ्य [[रायगढ़ ज़िला|रायगढ़]] [[मध्य प्रदेश |(म.प्र.)]] से 30 मील दूर स्थित उसभ नामक स्थान से प्राप्त एक [[शिलालेख]] से प्रमाणित होता है। जिसमें उसभ का प्राचीन नाम ऋषभ दिया हुआ है। संभव है ऋषभ पर्वत उसभ की निकटवर्ती [[पर्वत|पहाड़ियों]] में ही स्थित होगा।
* [[वाल्मीकि]] [[रामायण|रामायण युद्ध कांड]] 74,30 में उल्लिखित कैलास के निकट एक [[पर्वत]]-
<blockquote>'ततः कांचनमत्युग्रभृषभं पर्वतोत्तमम'।</blockquote>
* [[विष्णुपुराण|विष्णु-पुराण]] 2,2,29 के अनुसार इसकी स्थिति मेरू के उत्तर कि ओर है-
<blockquote>'शखवूटोअय ऋषभो हंसो नागस्तथापरः'।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=106|url=}}</ref></blockquote>





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ऋषभ श्रीमद्भागवत[1] में उल्लेखित एक पर्वत है, जिसका नामोल्लेख मैनाक, चित्रकूट और कूटक पर्वतों के साथ है-

'मंगलप्रस्थो मैंआकस्त्रिकूटः ऋषभः कूटकः विंध्यःशुक्तिमानृक्षगिरिः'।

  • यह विंध्याचल के ही किसी पहाड़ का नाम जान पड़ता है। ऋक्ष से यह भिन्न है क्योंकि उपर्युक्त उद्धरण में दोनों के नाम अलग-अलग हैं। संभव है यह दक्षिण-कोसल अथवा पूर्व विंध्य की श्रेणियों का कोई पर्वत हो क्योंकि ऋषभ नामक तीर्थ संभवतः इसी प्रदेश में था। ऋक्ष और ऋषभ भिन्न होते हुए भी एक ही भूभाग में स्थित थे- यह भी अनुमान सिद्ध जान पड़ता है।[2]



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. श्रीमद्भागवत-5,19,16
  2. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 106 |

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