ताप्ती नदी: Difference between revisions
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Revision as of 06:40, 27 August 2012
thumb|250px|ताप्ती नदी ताप्ती नदी को 'तापी नदी' भी कहा जाता है। यह नदी मध्य भारत, दक्षिण मध्य प्रदेश राज्य, दक्कन के पठार में गाविलगढ़ पहाड़ियों से निकलती है। यह नदी पश्चिम की ओर सतपुड़ा श्रेणी के दो पहाड़ों के बीच से होकर महाराष्ट्र राज्य के जलगाँव पठार को पार करके गुजरात राज्य में सूरत के मैदान से होते हुए खंभात की खाड़ी में गिरती है।
पौराणिक उल्लेख
- विष्णुपुराण[1] में ताप्ती को ऋक्ष पर्वत से उद्भूत माना गया है-
‘तापी पयोष्णीनिर्विध्याप्रमुखा ऋक्षसंभवा:’
- श्रीमद्भागवत में ताप्ती और उसकी शाखा पयोष्णी का एक साथ उल्लेख है-
‘कृष्णा वेण्या भीमरथी गोदावरी निर्विध्या पयोष्णी तापी रेवा-’।
वास्तव में पयोष्णी, ताप्ती में दक्षिण-पूर्व से आकर मिलती है। ताप्ती नदी सूरत के पास 'खंभात की खाड़ी' (अरब सागर) में गिरती है। महाभारत में ताप्ती या तापी का संभवत: पयोष्णी के रूप में उल्लेख है। इस नदी के तापी, ताप्ती और पयोष्णी (गर्मजल वाली नदी) आदि नाम इसके गर्म जल के पहाड़ी स्त्रोतों के कारण सार्थक जान पड़ते हैं।
भौगोलिक तथ्य
ताप्ती नदी की कुल लंबाई लगभग 700 किलोमीटर है, और यह 65,300 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को अपवाहित करती है। अपने मार्ग के अंतिम 51 किलोमीटर में यह नदी ज्वारीय, लेकिन छोटे जहाज़ों के लिए परिवहनीय है। नदी के मुहाने पर स्थित स्वाली बंदरगाह है, जो कभी आंग्ल-पुर्तग़ाली उपनिवेश इतिहास में विख्यात था। स्वाली बंदरगाह गाद जमा हो जाने के कारण अब बंद हो चुका है। ताप्ती नदी अपने उत्तर में बहने वाली अपेक्षाकृत लंबी नर्मदा नदी के लगभग समानांतर बहती है, जिससे यह मुख्य सतपुड़ा श्रेणी द्वारा विभाजित होती है। दो नदी घाटियाँ और इनके बीच की श्रेणियाँ, उत्तरी और प्रायद्वीपीय भारत के बीच एक प्राकृतिक अवरोध बनाती हैं। महाराष्ट्र में दक्षिण से बहने वाली पूर्णा, गिरना और पंझरा इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ विष्णुपुराण 2, 3, 11.
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