हर्पिस जोस्टर: Difference between revisions

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*महीनों या सालों तक लगातार दर्द रहना
*महीनों या सालों तक लगातार दर्द रहना
*स्पर्श के प्रति अतिसंवेदनशीलता
*स्पर्श के प्रति अतिसंवेदनशीलता
*पोस्टथर्पेटिक न्यूरेल्जिया या रोग निदान के बाद प्रायः सिर के सामने के भाग (ललाट) या छाती में दर्द रहता है। इस दर्द के कारण दैनिक कार्य़कलाप, जैसे-खाना, सोना आदि मुश्किल हो जाता है। शिंगल्स के दीर्घकालिक तीव्र दर्द के कारण रोगी अवसादग्रस्त हो सकता है।
*पोस्टथर्पेटिक न्यूरेल्जिया या रोग निदान के बाद प्रायः सिर के सामने के भाग (ललाट) या छाती में दर्द रहता है। इस दर्द के कारण दैनिक कार्यकलाप, जैसे-खाना, सोना आदि मुश्किल हो जाता है। शिंगल्स के दीर्घकालिक तीव्र दर्द के कारण रोगी अवसादग्रस्त हो सकता है।
   
   
==रोग की जांच और पहचान==
==रोग की जांच और पहचान==

Latest revision as of 07:18, 23 July 2014

हर्पिस जोस्टर अथवा शिंगल्स (अंग्रेज़ी: Herpes zoster OR Shingles) बुजुर्ग लोगों और कमज़ोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों में तनाव, चोट, कुछ दवाओं या अन्य कारणों से होता है। शिंगल्स का सबसे सामान्य लक्षण है- शरीर के एक ओर के हिस्से में अर्थात बाएं या दांये किसी एक में हिस्से में दर्द और छाले। thumb|350px|शिंगल्स या हर्पिस जोस्टर

कारण

शिंगल्स या हर्पिस जोस्टर नर्व रुट्स में छिपे वैरिसेला-जोस्टर विषाणु (वायरस) के दोबारा सक्रिय हो जाने के कारण होता है। वैरिसेला जोस्टर एक प्रकार का हर्पिस वायरस है, जिससे चिकेनपॉक्स होता है। अधिकतर लोगों में चिकेनपॉक्स के बाद ये वायरस नर्व रुट्स में छिपे रह जाते हैं। लेकिन कुछ लोगों में यह फिर से सक्रिय हो जाते हैं और शिंगल्स रोग पैदा करते हैं। कोई भी ऐसा व्यक्ति जिसे साधारण या गंभीर तौर पर चिकेनपॉक्स का सामना करना पड़ा हो, उसकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमज़ोर होने पर शिंगल्स हो सकता है। तनाव, उम्र, चोट, कुछ दवाएं और बीमारियों के कारण प्रतिरक्षा प्रणाली कमज़ोर पड़ सकती है।

लक्षण

शिंगल्स की कई अवस्थाएं होती हैं -

प्रोड्रोमल अवस्था

प्रोड्रोमल अवस्था के शुरुआती लक्षण (छाले या चकते होने के पहले के लक्षण) हैं -

  • प्रारंभिक लक्षण हैं - दर्द, जलन का एहसास, प्रभावित क्षेत्र के आसपास सुन्नता या संवेदनहीनता विकसित हो जाना। इससे छाती, पीठ, सिर, चेहरे, गरदन और पैर प्रभावित हो सकते हैं।
  • फ्लू जैसे लक्षण जैसे - ठंड लगना, पेट में दर्द, डायरिया आदि चकते आने के साथ या उससे पहले दिखने वाले लक्षण हैं। लेकिन फ्लू की तरह इसमें बुखार नहीं आता।
  • लिंफ नोड्स फूल जाते हैं।
सक्रिय अवस्था

इस अवस्था में छाले और फफोले आ जाते हैं। छाले सामान्यतः सीमित क्षेत्र में होता हैं और चकतों की तरह दिखते हैं। ये शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकते हैं, लेकिन शिंगल्स की विशेषता ये है कि ये शरीर के बांयी या दांयी किसी एक ही ओर आते हैं। रैशेज साधारण से लेकर अतिगंभीर तक हो सकते हैं और इनके साथ फफोले हो सकते हैं, जिनमें रंगहीन द्रव भरे होते हैं, जो कुछ दिनों में अपारदर्शी हो जाता है। छालों को ठीक होने में दो से चार सप्ताह का समय लगता है। आँख के पास छाले (हर्पिस जोस्टर ऑप्थेल्मिकस), की तुरंत चिकित्सा की आवश्यकता है, क्योंकि इससे दृष्टि कमज़ोर होने की संभावना बहुत अधिक रहती है। छालों के साथ शिंगल्स में सूई चुभने जैसा दर्द होता है।

पोस्टथर्पेटिक न्यूरेल्जिया या दीर्घकालिक दर्द की अवस्था

पोस्टथर्पेटिक न्यूरेल्जिया शिंगल्स में होने वाली आम जटिलता है। यह एक महीने से सालों तक रह सकता है। पोस्टथर्मेटिक न्यूरेल्जिया के लक्षण हैं -

  • जहां पहले शिंगल्स के छाले थे, वहां दर्द, जलन और अचानक उठने वाला तेज दर्द
  • महीनों या सालों तक लगातार दर्द रहना
  • स्पर्श के प्रति अतिसंवेदनशीलता
  • पोस्टथर्पेटिक न्यूरेल्जिया या रोग निदान के बाद प्रायः सिर के सामने के भाग (ललाट) या छाती में दर्द रहता है। इस दर्द के कारण दैनिक कार्यकलाप, जैसे-खाना, सोना आदि मुश्किल हो जाता है। शिंगल्स के दीर्घकालिक तीव्र दर्द के कारण रोगी अवसादग्रस्त हो सकता है।

रोग की जांच और पहचान

चिकित्सकीय परीक्षणों से शिंगल्स होने की पुष्टि हो सकती है और डॉक्टर प्रायः शरीर के बांए या दांए किसी एक ओर रैशेज देखकर शिंगल्स को पहचान लेता है। अगर प्रयोगशाला परीक्षण में रोग की स्पष्ट पहचान नहीं हो पाती तो फफोलों की कोशिकाओं की जांच से हर्पिस का पता लगाया जा सकता है। अगर डायग्नोसिस में रोग की पहचान हो जाती है तो डॉक्टर छालों की कोशिकाओं के जांच का इंतज़ार नहीं करते औऱ एंटीवायरल दवाओं से इलाज शुरू कर देते हैं। जल्दी इलाज से रोग जल्दी ठीक होता है और पोस्टथर्पेटिक न्यूरेल्जिया जैसी गंभीरताएं सामने नहीं आती।

इलाज

शिंगल्स का किसी चिकित्सा पद्धति में कोई वास्तविक इलाज नहीं है, इलाज से मात्र रोग की अवधि घटती है (जल्दी ठीक होता है) और इसमें जटिलताओं की संभावना कम होती है। इलाज हैं -

  • एंटीवायरल दवाएं - शिंगल्स के दौरान दर्द और रोग की अवधि में कमी लाता है।
  • लंबे समय तक रहने वाले दर्द से राहत के लिए दर्दनिवारक, एंटीडिप्रेसेंट और मल्हम का उपयोग किया जा सकता है।
प्रारंभिक चिकित्सा

एंटीवायरल दवाएं - ये दवाएं, जिसमें एसाइलोवीर, फेम्सीक्लोवीर या वैलासाइक्लोवीर शामिल है।



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टीका टिप्पणी और संदर्भ


बाहरी कड़ियाँ

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