युगल किशोर शुक्ल: Difference between revisions

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*हिन्दी पत्रकारिता ने एक लम्बा सफर तय किया है। जब पंडित जुगल किशोर शुक्ल ने 'उदन्त मार्तण्ड' को रूप दिया, तब किसी ने भी यह कल्पना नहीं की थी कि हिन्दी पत्रकारिता इतना लम्बा सफर तय करेगी।
*हिन्दी पत्रकारिता ने एक लम्बा सफर तय किया है। जब पंडित जुगल किशोर शुक्ल ने 'उदन्त मार्तण्ड' को रूप दिया, तब किसी ने भी यह कल्पना नहीं की थी कि हिन्दी पत्रकारिता इतना लम्बा सफर तय करेगी।
*जुगल किशोर शुक्ल ने काफ़ी दिनों तक 'उदन्त मार्तण्ड' को चलाया और पत्रकारिता करते रहे, लेकिन आगे के दिनों में 'उदन्त मार्तण्ड' को बन्द करना पड़ा। यह इसलिए बंद हुआ, क्योंकि जुगल किशोर जी के पास उसे चलाने के लिए पर्याप्त धन नहीं था।
*जुगल किशोर शुक्ल ने काफ़ी दिनों तक 'उदन्त मार्तण्ड' को चलाया और पत्रकारिता करते रहे, लेकिन आगे के दिनों में 'उदन्त मार्तण्ड' को बन्द करना पड़ा। यह इसलिए बंद हुआ, क्योंकि जुगल किशोर जी के पास उसे चलाने के लिए पर्याप्त धन नहीं था।
*'उदन्त मार्तण्ड' के उद्देश्य को स्पष्ट करते हुए जुगलकिशोर शुक्ल ने लिखा था जो यथावत प्रस्तुत है-
<blockquote>"यह उदन्त मार्तण्ड अब पहले पहल हिंदुस्तानियों के हेत जो, आज तक किसी ने नहीं चलाया पर अंग्रेज़ी ओ पारसी ओ बंगाली में जो समाचार का कागज छपता है उसका उन बोलियों को जान्ने ओ समझने वालों को ही होता है। और सब लोग पराए सुख सुखी होते हैं। जैसे पराए धन धनी होना और अपनी रहते परायी आंख देखना वैसे ही जिस गुण में जिसकी पैठ न हो उसको उसके रस का मिलना कठिन ही है और हिंदुस्तानियों में बहुतेरे ऐसे हैं।"</blockquote>





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युगल किशोर शुक्ल (अंग्रेज़ी: Yugal Kishore Shukla) का नाम भारत में हिन्दी पत्रकारिता के क्षेत्र में प्रसिद्ध है। पंडित युगल किशोर शुक्ल ने ही 30 मई, सन 1826 को प्रथम हिन्दी समाचार पत्र 'उदन्त मार्तण्ड' का प्रकाशन आरम्भ किया था।

  • भारत में पत्रकारिता की शुरुआत करने का श्रेय पंडित जुगल किशोर शुक्ल को ही जाता है।
  • हिन्दी पत्रकारिता ने एक लम्बा सफर तय किया है। जब पंडित जुगल किशोर शुक्ल ने 'उदन्त मार्तण्ड' को रूप दिया, तब किसी ने भी यह कल्पना नहीं की थी कि हिन्दी पत्रकारिता इतना लम्बा सफर तय करेगी।
  • जुगल किशोर शुक्ल ने काफ़ी दिनों तक 'उदन्त मार्तण्ड' को चलाया और पत्रकारिता करते रहे, लेकिन आगे के दिनों में 'उदन्त मार्तण्ड' को बन्द करना पड़ा। यह इसलिए बंद हुआ, क्योंकि जुगल किशोर जी के पास उसे चलाने के लिए पर्याप्त धन नहीं था।
  • 'उदन्त मार्तण्ड' के उद्देश्य को स्पष्ट करते हुए जुगलकिशोर शुक्ल ने लिखा था जो यथावत प्रस्तुत है-

"यह उदन्त मार्तण्ड अब पहले पहल हिंदुस्तानियों के हेत जो, आज तक किसी ने नहीं चलाया पर अंग्रेज़ी ओ पारसी ओ बंगाली में जो समाचार का कागज छपता है उसका उन बोलियों को जान्ने ओ समझने वालों को ही होता है। और सब लोग पराए सुख सुखी होते हैं। जैसे पराए धन धनी होना और अपनी रहते परायी आंख देखना वैसे ही जिस गुण में जिसकी पैठ न हो उसको उसके रस का मिलना कठिन ही है और हिंदुस्तानियों में बहुतेरे ऐसे हैं।"


  1. REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें


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