आनंदी गोपाल जोशी: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
 
Line 54: Line 54:
==मृत्यु==
==मृत्यु==
डॉक्टर आनंदी राव जोशी [[1886]] के अंत में भारत लौट आईं और अल्बर्ट एडवर्ड अस्पताल, प्रिंसलि स्टेट आॅफ़ कोल्हापुर में एक महिला डॉक्टर के रूप में चार्ज ले लिया। लेकिन कुछ ही दिनों बाद ही वह [[क्षय रोग|टीबी]] की शिकार हो गई, जिससे [[26 फ़रवरी]], [[1987]] को मात्र इक्कीस साल की उम्र में उनका निधन हो गया। उनके जीवन पर कैरोलिन विल्स ने साल [[1888]] में बायोग्राफी भी लिखी। इस बायोग्राफी को दूरदर्शन चैनल पर ‘आनंदी गोपाल’ नाम से हिंदी टीवी सीरियल का प्रसारण किया गया जिसका निर्देशन कमलाकर सारंग ने किया था।<ref name="a"/>
डॉक्टर आनंदी राव जोशी [[1886]] के अंत में भारत लौट आईं और अल्बर्ट एडवर्ड अस्पताल, प्रिंसलि स्टेट आॅफ़ कोल्हापुर में एक महिला डॉक्टर के रूप में चार्ज ले लिया। लेकिन कुछ ही दिनों बाद ही वह [[क्षय रोग|टीबी]] की शिकार हो गई, जिससे [[26 फ़रवरी]], [[1987]] को मात्र इक्कीस साल की उम्र में उनका निधन हो गया। उनके जीवन पर कैरोलिन विल्स ने साल [[1888]] में बायोग्राफी भी लिखी। इस बायोग्राफी को दूरदर्शन चैनल पर ‘आनंदी गोपाल’ नाम से हिंदी टीवी सीरियल का प्रसारण किया गया जिसका निर्देशन कमलाकर सारंग ने किया था।<ref name="a"/>
[[चित्र:Anandi-Gopal-Joshi-Google-Doodle.jpg|thumb|250px|आनंदी गोपाल जोशी]]
[[चित्र:Anandi-Gopal-Joshi-Google-Doodle.jpg|thumb|250px|आनंदी गोपाल जोशी पर जारी गूगल-डूडल]]
==गूगल डूडल==
==गूगल डूडल==
गूगल ने [[31 मार्च]], [[2018]] को [[भारत]] की पहली महिला डॉक्टर आनंदी गोपाल जोशी की 153वीं जयंती पर उन्हें एक ख़ास डूडल बनाकर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। गूगल ने अपने इस ख़ास डूडल में आनंदी गोपाल जोशी को हाथ में डिग्री पकड़े हुए दर्शाया है। इसके साथ ही उन्होंने अपने गले में स्टेथोस्कोप भी लटका रखा है। आनंदी गोपाल जोशी डॉक्टर बनने वाली भारत की पहली थीं, जिन्होंने [[अमेरिका]] से क्वालीफाई किया। यही नहीं, अमेरिकी धरती पर कदम रखने वाली आनंदी जोशी पहली भारतीय महिला भी थीं।
गूगल ने [[31 मार्च]], [[2018]] को [[भारत]] की पहली महिला डॉक्टर आनंदी गोपाल जोशी की 153वीं जयंती पर उन्हें एक ख़ास डूडल बनाकर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। गूगल ने अपने इस ख़ास डूडल में आनंदी गोपाल जोशी को हाथ में डिग्री पकड़े हुए दर्शाया है। इसके साथ ही उन्होंने अपने गले में स्टेथोस्कोप भी लटका रखा है। आनंदी गोपाल जोशी डॉक्टर बनने वाली भारत की पहली थीं, जिन्होंने [[अमेरिका]] से क्वालीफाई किया। यही नहीं, अमेरिकी धरती पर कदम रखने वाली आनंदी जोशी पहली भारतीय महिला भी थीं।

Latest revision as of 11:10, 31 March 2018

आनंदी गोपाल जोशी
पूरा नाम आनंदी गोपाल जोशी
अन्य नाम यमुना
जन्म 31 मार्च, 1865
जन्म भूमि कल्याण, थाणे, महाराष्ट्र
मृत्यु 26 फ़रवरी, 1887
मृत्यु स्थान पुणे, महाराष्ट्र
पति/पत्नी गोपाल राव
कर्म भूमि भारत
विद्यालय वीमेन्स कॉलेज ऑफ़ फिलाडेल्फिया का मेडिकल कॉलेज, अमेरिका
प्रसिद्धि भारत की प्रथम महिला डॉक्टर
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी आनंदी गोपाल जोशी के जीवन पर कैरोलिन विल्स ने साल 1888 में बायोग्राफी भी लिखी। इस बायोग्राफी को दूरदर्शन चैनल पर ‘आनंदी गोपाल’ नाम से हिंदी टीवी सीरियल का प्रसारण किया गया जिसका निर्देशन कमलाकर सारंग ने किया था।
अद्यतन‎

आनंदी गोपाल जोशी (अंग्रेज़ी: Anandi Gopal Joshi, जन्म: 31 मार्च, 1865, पुणे; मृत्यु: 26 फ़रवरी, 1887) पहली भारतीय महिला थीं, जिन्‍होंने डॉक्‍टरी की डिग्री प्राप्त की थी। जिस दौर में महिलाओं की शिक्षा भी दूभर थी, उस समय विदेश जाकर डॉक्‍टरी की डिग्री हासिल करना उनके लिए एक मिसाल थी। आनंदी गोपाल जोशी का व्‍यक्तित्‍व महिलाओं के लिए प्रेरणास्‍त्रोत था। उन्‍होंने सन 1886 में अपने सपने को साकार रूप दिया। जब उन्‍होंने डॉक्टर बनने का निर्णय लिया था तो उनकी समाज में काफ़ी आलोचना हुई थी कि एक विवाहित हिन्दू स्‍त्री विदेश (पेनिसिल्‍वेनिया) जाकर डॉक्‍टरी की पढ़ाई करे। लेकिन आनंदीबाई एक दृढ़निश्‍चयी महिला थीं और उन्‍होंने आलोचनाओं की तनिक भी परवाह नहीं की। यही वजह थी कि उन्‍हें पहली भारतीय महिला डॉक्‍टर होने का गौरव प्राप्‍त हुआ।

परिचय

डॉक्टर आनंदी गोपाल जोशी का जन्म एक मराठी परिवार में 31 मार्च, 1865 को कल्याण, थाणे, महाराष्ट्र में हुआ था। माता-पिता ने उनका नाम यमुना रखा। उनका परिवार एक रूढ़िवादी मराठी परिवार था, जो केवल संस्कृत पढ़ना जानता था। उनके पिता ज़मींदार थे। ब्रिटिश शासकों द्वारा महाराष्ट्र में ज़मींदारी प्रथा समाप्त किए जाने के बाद उनके परिवार की स्थिति बेहद खराब हो गई। वे किसी तरह अपना गुजर-बसर कर रहे थे। ऐसे ही परिवार में जन्मी आनंदी गोपाल उर्फ यमुना का विवाह नौ वर्ष की उम्र में ही उनसे 20 वर्ष बड़े एक विधुर से कर दिया गया। हिंदू समाज के रिवाज़ के अनुसार विवाह के बाद उनका नाम यमुना से बदल कर आनंदी रख दिया गया और वे आनंदी गोपाल जोशी नाम से जानी जाने लगीं।[1]

डॉक्टर बनने का संकल्प

आनंदी गोपाल जोशी उस समय मात्र चौदह साल की थीं, जब उन्होंने अपने बेटे को जन्म दिया। लेकिन दुर्भाग्यवश उचित चिकित्सा के अभाव में दस दिनों में ही उसका देहांत हो गया। इस घटना से उन्हें गहरा सदमा पहुंचा। वह भीतर-ही-भीतर टूट-सी गईं। उनके पति गोपाल राव एक प्रगतिशील विचारक थे और महिला-शिक्षा का समर्थन भी करते थे। आनंदी गोपाल जोशी ने कुछ दिनों बाद अपने आपको संभाला और खुद एक डॉक्टर बनने का निश्चय लिया। वह चिकित्सा के अभाव में असमय होने वाली मौतों को रोकने का प्रयास करना चाहती थीं, चूँकि उस समय भारत में ऐलोपैथिक डॉक्टरी की पढ़ाई की कोई व्यवस्था नहीं थी, इसलिए पढ़ाई करने के लिए विदेश जाना पड़ता था।[2]

रूढ़िवादी हिंदू समाज का विद्रोह

आनंदी गोपाल जोशी द्वारा अचानक लिए गए फ़ैसले से परिजन और आस-पड़ोस में विरोध की लहर उठ खड़ी हुई। उनकी काफ़ी आलोचना भी की गयी। समाज को यह कतई स्वीकार नहीं था कि एक विवाहित हिन्दू महिला विदेश जाकर डॉक्टरी की पढ़ाई करे, क्योंकि उन्हें आशंका थी कि वहां जाकर दोनों पति-पत्नी अपना धर्म बदल कर ईसाई धर्म अपना लेंगे। जब यह बात आनंदी राव को पता चली तो उन्होंने सिरमपुर कॉलेज के हॉल में लोगों को जमा करके यह ऐलान किया कि- "मैं केवल डॉक्टरी की उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए अमेरिका जा रही हूं। मेरा इरादा न तो धर्म बदलने का है और न वहां नौकरी करने का। मेरा मकसद भारत में रह कर यहां के लोगों की सेवा करने का है, क्योंकि भारत में एक भी महिला डॉक्टर नहीं है, जिसके अभाव में असमय ही बहुत-सी महिलाओं और बच्चों की मौत हो जाती है।" आनंदी गोपाल जोशी के भाषण का रूढ़िवादी लोगों पर व्यापक असर हुआ और पूरे देश से उनकी डॉक्टरी की पढ़ाई के लिए मदद देने के लिए पेशकश की गई।[3]

संघर्षकालीन समय

आनंदी गोपाल जोशी के इस वक्तव्य के प्रकाशित होने के बाद पूरे भारत ने उन्हें सहायता प्रदान की, यहां तक की वाइसराय ने भी उन्हें 200 रुपये की सहायता राशि भेजी। उन्होंने अपने सोने के सभी आभूषण बेच दिए और कुछ यूरोपियन महिलाओं के साथ कोलकाता से न्यूयॉर्क के लिए रवाना हो गईं, जहां जून 1883 में उनकी मुलाकात मिसेज कारपेंटर से हुई। इसके बाद उन्होंने वीमेन्स कॉलेज ऑफ़ फिलाडेल्फिया के मेडिकल कॉलेज में प्रवेश के लिए आवेदन किया और शीघ्र ही कॉलेज के डीन का पत्र उन्हें मिला, जिसमें उनसे कॉलेज में प्रवेश लेने के लिए कहा गया था। अमेरिका आनंदी के लिए एक अजनबी शहर था। वहां की बहुत सारी बातें उन्हें समझ नहीं आती थीं। उनके और अमेरीकियों के रहन-सहन और खान-पान में बहुत अंतर था। लेकिन उनके और मिसेज कारपेंटर के बीच एक आत्मीय रिश्ता कायम हो गया था। कॉलेज के सुपरिंटेंडेट और सेक्रेट्री इस बात से बहुत प्रभावित थे कि एक लड़की सामाजिक विरोधों को झेलते हुए यहां इतनी दूर पढ़ने आयी है। उन्होंने तीन साल की उनकी पढ़ाई के लिए 600 डॉलर की स्कॉलरशिप मंजूर कर दी।

लेकिन समस्याएं अभी खत्म नहीं हुई थीं। उनके वस्त्र वहां की सर्दी के अनुकूल नहीं थे। नौ गजी महाराष्ट्रियन साड़ी पहनने पर उनकी कमर और हाथ खुले रहते थे। जबकि पश्चिमी पोशाकें सर्दी से बचाव के लिए ज्यादा उपयुक्त थीं। वैसे उनके पति ने उन्हें आश्वस्त किया था कि यदि वे मांसाहार करती हैं और पश्चिमी ढंग की पोशाक पहनती हैं तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं होगी, लेकिन वे इसके लिए खुद को तैयार नहीं कर पा रही थीं। उन्होंने 'गीता' का स्मरण किया, जिसमें कहा गया है कि- "शरीर तो मात्र आत्मा का आवरण है जो अपवित्र नहीं हो सकता।" उन्होंने सोचा कि अगर यह सत्य है तो मेरे पश्चिमी सभ्यता के वस्त्र पहनने से मेरी आत्मा कैसे अपवित्र हो सकती है? काफ़ी सोचने-विचारने के बाद उन्होंने गुजराती ढंग से साड़ी पहनने का निश्चय किया और अपने पति को इस बात की सूचना भी दे दी। कॉलेज की तरफ़ से उनको रहने के लिए जो कमरा दिया गया था, उसका फायर प्लेस ठीक से काम नहीं करता था। लकड़ियां जलाते वक्त उससे लगातार धुँआ उठता रहता। उनके पास दो ही विकल्प थे या तो ठंड में रहो या धुँएं में। उन्होंने दूसरा कमरा तलाश करने की कोशिश की, लेकिन कोई भी भारतीय हिंदू लड़की को जो डॉक्टर बनने की कोशिश कर रही थी, कमरा देने को तैयार नहीं था। लगातार डेढ़-दो साल तक उस कमरे में रहने के कारण उन्हें बुखार और खाँसी की शिकायत हो गई।

देश की पहली महिला डॉक्टर

डॉक्टर आनंदी गोपाल जोशी के पति गोपाल राव ने हर क़दम पर उनकी हौसला बढ़ाया। साल 1883 में आनंदी गोपाल ने अमेरिका (पेनसिल्वेनिया) की ज़मीन पर क़दम रखा। उस दौर में वे किसी भी विदेशी ज़मीन पर क़दम रखने वाली पहली भारतीय हिंदू महिला थीं। न्यू जर्सी में रहने वाली थियोडिशिया ने उनका पढ़ाई के दौरान सहयोग किया। उन्नीस साल की उम्र में साल 1886 में आनंदीबाई ने एम.डी कर लिया। डिग्री लेने के बाद वह भारत लौट आई। जब उन्होंने यह डिग्री प्राप्त की, तब महारानी विक्टोरिया ने उन्हें बधाई-पत्र लिखा और भारत में उनका स्वागत एक नायिका की तरह किया गया।[2]

मृत्यु

डॉक्टर आनंदी राव जोशी 1886 के अंत में भारत लौट आईं और अल्बर्ट एडवर्ड अस्पताल, प्रिंसलि स्टेट आॅफ़ कोल्हापुर में एक महिला डॉक्टर के रूप में चार्ज ले लिया। लेकिन कुछ ही दिनों बाद ही वह टीबी की शिकार हो गई, जिससे 26 फ़रवरी, 1987 को मात्र इक्कीस साल की उम्र में उनका निधन हो गया। उनके जीवन पर कैरोलिन विल्स ने साल 1888 में बायोग्राफी भी लिखी। इस बायोग्राफी को दूरदर्शन चैनल पर ‘आनंदी गोपाल’ नाम से हिंदी टीवी सीरियल का प्रसारण किया गया जिसका निर्देशन कमलाकर सारंग ने किया था।[1] thumb|250px|आनंदी गोपाल जोशी पर जारी गूगल-डूडल

गूगल डूडल

गूगल ने 31 मार्च, 2018 को भारत की पहली महिला डॉक्टर आनंदी गोपाल जोशी की 153वीं जयंती पर उन्हें एक ख़ास डूडल बनाकर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। गूगल ने अपने इस ख़ास डूडल में आनंदी गोपाल जोशी को हाथ में डिग्री पकड़े हुए दर्शाया है। इसके साथ ही उन्होंने अपने गले में स्टेथोस्कोप भी लटका रखा है। आनंदी गोपाल जोशी डॉक्टर बनने वाली भारत की पहली थीं, जिन्होंने अमेरिका से क्वालीफाई किया। यही नहीं, अमेरिकी धरती पर कदम रखने वाली आनंदी जोशी पहली भारतीय महिला भी थीं।

जोशी क्रेटर

शुक्र ग्रह जिसे "भोर का तारा" भी कहा जाता है, इस पर बहुत बड़े-बड़े गड्ढे हैं। इस ग्रह के तीन गड्ढों के नाम भारत की तीन प्रसिद्ध महिलाओं के नाम पर रखे गये हैं[4]-

  1. जोशी क्रेटर - यह नाम आनंदी गोपाल जोशी के नाम पर रखा गया है।
  2. मेधावी क्रेटर - इसका नाम रमाबाई मेधावी के नाम पर रखा गया है।
  3. जीराड क्रेटर - इसका नाम जेरूसा जीराड के नाम पर रखा गया है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 डॉक्टर आनंदी गोपाल राव जोशी भारत की पहली महिला डॉक्टर (हिंदी) tarzezindagi.com। अभिगमन तिथि: 19 मार्च, 2017।
  2. 2.0 2.1 आनंदीबाई जोशी: देश की पहली महिला डॉक्टर (हिंदी) feminisminindia.com। अभिगमन तिथि: 19 मार्च, 2017।
  3. डॉक्टर आनंदी गोपाल राव जोशी भारत की पहली महिला डॉक्टर (हिंदी) pratibhaba-bhagwanbharose.blogspot.in। अभिगमन तिथि: 19 मार्च, 2017।
  4. इसरो से पहले शुक्र ग्रह पर तीन भारतीय महिलाओं का नाम (हिंदी) dailyhunt। अभिगमन तिथि: 08 अप्रैल, 2017।

संबंधित लेख