विजय अमृतराज: Difference between revisions

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[[1973]] में वह विंबलडन और यू.एस. ओपन के क्वॉर्टर फाइनल तक पहुंचे, जहाँ उन्हें यान कोडेस और केन रोजवैल जैसे दिग्गज ही हरा सके। [[1976]] के विंबलडन में विजय और आनंद सेमीफ़ाइनल तक पहुंचे थे। इसके बाद के वर्ष ब्योर्न बोर्ग, जिमी कॉनर्स और जान मैकेनरो जैसे युवा खिलाड़ियों के कारनामों से भरे पडे़ थे और ग्रैंड स्लैम इवेंट्स में इन्हीं का बोलबाला चला करता था तो भी विजय अमृतराज ने अपनी जगह बनाए रखी और [[1981]] के विंबलडन में क्वॉर्टर फ़ाइनल में उन्हें पांच सैटों तक चले मैच में जिमी कॉनर्स से मात खानी पड़ी। इस तरह के फाइव सैटर्स खेलना विजय की ख़ासियत थी। वे नैसर्गिक रूप से ग्रासकोर्ट प्लेयर थे और सर्व ऐंड वॉली पर ज़्यादा निर्भर रहते थे। विश्व के सबसे अच्छे खिलाड़ियों से उनका लगातार हारना केवल स्टैमिना की कमी के कारण होता था, जो कि ज़्यादातर भारतीय टेनिस खिलाडि़यों की समस्या रही है। [[1979]] के विंबलडन में जब ब्योन बोर्ग अपने खेल की बुलंदी पर थे। दूसरे राउंड में विजय का उनसे सामना हुआ। विजय ने बोर्ग को छकाते हुए '''पहला सेट 6-2''' से जीता। बोर्ग ने '''दूसरा सेट 6-4''' से जीता। सबको हैरत में डालते हुए विजय ने पिछले चैंपियन को न सिर्फ '''तीसरे सेट में 6-4''' से हराया '''चौथे में 4-1''' से लीड ले ली। पराजय के सामने खडे़ बोर्ग ने केवल बेहतर स्टैमिना की बदौलत सैट और मैच बचा लिया। कोई हैरानी नहीं कि ऐसे मैच देखते हुए ही टेनिस की दुनिया विजय को करो या मरो शैली वाले खिलाड़ी के तौर पर जानती थी। विजय अब भी खेलते हैं और इस साल के विंबलडन सीनियर्स पुरुष डबल्स में जीन मेयर के साथ उन्हें पहली सीड दी गई थी। विंबलडन को टीवी पर देखने वाले जानते हैं कि विजय अमृतराज की कॉमेन्ट्री के बिना इधर के सालों की टीवी कवरेज की कल्पना भी नहीं की जा सकती। विजय ने जेम्स बॉन्ड की फिल्म ओक्टॉपसी में रोल किया है।  


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Revision as of 13:33, 10 January 2011

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Vijay Amritraj

  • विजय अमृतराज का जन्म 14 दिसंबर 1953 को चेन्नई में हुआ था । वे भारत के पूर्व टेनिस खिलाड़ी हैं।
  • 14 दिसंबर 1953 को चेन्नई में मैगी और रॉबर्ट अमृतराज के घर जन्मे विजय और उनके छोटे भाई आनंद और अशोक विश्व टेनिस में देश का प्रतिनिधित्व करने वाले पहले खिलाड़ी थे।

खेल जीवन

1973 में वह विंबलडन और यू.एस. ओपन के क्वॉर्टर फाइनल तक पहुंचे, जहाँ उन्हें यान कोडेस और केन रोजवैल जैसे दिग्गज ही हरा सके। 1976 के विंबलडन में विजय और आनंद सेमीफ़ाइनल तक पहुंचे थे। इसके बाद के वर्ष ब्योर्न बोर्ग, जिमी कॉनर्स और जान मैकेनरो जैसे युवा खिलाड़ियों के कारनामों से भरे पडे़ थे और ग्रैंड स्लैम इवेंट्स में इन्हीं का बोलबाला चला करता था तो भी विजय अमृतराज ने अपनी जगह बनाए रखी और 1981 के विंबलडन में क्वॉर्टर फ़ाइनल में उन्हें पांच सैटों तक चले मैच में जिमी कॉनर्स से मात खानी पड़ी। इस तरह के फाइव सैटर्स खेलना विजय की ख़ासियत थी। वे नैसर्गिक रूप से ग्रासकोर्ट प्लेयर थे और सर्व ऐंड वॉली पर ज़्यादा निर्भर रहते थे। विश्व के सबसे अच्छे खिलाड़ियों से उनका लगातार हारना केवल स्टैमिना की कमी के कारण होता था, जो कि ज़्यादातर भारतीय टेनिस खिलाडि़यों की समस्या रही है। 1979 के विंबलडन में जब ब्योन बोर्ग अपने खेल की बुलंदी पर थे। दूसरे राउंड में विजय का उनसे सामना हुआ। विजय ने बोर्ग को छकाते हुए पहला सेट 6-2 से जीता। बोर्ग ने दूसरा सेट 6-4 से जीता। सबको हैरत में डालते हुए विजय ने पिछले चैंपियन को न सिर्फ तीसरे सेट में 6-4 से हराया चौथे में 4-1 से लीड ले ली। पराजय के सामने खडे़ बोर्ग ने केवल बेहतर स्टैमिना की बदौलत सैट और मैच बचा लिया। कोई हैरानी नहीं कि ऐसे मैच देखते हुए ही टेनिस की दुनिया विजय को करो या मरो शैली वाले खिलाड़ी के तौर पर जानती थी। विजय अब भी खेलते हैं और इस साल के विंबलडन सीनियर्स पुरुष डबल्स में जीन मेयर के साथ उन्हें पहली सीड दी गई थी। विंबलडन को टीवी पर देखने वाले जानते हैं कि विजय अमृतराज की कॉमेन्ट्री के बिना इधर के सालों की टीवी कवरेज की कल्पना भी नहीं की जा सकती। विजय ने जेम्स बॉन्ड की फिल्म ओक्टॉपसी में रोल किया है।


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