त्रिपुरा पहाड़ियाँ: Difference between revisions
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*उद्योगों से वस्त्र, बेंत और बांस के उत्पाद, अनुकूलित लकड़ियों के उत्पादन के साथ-साथ बढ़ईगिरी, लुहारगिरी और कढ़ाई का कार्य महत्त्वपूर्ण है। धर्मनगर और कैलाशहर यहाँ के महत्त्वपूर्ण शहर हैं। | *उद्योगों से वस्त्र, बेंत और बांस के उत्पाद, अनुकूलित लकड़ियों के उत्पादन के साथ-साथ बढ़ईगिरी, लुहारगिरी और कढ़ाई का कार्य महत्त्वपूर्ण है। धर्मनगर और कैलाशहर यहाँ के महत्त्वपूर्ण शहर हैं। | ||
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Revision as of 06:46, 13 December 2010
- त्रिपुरा पहाड़ियाँ पूर्वी त्रिपुरा राज्य के पूर्वोत्तर भारत में स्थित है।
- मिज़ोरम राज्य की मिज़ो पहाड़ियों के रास्ते में पड़ने वाली त्रिपुरा पहाड़ियाँ पूर्वाचल के पश्चिमी निचले विस्तार का निर्माण करती हैं, जो म्यांमार तक विस्तृत अस्थिर भूकंपीय क्षेत्र है।
- यह उत्तर-दक्षिण समानांतर वलयित पहाड़ियों की श्रृंखला है, जिनकी ऊंचाई दक्षिण की ओर पूर्वी मैदानों में मिलने तक घटती जाती है। पूर्व की ओर पहाड़ियों की हर दूसरी श्रेणी अपने से पहले वाली श्रेणी से ज़्यादा ऊंची है।
- देवतामुरा के बाद क्रमशः आर्थरमुरा, लंगतराई और सारवां त्लंग श्रेणियां आती हैं। जामराइ त्लंग पर्वत 74 किमी लंबा है और इसकी उच्चतम चोटी बेतलिंग त्लंग (1, 000 मीटर) है।
- त्रिपुरा पहाड़ियों में, जो कभी सघन वनों से ढकी हुई थीं। अब सिर्फ़ छोटे-छोटे मृदा खंड हैं, जहाँ की विरल जनसंख्या झूम खेती (काटकर और जलाकर ज़मीन साफ़ करके खेती करने खेती करने की पद्धति) का प्रयोग करती है।
- धुलाई, खोवाई, जुरि और देव नदियों का उद्गम त्रिपुरा पहाड़ियों में हुआ है। ये घाटियों के आर-पार बहती हैं। अन्य छोटी धाराएं शीतकाल में शुष्क रहती हैं। यहाँ की मिट्टी सामान्यतः मोटी रेतीली दोमट है, जो लगभग अनुपजाऊ है।
- जनसंख्या में प्राचीन त्रिपुरी, देशी त्रिपुरी, रियांग, जमातिया, बोड़ो, कुकी और नोआतिया जनजातियाँ शामिल हैं। क्षेत्र का प्रमुख पेशा कृषि है। फ़सलों में चावल, जूट, कपास, तिलहन, आलू, गन्ना और फल शामिल हैं।
- उद्योगों से वस्त्र, बेंत और बांस के उत्पाद, अनुकूलित लकड़ियों के उत्पादन के साथ-साथ बढ़ईगिरी, लुहारगिरी और कढ़ाई का कार्य महत्त्वपूर्ण है। धर्मनगर और कैलाशहर यहाँ के महत्त्वपूर्ण शहर हैं।
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