कदम्ब: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Text replace - "जुडा" to "जुड़ा")
No edit summary
Line 13: Line 13:
जौ खग हौं तौ बसेरो करौं मिलि [[कालिंदी नदी|कालिंदी]]-कूल कदंब की डारन ॥<br />
जौ खग हौं तौ बसेरो करौं मिलि [[कालिंदी नदी|कालिंदी]]-कूल कदंब की डारन ॥<br />


 
{{लेख प्रगति
 
|आधार=
 
|प्रारम्भिक= प्रारम्भिक1
|माध्यमिक=
|पूर्णता=
|शोध=
}}
==संबंधित लेख==
{{वृक्ष}}


[[Category:वनस्पति]]
[[Category:वनस्पति]]

Revision as of 12:24, 6 March 2011

कदम्ब का फूल
Kadamb Flower|thumb|200px
कदम्ब का पेड़ बड़ा होता है। यह काफ़ी मशहूर भी है। कदम्ब के पेड़ ग्रामीण क्षेत्रों में ज़्यादा होते हैं। इसके पत्ते बड़े और मोटे होते हैं जिनसे गोंद भी निकलता है। कदम्ब के पेड़ के पत्ते महुए के पत्तों जैसे और फल नीबू की तरह गोल होते है और फूल फलों के ऊपर ही होते हैं। फूल छोटे और खुशबुदार होते हैं। कदम्ब की कई सारी जातियाँ हैं जैसे-

  • राजकदम्ब,
  • धूलिकदम्ब और
  • कदम्बिका।

कदम्ब की महिमा

कदम्ब का पेड़
Kadamb Tree|thumb|200px
ब्रज मैं कदम्ब के पेड़ की बहुत महिमा है। कृष्ण की लीलाओ से जुड़ा होने के कारण कदम्ब का उल्लेख ब्रजभाषा के अनेक कवियों ने किया है। इसका इत्र भी बनता है जो बरसात के मौसम मैं अधिक उपयोग में आता है। मथुरा में अब यह वृक्ष बहुत ही कम पाया जाता है।
मानुष हौं तो वही रसखानि बसौं ब्रज गोकुल गाँव के ग्वारन ।
जौ पसु हौं तौ कहा बस मेरो चरौं नित नन्द की धेनु मंझारन ॥
पाहन हौं तौ वही गिरि को जो धरयौ कर छत्र पुरन्दर-धारन ।
जौ खग हौं तौ बसेरो करौं मिलि कालिंदी-कूल कदंब की डारन ॥


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

संबंधित लेख