मध्यमिका: Difference between revisions
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'''मध्यमिका''' [[राजस्थान]] | '''मध्यमिका''' [[राजस्थान]], [[भारत]] में [[चित्तौड़]] के निकट एक प्राचीन नगरी है। | ||
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*तीसरी शताब्दी ई.पू. में यह नगर बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान माना जाता था। | *तीसरी शताब्दी ई.पू. में यह नगर बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान माना जाता था। | ||
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Revision as of 11:54, 29 October 2011
मध्यमिका राजस्थान, भारत में चित्तौड़ के निकट एक प्राचीन नगरी है।
- इस नगरी को अब 'नगरी' के नाम से ही जाना जाता है।
- एक पुरात्मा वीर यवन ने इस नगरी को घेर लिया था, जो सम्भवत: यवन राजा मीनेंडर था।
- तीसरी शताब्दी ई.पू. में यह नगर बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान माना जाता था।
- इसके खण्डहरों में मौर्यकालीन भवन के कुछ चिह्न तथा शुंग काल के दो शिलालेख प्राप्त हुए हैं।
- इन शिलालेखों में अश्वमेध तथा वाजपेय यज्ञों का उल्लेख है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
भारतीय इतिहास कोश |लेखक: सच्चिदानन्द भट्टाचार्य |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 346 |