वरदविनायक: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
No edit summary |
गोविन्द राम (talk | contribs) No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
{{सूचना बक्सा संक्षिप्त परिचय | |||
|चित्र=Varadvinayak.jpg | |||
|चित्र का नाम=वरदविनायक गणेश की प्रतिमा | |||
|विवरण='''वरदविनायक''' [[देवता|देवताओं]] में प्रथम पूजनीय भगवान [[गणेश|श्री गणेश]] का ही एक रूप है। | |||
|शीर्षक 1=वरदविनायक चतुर्थी | |||
|पाठ 1=[[ज्येष्ठ]] [[शुक्ल पक्ष]] [[चतुर्थी]] | |||
|शीर्षक 2=धार्मिक मान्यता | |||
|पाठ 2=शास्त्रों के अनुसार 'वरदविनायक चतुर्थी' का साल भर नियमपूर्वक व्रत करने से संपूर्ण मनोकामनाएँ पूर्ण हो जाती हैं। | |||
|शीर्षक 3= | |||
|पाठ 3= | |||
|शीर्षक 4= | |||
|पाठ 4= | |||
|शीर्षक 5= | |||
|पाठ 5= | |||
|संबंधित लेख= | |||
|अन्य जानकारी=वरदविनायक जी का मंदिर गणेश जी के आठ पीठों में से एक है, जो [[महाराष्ट्र]] राज्य में [[रायगढ़ ज़िला|रायगढ़ ज़िले]] के [[कोल्हापुर]] तालुका में एक सुन्दर पर्वतीय गाँव महाड में स्थित है। | |||
|बाहरी कड़ियाँ= | |||
|अद्यतन= | |||
}} | |||
'''वरदविनायक''' [[देवता|देवताओं]] में प्रथम पूजनीय भगवान [[गणेश|श्री गणेश]] का ही एक रूप है। वरदविनायक जी का मंदिर गणेश जी के आठ पीठों में से एक है, जो [[महाराष्ट्र]] राज्य में [[रायगढ़ ज़िला|रायगढ़ ज़िले]] के [[कोल्हापुर]] तालुका में एक सुन्दर पर्वतीय गाँव महाड में स्थित है। | '''वरदविनायक''' [[देवता|देवताओं]] में प्रथम पूजनीय भगवान [[गणेश|श्री गणेश]] का ही एक रूप है। वरदविनायक जी का मंदिर गणेश जी के आठ पीठों में से एक है, जो [[महाराष्ट्र]] राज्य में [[रायगढ़ ज़िला|रायगढ़ ज़िले]] के [[कोल्हापुर]] तालुका में एक सुन्दर पर्वतीय गाँव महाड में स्थित है। | ||
==मान्यता== | ==मान्यता== |
Revision as of 11:07, 7 June 2013
वरदविनायक
| |
विवरण | वरदविनायक देवताओं में प्रथम पूजनीय भगवान श्री गणेश का ही एक रूप है। |
वरदविनायक चतुर्थी | ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष चतुर्थी |
धार्मिक मान्यता | शास्त्रों के अनुसार 'वरदविनायक चतुर्थी' का साल भर नियमपूर्वक व्रत करने से संपूर्ण मनोकामनाएँ पूर्ण हो जाती हैं। |
अन्य जानकारी | वरदविनायक जी का मंदिर गणेश जी के आठ पीठों में से एक है, जो महाराष्ट्र राज्य में रायगढ़ ज़िले के कोल्हापुर तालुका में एक सुन्दर पर्वतीय गाँव महाड में स्थित है। |
वरदविनायक देवताओं में प्रथम पूजनीय भगवान श्री गणेश का ही एक रूप है। वरदविनायक जी का मंदिर गणेश जी के आठ पीठों में से एक है, जो महाराष्ट्र राज्य में रायगढ़ ज़िले के कोल्हापुर तालुका में एक सुन्दर पर्वतीय गाँव महाड में स्थित है।
मान्यता
इस मंदिर के विषय में भक्तों की यह मान्यता है कि यहाँ वरदविनायक गणेश अपने नाम के समान ही सारी कामनाओं को पूरा होने का वरदान देते हैं। प्राचीन काल में यह स्थान 'भद्रक' नाम से भी जाना जाता था। इस मंदिर में नंददीप नाम से एक दीपक निरंतर प्रज्जवलित है। इस दीपक के बारे में यह माना जाता है कि यह सन 1892 से लगातार प्रदीप्यमान है।
व्रत एवं पूजन
इसके साथ ही यह मान्यता भी है कि पुष्पक वन में गृत्समद ऋषि के तप से प्रसन्न होकर भगवान गणपति ने उन्हें "गणानां त्वां" मंत्र के रचयिता की पदवी यहीं पर दी थी, और ईश देवता बना दिया। उन्हीं वरदविनायक गणपति का यह स्थान है। वरदविनायक गणेश का नाम लेने मात्र से ही सारी कामनाओं को पूरा होने का वरदान प्राप्त होता है। यहाँ शुक्ल पक्ष की मध्याह्न व्यापिनी चतुर्थी के समय 'वरदविनायक चतुर्थी' का व्रत एवं पूजन करने का विशेष विधान है। शास्त्रों के अनुसार 'वरदविनायक चतुर्थी' का साल भर नियमपूर्वक व्रत करने से संपूर्ण मनोकामनाएँ पूर्ण हो जाती हैं।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख