कला-संस्कृति और धर्म सामान्य ज्ञान 27: Difference between revisions
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-[[मदुरा]] | -[[मदुरा]] | ||
||[[चित्र:Vidyasagar-Setu.jpg|right|100px|विद्यासागर सेतु]]'कोलकाता' [[पश्चिम बंगाल]] की राजधानी है। इसका एक उपनाम '''डायमण्ड हार्बर''' भी है। यह [[भारत]] का सबसे बड़ा शहर और प्रमुख बंदरगाहों में से एक हैं। [[कोलकाता]] का पुराना नाम 'कलकत्ता' था। [[1 जनवरी]], [[2001]] से कलकत्ता का नाम आधिकारिक तौर पर कोलकाता हुआ था। कोलकाता एक धार्मिक शहर है। यहाँ हर गली में मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारा, यहूदी सभागार आदि मिल जाएँगे। इन मंदिरों और मस्जिदों के अलावा भी यहाँ देखने लायक़ बहुत कुछ है। यहाँ का '[[विद्यासागर सेतु]]' [[हुगली नदी]] पर बना हुआ है और कोलकाता से [[हावड़ा ज़िला|हावड़ा]] को जोड़ता है। 19वीं शताब्दी के बंगाली समाज सुधारक [[ईश्वर चंद्र विद्यासागर]] के नाम पर इस सेतु का नाम रखा गया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कोलकाता]], [[कोलकाता पर्यटन]], [[विद्यासागर सेतु]] | ||[[चित्र:Vidyasagar-Setu.jpg|right|100px|विद्यासागर सेतु]]'कोलकाता' [[पश्चिम बंगाल]] की राजधानी है। इसका एक उपनाम '''डायमण्ड हार्बर''' भी है। यह [[भारत]] का सबसे बड़ा शहर और प्रमुख बंदरगाहों में से एक हैं। [[कोलकाता]] का पुराना नाम 'कलकत्ता' था। [[1 जनवरी]], [[2001]] से कलकत्ता का नाम आधिकारिक तौर पर कोलकाता हुआ था। कोलकाता एक धार्मिक शहर है। यहाँ हर गली में मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारा, यहूदी सभागार आदि मिल जाएँगे। इन मंदिरों और मस्जिदों के अलावा भी यहाँ देखने लायक़ बहुत कुछ है। यहाँ का '[[विद्यासागर सेतु]]' [[हुगली नदी]] पर बना हुआ है और कोलकाता से [[हावड़ा ज़िला|हावड़ा]] को जोड़ता है। 19वीं शताब्दी के बंगाली समाज सुधारक [[ईश्वर चंद्र विद्यासागर]] के नाम पर इस सेतु का नाम रखा गया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कोलकाता]], [[कोलकाता पर्यटन]], [[विद्यासागर सेतु]] | ||
{'[[सीमंतोन्नयन संस्कार]]' का क्या अर्थ है? | |||
-सास द्वारा गर्भवती बहू के बाल खोलना। | |||
+पति द्वारा गर्भवती पत्नी के बाल खोलना। | |||
-ननद द्वारा गर्भवती भाभी के बाल खोलना। | |||
-पति और सास की उपस्थिति में गर्भवती महिला द्वारा स्वयं बाल खोलना। | |||
{निम्न में से किस [[सूर्य मंदिर (बहुविकल्पी)|सूर्य मन्दिर]] को 'ब्लैक पैगोडा' कहा जाता है? | {निम्न में से किस [[सूर्य मंदिर (बहुविकल्पी)|सूर्य मन्दिर]] को 'ब्लैक पैगोडा' कहा जाता है? | ||
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-इनमें से कोई नहीं | -इनमें से कोई नहीं | ||
||[[चित्र:A-View-Of-Sun-Temple-Konark.jpg|right|100px|कोणार्क सूर्य मन्दिर]]'कोणार्क सूर्य मन्दिर' [[भारत]] के [[उड़ीसा|उड़ीसा राज्य]] के [[पुरी ज़िला|पुरी ज़िले]] के [[कोणार्क]] नामक क़स्बे में स्थित है। यह [[सूर्य मन्दिर कोणार्क|सूर्य मन्दिर]] अपने निर्माण के 750 साल बाद भी अपनी अद्वितीयता, विशालता व कलात्मक भव्यता से हर किसी को निरुत्तर कर देता है। वास्तव में जिसे हम कोणार्क सूर्य मन्दिर के रूप में पहचानते हैं, वह पार्श्व में बने उस [[सूर्य मंदिर (बहुविकल्पी)|सूर्य मन्दिर]] का जगमोहन या महामण्डप है, जो कि बहुत पहले ध्वस्त हो चुका है। कोणार्क के सूर्य मन्दिर को [[अंग्रेज़ी]] में "ब्लैक पैगोडा" भी कहा जाता है। [[भारत]] से ही नहीं, बल्कि दुनिया भर से लाखों पर्यटक इसको देखने कोणार्क आते हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कोणार्क सूर्य मन्दिर]] | ||[[चित्र:A-View-Of-Sun-Temple-Konark.jpg|right|100px|कोणार्क सूर्य मन्दिर]]'कोणार्क सूर्य मन्दिर' [[भारत]] के [[उड़ीसा|उड़ीसा राज्य]] के [[पुरी ज़िला|पुरी ज़िले]] के [[कोणार्क]] नामक क़स्बे में स्थित है। यह [[सूर्य मन्दिर कोणार्क|सूर्य मन्दिर]] अपने निर्माण के 750 साल बाद भी अपनी अद्वितीयता, विशालता व कलात्मक भव्यता से हर किसी को निरुत्तर कर देता है। वास्तव में जिसे हम कोणार्क सूर्य मन्दिर के रूप में पहचानते हैं, वह पार्श्व में बने उस [[सूर्य मंदिर (बहुविकल्पी)|सूर्य मन्दिर]] का जगमोहन या महामण्डप है, जो कि बहुत पहले ध्वस्त हो चुका है। कोणार्क के सूर्य मन्दिर को [[अंग्रेज़ी]] में "ब्लैक पैगोडा" भी कहा जाता है। [[भारत]] से ही नहीं, बल्कि दुनिया भर से लाखों पर्यटक इसको देखने कोणार्क आते हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कोणार्क सूर्य मन्दिर]] | ||
{"यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता" किस [[ग्रंथ]] से उद्धृत है? | |||
|type="()"} | |||
-[[रामायण]] | |||
-[[ऋग्वेद]] | |||
+[[मनुस्मृति]] | |||
-[[अभिज्ञानशाकुन्तलम]] | |||
||[[भारत]] में [[वेद|वेदों]] के उपरान्त सर्वाधिक मान्यता और प्रचलन '[[मनुस्मृति]]' का ही है । इसमें चारों [[वर्ण व्यवस्था|वर्णों]], चारों [[आश्रम व्यवस्था|आश्रमों]], [[सोलह संस्कार|सोलह संस्कारों]] तथा सृष्टि उत्पत्ति के अतिरिक्त राज्य की व्यवस्था, राजा के कर्तव्य, भांति-भांति के विवादों, सेना का प्रबन्ध आदि सभी विषयों पर परामर्श दिया गया है। भारत में 'मनुस्मृति' का सर्वप्रथम मुद्रण 1813 ई. में [[कलकत्ता]] में हुआ था। 2694 [[श्लोक|श्लोकों]] का यह [[ग्रंथ]] 12 अध्यायों में विभक्त है। यह [[हिन्दू धर्म]] का सबसे प्रधान ग्रंथ है। इसके रचयिता के विषय में मतभेद है। कुछ का मत है कि पहले यह एक 'मानव धर्मशास्त्र' था, जो अब उपलब्ध नहीं है। अत: वर्तमान 'मनुस्मृति' को [[मनु]] के नाम से प्रचारित करके उसे प्रामाणिकता प्रदान की गई।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मनुस्मृति]] | |||
{[[भारत]] का राष्ट्रीय [[वाद्य यंत्र]] कौन-सा है? | {[[भारत]] का राष्ट्रीय [[वाद्य यंत्र]] कौन-सा है? | ||
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-[[ओंकारनाथ ठाकुर]] | -[[ओंकारनाथ ठाकुर]] | ||
||[[चित्र:Faiyaz-Khan.jpg|right|100px|फ़ैयाज़ ख़ाँ]]'फ़ैयाज़ ख़ाँ' [[ध्रुपद]] तथा [[ख़याल]] गायन शैली के श्रेष्ठतम गायक थे। पिछली शताब्दी के पूर्वार्द्ध के जिन संगीतज्ञों की गणना शिखर पुरुष के रूप में की जाती है, उनमें [[फ़ैयाज़ ख़ाँ]] का नाम भी शामिल है। ध्रुपद, [[धमार]], ख़याल, तराना और [[ठुमरी]] आदि, इन सभी शैलियों की गायकी पर उन्हें कुशलता प्राप्त थी। वर्ष [[1930]] के आस-पास फ़ैयाज़ ख़ाँ ने [[रवीन्द्रनाथ ठाकुर|गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर]] के निवास स्थान 'जोरासांकों ठाकुरबाड़ी' पर आयोजित संगीत समारोह में भाग लिया था। समारोह के दौरान वे रवीन्द्रनाथ ठाकुर से अत्यन्त प्रभावित हुए और उन्हें '''हिंदुस्तान का सबसे बड़ा शायर''' की उपाधि दी। अपने प्रभावशाली [[संगीत]] से फ़ैयाज़ ख़ाँ ने देश के सभी संगीत केन्द्रों में खूब यश अर्जित किया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[फ़ैयाज़ ख़ाँ]] | ||[[चित्र:Faiyaz-Khan.jpg|right|100px|फ़ैयाज़ ख़ाँ]]'फ़ैयाज़ ख़ाँ' [[ध्रुपद]] तथा [[ख़याल]] गायन शैली के श्रेष्ठतम गायक थे। पिछली शताब्दी के पूर्वार्द्ध के जिन संगीतज्ञों की गणना शिखर पुरुष के रूप में की जाती है, उनमें [[फ़ैयाज़ ख़ाँ]] का नाम भी शामिल है। ध्रुपद, [[धमार]], ख़याल, तराना और [[ठुमरी]] आदि, इन सभी शैलियों की गायकी पर उन्हें कुशलता प्राप्त थी। वर्ष [[1930]] के आस-पास फ़ैयाज़ ख़ाँ ने [[रवीन्द्रनाथ ठाकुर|गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर]] के निवास स्थान 'जोरासांकों ठाकुरबाड़ी' पर आयोजित संगीत समारोह में भाग लिया था। समारोह के दौरान वे रवीन्द्रनाथ ठाकुर से अत्यन्त प्रभावित हुए और उन्हें '''हिंदुस्तान का सबसे बड़ा शायर''' की उपाधि दी। अपने प्रभावशाली [[संगीत]] से फ़ैयाज़ ख़ाँ ने देश के सभी संगीत केन्द्रों में खूब यश अर्जित किया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[फ़ैयाज़ ख़ाँ]] | ||
{[[पैगम्बर मुहम्मद]] की कही गई बातें तथा उनकी स्मृतियाँ किस [[ग्रंथ]] में संकलित हैं? | |||
|type="()"} | |||
+[[हदीस]] | |||
-[[क़ुरान]] | |||
-तोराह | |||
-[[जेंदावेस्ता]] | |||
{[[दक्षिण भारत]] से उत्तर भारत में [[भक्ति आन्दोलन]] किसने चलाया? | |||
|type="()"} | |||
+[[रामानन्द]] | |||
-[[शंकराचार्य]] | |||
-[[विवेकानन्द]] | |||
-[[कबीर]] | |||
||स्वामी रामानन्द का केन्द्र मठ [[काशी]] के 'पंच गंगाघाट' पर स्थित था। एक किंवदन्ती के अनुसार छुआ-छूत मतभेद के कारण गुरु राघवानन्द ने उन्हें नया सम्प्रदाय चलाने की अनुमति दी थी। दूसरा वर्ग एक प्राचीन रामावत सम्प्रदाय की कल्पना करता है और [[रामानन्द]] को उसका एक प्रमुख आचार्य मानता है। डॉ. फर्कुहर के अनुसार यह रामावत सम्प्रदाय दक्षिण [[भारत]] में था और उसके प्रमुख [[ग्रन्थ]] '[[वाल्मीकि रामायण]]' तथा 'अध्यात्म रामायण' थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[रामानन्द]] | |||
{निम्नलिखित में से [[पारसी धर्म]] के संस्थापक कौन थे? | {निम्नलिखित में से [[पारसी धर्म]] के संस्थापक कौन थे? | ||
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-मिकादो | -मिकादो | ||
||[[चित्र:Zoroaster.jpg|right|100px|ज़रथुष्ट्र]]'ज़रथुष्ट्र' [[पारसी धर्म]] के संस्थापक थे। ग्रीक भाषा में इन्हें 'ज़ोरोस्टर' कहा जाता है और आधुनिक [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]] में 'जारटोस्थ'। पारसी धर्म [[ईरान]] का राजधर्म हुआ करता था। क्योंकि पैगंबर [[ज़रथुष्ट्र]] ने इस [[धर्म]] की स्थापना की थी, इसीलिए इसे 'ज़रथुष्ट्री धर्म' भी कहा जाता है। सम्भवत: ज़रथुष्ट्र किसी संस्थागत धर्म के प्रथम पैगम्बर थे। इतिहासकारों का मत है कि वे 1700-1500 ई.पू. के बीच सक्रिय थे। पारसी धर्म पैगम्बरी धर्म है, क्योंकि ज़रथुष्ट्र को पारसी धर्म में 'अहुर मज्दा' (ईश्वर) का पैगम्बर माना गया है। लगभग 77 वर्ष और 11 दिन की आयु में ज़रथुष्ट्र की मृत्यु हुई।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[ज़रथुष्ट्र]], [[पारसी धर्म]] | ||[[चित्र:Zoroaster.jpg|right|100px|ज़रथुष्ट्र]]'ज़रथुष्ट्र' [[पारसी धर्म]] के संस्थापक थे। ग्रीक भाषा में इन्हें 'ज़ोरोस्टर' कहा जाता है और आधुनिक [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]] में 'जारटोस्थ'। पारसी धर्म [[ईरान]] का राजधर्म हुआ करता था। क्योंकि पैगंबर [[ज़रथुष्ट्र]] ने इस [[धर्म]] की स्थापना की थी, इसीलिए इसे 'ज़रथुष्ट्री धर्म' भी कहा जाता है। सम्भवत: ज़रथुष्ट्र किसी संस्थागत धर्म के प्रथम पैगम्बर थे। इतिहासकारों का मत है कि वे 1700-1500 ई.पू. के बीच सक्रिय थे। पारसी धर्म पैगम्बरी धर्म है, क्योंकि ज़रथुष्ट्र को पारसी धर्म में 'अहुर मज्दा' (ईश्वर) का पैगम्बर माना गया है। लगभग 77 वर्ष और 11 दिन की आयु में ज़रथुष्ट्र की मृत्यु हुई।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[ज़रथुष्ट्र]], [[पारसी धर्म]] | ||
{निम्नलिखित में से किस स्थान पर 'सूर्य मन्दिर' नहीं है? | |||
|type="()"} | |||
-मार्त्तण्ड ([[जम्मू-कश्मीर]]) | |||
+[[पाटलिपुत्र]] ([[बिहार]]) | |||
-मोधरा ([[गुजरात]]) | |||
-सूर्यनकोविल ([[तमिलनाडु]]) | |||
||[[चित्र:Patna-Golghar.jpg|right|100px|गोलघर, पटना]]'पाटलिपुत्र' प्राचीन समय से ही [[भारत]] के प्रमुख नगरों में गिना जाता था। [[पाटलीपुत्र]] वर्तमान [[पटना]] का ही प्राचीन नाम था। आज पटना भारत के [[बिहार]] प्रान्त की राजधानी है। आधुनिक पटना दुनिया के गिने-चुने उन विशेष प्रचीन नगरों में से एक है, जो अति प्राचीन काल से आज तक आबाद हैं। पाटलिपुत्र की विशेष ख्याति भारत के ऐतिहासिक काल के विशालतम साम्राज्य, [[मौर्य साम्राज्य]] की राजधानी के रूप में हुई। [[चंद्रगुप्त मौर्य]] के समय में पाटलिपुत्र की समृद्धि तथा शासन-सुव्यवस्था का वर्णन [[यूनानी]] राजदूत [[मैगस्थनीज़]] ने भली-भांति किया है। उसमें पाटलिपुत्र के स्थानीय शासन के लिए बनी एक समिति की भी चर्चा की गई है। उस समय यह नगर 9 मील {{मील|मील=9}} लंबा तथा डेढ़ मील चौड़ा एवं चर्तुभुजाकार था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[पाटलिपुत्र]], [[बिहार]] | |||
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Revision as of 13:06, 21 October 2013
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