तेरहवीं लोकसभा (1999): Difference between revisions
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वर्ष 1999 के लोकसभा चुनाव कई दृष्टियों से ख़ास थे। तत्कालीन राष्ट्रपति के. आर. नारायणन ने लोकसभा को भंग कर दिया और जल्द ही चुनाव कराने की घोषणा कर दी। चुनाव आयोग द्वारा चुनावों की तिथि 4 मई घोषित की गई थी। क्योंकि पिछले लोकसभा चुनाव वर्ष 1996 और 1998 में आयोजित हुए थे, इसलिए 1999 के चुनाव चालीस महीने में तीसरी बार हो रहे थे।
पूर्व सरकार का गिरना
प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने 17 अप्रैल, 1999 को लोकसभा में विश्वास मत खो दिया। जिस कारण उनकी गठबंधन सरकार ने इस्तीफा दे दिया। भाजपा गठबंधन की अपने सहयोगी जयललिता के नेतृत्व वाली अन्नाद्रमुक के पीछे हटने के कारण मतदान में एक वोट से हार गई थी। मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस, क्षेत्रीय और वामपंथी समूहों के साथ मिलकर बहुमत वाली सरकार बनाने के लिए पर्याप्त समर्थन नहीं पा सकी। 26 अप्रैल को भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति के. आर. नारायणन ने लोकसभा भंग कर दी और जल्दी चुनाव करने की घोषणा कर दी।
चुनाव आयोजन
भाजपा ने मतदान होने तक एक अंतरिम प्रशासन के रूप में शासन करना जारी रखा। चुनाव आयोग द्वारा चुनावों की तिथि 4 मई घोषित की गई। चूंकि पिछले चुनाव 1996 और 1998 में आयोजित हुए थे, इसलिए 1999 के चुनाव 40 महीने में तीसरी बार हो रहे थे। चुनावी धोखाधड़ी और हिंसा को रोकने के लिए देश के 31 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में सुरक्षा बलों को तैनात करने हेतु ये चुनाव पांच सप्ताह तक चले। 45 पार्टियों ने 543 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ा। इनमें छ: राष्ट्रीय एवं शेष क्षेत्रीय पार्टियाँ थीं। लंबे चुनाव अभियान के दौरान, भाजपा और कांग्रेस ने आमतौर पर आर्थिक और विदेश नीति के मुद्दों पर सहमति व्यक्त की। इसमें पाकिस्तान के साथ कश्मीर सीमा विवाद का निपटारा भी शामिल था। उनकी प्रतिद्वंद्विता केवल सोनिया गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी के बीच के व्यक्तिगत टकराव के रूप में ही अधिक प्रकट हुई।
चुनाव परिणाम
वर्ष 1991, 1996 और 1998 के चुनावों में भाजपा और उसके सहयोगियों ने लगातार विकास किया था। क्षेत्रीय विस्तार के कारण राजग प्रतिस्पर्धी बन गया और यहाँ तक कि उसने कांग्रेस की बहुलता वाले क्षेत्रों- उड़ीसा, आंध्र प्रदेश और असम में भी सबसे अधिक मत पाये किए थे। ये सभी बिन्दु 1999 के चुनाव परिणामों में निर्णायक साबित हुए। 6 अक्टूबर को आए परिणाम में राजग को 298 सीटें मिलीं। कांग्रेस और उसके सहयोगियों को 136 सीटों पर वियज प्राप्त हुई। अटल बिहारी वाजपेयी ने 13 अक्टूबर को प्रधानमंत्री का पद ग्रहण किया।
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