ग्रसनी शोथ: Difference between revisions

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ग्रसनिका रक्तयुक्त हो जाती एवं सूज जाती है। रोगी का कंठ शुकपूर्ण, तालु में पीड़ा, खाँसी तथा स्वर भारी हो जाता है कि कंठ में कोई वस्तु फँसी हुई है। भोजन निगलने में कष्ट होता है।
ग्रसनिका रक्तयुक्त हो जाती एवं सूज जाती है। रोगी का कंठ शुकपूर्ण, तालु में पीड़ा, खाँसी तथा स्वर भारी हो जाता है कि कंठ में कोई वस्तु फँसी हुई है। भोजन निगलने में कष्ट होता है।
==उपचार==
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Latest revision as of 12:21, 25 October 2017

ग्रसनी शोथ (अंग्रेज़ी: Pharyngitis) गले का एक रोग है। ग्रसनी शोथ या ग्रसन्यार्ति व्याधि में ग्रसनिका, मृदुताल तथा तुंडिवादि की श्लेष्म कला में शोथ हो जाता है।

कारण

यह रोग प्राय: शीत लग जाने के कारण उत्पन्न होता है। कभी कभी उत्तेजक पदार्थों के वाष्प से, या गरम उत्तेजक पदार्थ के प्रयोग से भी, रोग की अवस्था उत्पन्न हो जाती है। छोटी चेचक (Chicken pox), मसूरिका (Measles), यक्ष्मा, उपदंश (Syphilis) आदि रोगों में भी ग्रसनीशोथ के लक्षण पाए जाते हैं। अत्यधिक धूम्रपान, चिरकालीन मद्यपान, रजकण इत्यादि से भी रोग हो जाने की आशंका रहती है।

लक्षण

ग्रसनिका रक्तयुक्त हो जाती एवं सूज जाती है। रोगी का कंठ शुकपूर्ण, तालु में पीड़ा, खाँसी तथा स्वर भारी हो जाता है कि कंठ में कोई वस्तु फँसी हुई है। भोजन निगलने में कष्ट होता है।

उपचार

सल्फा औषधियों तथा पेनिसिलिन का प्रयोग करना चाहिए। [1]



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ग्रसनी शोथ (हिंदी) भारतखोज। अभिगमन तिथि: 3 अगस्त, 2014।

बाहरी कड़ियाँ

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