शिबु सोरेन: Difference between revisions
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Revision as of 07:35, 7 November 2017
शिबु सोरेन
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पूरा नाम | शिबू सोरेन |
अन्य नाम | दिकू |
जन्म | 11 जनवरी, 1944 |
जन्म भूमि | हजारीबाग, बिहार |
अभिभावक | श्री शोबारन सोरेन |
पति/पत्नी | रूपी सोरेन |
संतान | पुत्र- दुर्गा, हेमंत और बसंत; पुत्री- अंजलि |
नागरिकता | भारतीय |
पार्टी | झारखण्ड मुक्ति मोर्चा |
शिक्षा | मैट्रिक |
चुनाव क्षेत्र | दुमका- अनुसूचित जन जातियाँ, झारखण्ड |
अन्य जानकारी | लोकसभा सांसद सातवीं, नौवीं, दसवीं, ग्यारहवीं, तेरहवीं और पंद्रहवीं लोकसभा के सदस्य चुने गये हैं। |
शिबू सोरेन (जन्म- 11 जनवरी, 1944, हजारीबाग, बिहार) लोकसभा सांसद सातवीं, नौवीं, दसवीं, ग्यारहवीं, तेरहवीं और पंद्रहवीं लोकसभा के सदस्य चुने गये हैं। शिबू सोरेन को झारखंड का तीसरा मुख्यमंत्री बनने का गौरव हासिल है। वो तीन बार इस राज्य की कमान संभाल चुके हैं। राज्य की राजनीति से बाहर केन्द्र की राजनीति में भी उनका अहम योगदान रहा है। सिबू सोरेन केन्द्र की मनमोहन सिंह सरकार में कोयला मंत्री रह चुके हैं।
परिचय
शिबू सोरेन का जन्म 11 जनवरी, 1944 को नामरा गाँव हजारीबाग, बिहार में हुआ था। इनकी स्कूली शिक्षा भी यहीं हुई। स्कूली शिक्षा समाप्त करने के बाद ही उनका विवाह हो गया और उन्होंने पिता को खेती के काम में मदद करने का निर्णय लिया। श्रीमती रूपी सोरेन उनकी पत्नी हैं। शिबू सोरेन के तीन पुत्र- दुर्गा, हेमंत और बसंत और एक पुत्री अंजलि है।
राजनैतिक जीवन
शिबू के राजनैतिक जीवन की शुरुआत 1970 में हुई। उन्होंने 23 जनवरी, 1975 को उन्होंने तथाकथित रूप से जामताड़ा जिले के चिरूडीह गाँव में "बाहरी" लोगों[1] को खदेड़ने के लिये एक हिंसक भीड़ का नेतृत्व किया था। इस घटना में 11 लोग मारे गये थे। उन्हें 68 अन्य लोगों के साथ हत्या का अभियुक्त बनाया गया।
शिबू पहली बार 1977 में लोकसभा के लिये चुनाव में खड़े हुये लेकिन उन्हें पराजय का मुँह देखना पड़ा। उनका यह सपना 1986 में पूरा हुआ। इसके बाद क्रमश: 1986, 1989, 1991, 1996 में भी चुनाव जीते। 2002 वे भाजपा की सहायता से राज्यसभा के लिये चुने गये। 2004 में वे दुमका से लोकसभा के लिये चुने गये और राज्यसभा की सीट से त्यागपत्र दे दिया।
सन 2005 में झारखंड विधानसभा चुनावों के पश्चात् वे विवादस्पद तरीक़े से झारखंड के मुख्यमंत्री बने, परंतु बहुमत साबित न कर सकने के कारण कुछ दिन पश्चात् ही उन्हें इस्तीफ़ा देना पड़ा।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ आदिवासी जिन्हें "दिकू" नाम से बुलाते हैं
बाहरी कड़ियाँ
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