शिप्रा नदी: Difference between revisions
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इन्दुमती की सखी सुनंदा अवंतिराज का परिचय कराने के | इन्दुमती की सखी सुनंदा अवंतिराज का परिचय कराने के पश्चात् उससे कहती है- "क्या तेरी रुचि इस अवंतिनाथ के साथ ([[उज्जयिनी]] के) उन उद्यानों में विहरण करने की है, जो शिप्रातरंगों से स्पृष्ट पवन द्वारा कम्पित होते रहते हैं।" | ||
Latest revision as of 07:36, 7 November 2017
शिप्रा या 'सिप्रा' नदी उज्जयिनी के निकट बहने वाली नदी है। वर्तमान में यह क्षिप्रा नदी के नाम से अधिक प्रसिद्ध है। यह चम्बल नदी की सहायक नदी है। 'मेघदूत'[1] में इस नदी का उज्जयिनी के सम्बन्ध में उल्लेख है-
'दीर्घीकुर्वनपटुमदकलंकूजितं सारसानां, प्रत्यूपेषु स्फुटित कमलामोदमैत्री। कषाय:, यत्र स्त्रीणां हरति सुरतग्लानिमंगानुकूल: शिप्रावात: प्रियतम इवं प्रार्थनाचाटुकार:'
अर्थात् "अवंती में शिप्रा-पवन सारसों की मदभरी कूक को बढ़ाता है, उषा:काल में खिले कमलों की सुगन्ध के स्पर्श से कसैला जान पड़ता है। स्त्रियों की सूरतग्लानि को हरने के कारण शरीर को आनन्ददायक प्रतीत होता है और प्रियतम के समान विनती करने में बड़ा कुशल है।[2]
- 'रघुवंश'[3] में भी महाकवि कालीदास ने इन्दुमती स्वयंवर के प्रसंग में शिप्रा की वायु का मनोहर वर्णन किया है-
'अनेन यूना सह पार्थिवेन रम्भोरु कच्चिन्मनसो-रुचिस्ते, शिप्रातरंगानिलकम्पितासुविहर्तुमुद्यानपरम्परासु।'
इन्दुमती की सखी सुनंदा अवंतिराज का परिचय कराने के पश्चात् उससे कहती है- "क्या तेरी रुचि इस अवंतिनाथ के साथ (उज्जयिनी के) उन उद्यानों में विहरण करने की है, जो शिप्रातरंगों से स्पृष्ट पवन द्वारा कम्पित होते रहते हैं।"
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