Revision as of 14:06, 29 July 2011 by गोविन्द राम(talk | contribs)('{| width="100%" | {{subst:हमारी आपकी}} |- | {| width="51%" align="left" cellpadding="0" cellspacing="5" |-valign="top" ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
हुमायूँ के मक़बरे का निर्माण 1565 से 1572 ईसवी के बीच फ़ारसी वास्तुविद् 'मिराक मिर्ज़ा ग़ियात' के वास्तु रूप-रेखा पर हुआ था।
यूनेस्को की विश्वदाय स्मारकों की सूची में शामिल 'हुमायूँ का मक़बरा' भारत का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है।
मक़बरे की पूर्ण शोभा इसको घेरे हुए 30 एकड़ में फैले चारबाग़ शैली के मुग़ल उद्यानों से निखरती है। 18वीं शताब्दी तक यहाँ स्थानीय लोगों ने चारबाग़ों में सब्ज़ी आदि उगाना आरंभ कर दिया था ... और पढ़ें
ग़ालिब सदा किराये के मकानों में रहे, अपना मकान न बनवा सके। वे ऐसा मकान ज़्यादा पसंद करते थे, जिसमें बैठकख़ाना और अन्त:पुर अलग-अलग हों और उनके दरवाज़े भी अलग हों, जिससे यार-दोस्त बेझिझक आ-जा सकें।
“हैं और भी दुनिया में सुख़नवर बहुत अच्छे
कहते हैं कि ग़ालिब का है अन्दाज़े-बयाँ और” ... और पढ़ें