चर्मण्वती नदी

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  • चर्मण्वती नदी, जिसे वर्तमान समय में चम्बल नदी के नाम से जाना जाता है।
  • यह नदी मध्य प्रदेश में बहती हुई इटावा, उत्तर प्रदेश के निकट यमुना नदी में मिलती है।
  • पुराणों और महाभारत में इसके किनारे पर राजा 'रन्तिदेव' द्वारा 'अतिथि यज्ञ' करने का उल्लेख मिलता है।
  • कहा जाता है कि बलिपशुओं के चमड़ों के पुँज से यह नदी बह निकली, इसीलिए इसका नाम 'चर्मण्वती' (आधनिक चम्बल नदी) पड़ा।
  • किन्तु यह पुराणों की गुप्त या सांकेतिक भाषा-शेली की उक्ति है, जिससे बड़े-बड़े लोग भ्रमित हो गए हैं।
  • यहाँ 'रन्तिदेव' की पशुबलि और चर्मराशि का अर्थ केला (कदली) स्तम्भों को काटकर उनके फलों से होम एवं अतिथि सत्कार करना है।
  • केलों के पत्तों-छिलकों को भी चर्म कहा जाता था। ऐसे कदलीवन से उक्त नदी निर्गत हुई थी।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

पाण्डेय, डॉ. राजबली हिन्दू धर्मकोश, द्वितीय संस्करण-1988 (हिन्दी), भारत डिस्कवरी पुस्तकालय: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, 262।

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