त्रित (देवता)

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 09:37, 7 December 2011 by रविन्द्र प्रसाद (talk | contribs) (''''त्रित''' प्राचीन देवताओं में से थे, जिन्होंन...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search

त्रित प्राचीन देवताओं में से थे, जिन्होंने सोम बनाया था। इन्होंने बल के दुर्ग को नष्ट किया था। युद्ध के समय मरुतों ने इनकी शक्ति की रक्षा की थी। जब सालावृकों से परास्त होने पर त्रित को एक कुएँ में गिरा दिया गया, तब देवगुरु बृहस्पति ने उन्हें वहाँ से बाहर निकाला।

  • जब एक दिन त्रित अपनी अनेक गायों को लेकर जा रहे थे, तब मार्ग में आततायी सालावृकों ने उन पर आक्रमण कर दिया।
  • त्रित को बाँधकर एक अंधे कुएँ में डाल दिया तथा वे लोग गायों को बलपूर्वक हाँकते हुए ले गये।
  • जलविहीन टूटे-फूटे कुएँ में गिरकर त्रित को बहुत खेद हुआ।
  • सूखे कुएँ पर सब ओर सूखी हुई काई और टूटी हुई दीवारें थीं।
  • त्रित अपने विगत पराक्रम, पौरुष, स्तुतियों तथा देव-मित्रों का स्मरण करके बहुत क्षुब्ध हुए, कि उनमें से कोई भी उनकी सहायता करने के लिए नहीं आता।
  • त्रित निरन्तर सोचते रहे कि भविष्य में उनका कंकाल उसी कुएँ में पड़ा रहेगा और ऋतुएँ उसे नष्ट कर डालेंगी।
  • टूटे कुएँ की दीवारों से टकराकर आहत त्रित की स्थिति पर दया कर देवगुरु बृहस्पति ने वहाँ जाकर उन्हें बाहर निकाला तथा सालावृक से उनकी गउएँ लौटवा दीं।[1]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ऋग्वेद, 105 से 109 तक

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः