अस्तगिरि पर्वत

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अस्तगिरि शाक द्वीप के एक पहाड़ का नाम है। देवासुर संग्राम में राजा बलि जब मूच्छित होकर गिर गया, तब संजीवनी विद्या से दैत्यगुरु शुक्राचार्य द्वारा उसकी चिकित्सा यहीं की गयी थी। यह रजतमय कहा गया है।[1]

'पूर्वस्तत्रोदय गिरिर्जला धारस्तथापर:,
तथा रैवतक: श्यामस्तथेवास्त गिरिर्द्विज'।[2]

उर्पयुक्त उद्धरण के प्रसंग के अनुसार भी अस्तगिरि शाक द्वीप के सात पर्वतों में से एक सिद्ध होता है।


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