आभानेरी

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आभानेरी राजस्थान के दौसा ज़िले में स्थित एक ऐतिहासिक ग्राम है। यह जयपुर से 95 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। यह इतिहास की आभा से अभीभूत कर देने वाला स्थान है। यह छोटा-सा ग्राम किसी समय राजा भोज की राजधानी रहा था। आभानेरी से प्राप्त पुरातत्त्व अवशेषों को देखकर यह कहा जा सकता है कि यह स्थान लगभग तीन हज़ार वर्ष तक पुराना हो सकता है। यहाँ से प्राप्त कुछ अत्यंत महत्वपूर्ण पुरावशेष 'अल्बर्ट हॉल म्यूजियम', जयपुर की शोभा बढ़ा रहे हैं।

इतिहास

पुरातत्त्व विभाग द्वारा यहां से प्राप्त पुरावशेषों को देखकर यह कहा जा सकता है कि आभानेरी गांव तीन हज़ार साल तक पुराना हो सकता है। ऐसा माना जाता है कि यहां गुर्जर प्रतिहार राजा सम्राट मिहिर भोज ने शासन किया था। उन्हीं को राजा चांद के नाम से भी जाना जाता है। आभानेरी का वास्तविक नाम 'आभानगरी' था। कालान्तर में अपभ्रंश के कारण यह आभानेरी कहलाने लगा।[1]

कला और संस्कृति का स्थल

कला और संस्कृति के क्षेत्र में भारत की भूमि का कोई मुकाबला नहीं है। यहां पग-पग पर कला के रंग समय को भी यह इजाजत नहीं देते कि वे उसके अस्तित्व पर गर्त भी डाल सकें। भारत की ऐसी ही वैभवशाली और पर्याप्त समृद्ध स्थापत्य कला के नमूने कहीं-कहीं इतिहास के झरोखे से झांकते मालूम होते हैं। ऐसे ही कुछ नमूने राजस्थान के दौसा ज़िले में स्थित ऐतिहासिक स्थल 'आभानेरी' में देखने को मिलते हैं।

राजा भोज की राजधानी

आभानेरी इतिहास की आभा से अभीभूत कर देने वाला ऐतिहासिक स्थान है। जयपुर-आगरा मार्ग पर सिकंदरा क़स्बे से कुछ कि.मी. उत्तर दिशा में यह छोटा-सा ग्राम किसी समय राजा भोज की विशाल रियासत की राजधानी रहा था। राजा भोज को 'राजा चांद' या 'राजा चंद्र' के नाम से भी जाना जाता है।[1]

पुरावशेष

राजा चांद ने यहाँ कई चमत्कृत कर देने वाले निर्माण कराए थे, जिनके स्थापत्य की आभा तुर्क आक्रमणकारी सहन नहीं कर पाए और खूबसूरत शिल्पों के टुकडे-टुकडे कर दिए। आज भी शिल्पविधा का चरम बयान करते इन टुकड़ों पर उत्कीर्ण मूर्तियां और बेल-बूटे एक साथ रूदन करते और हास करते नजर आते हैं। संयोग वियोग में भीगी यह कला रोती मालूम होती है, क्योंकि इन्हें लूटपाट कर तोड़ा गया और हंसती इसलिए लगती हैं कि आज के वैज्ञानिक और यांत्रिक युग में मशीन से भी ऐसे शिल्प गढ़ना आसान नहीं है। इतिहास की कला और उथल-पुथल को बयान करते आभानेरी से प्राप्त कुछ अत्यंत महत्वपूर्ण पुरावशेष 'अल्बर्ट हॉल म्यूजियम', जयपुर की शोभा बढ़ा रहे हैं।

राष्ट्रीय धरोहर

आभानेरी में आठवीं-नवीं सदी में निर्मित दो स्मारक अब 'राष्ट्रीय धरोहर' घोषित किये जा चुके हैं, ये हैं- 'हर्षत माता का मंदिर' और 'चांद बावड़ी'।

पर्यटकों का आगमन

आभानेरी ग्राम उस समय राष्ट्रीय फलक पर उभरकर सामने आया, जब यहां आसपास के क्षेत्र से तीसरी-चौथी सदी के पुरावशेष 'भारतीय पुरातत्त्व विभाग' को प्राप्त हुए। उसके बाद यह स्थल विभाग ने अपने अधीन ले लिया। अब आभानेरी के 'हर्षत माता मंदिर' और 'चांद बावड़ी' राष्ट्रीय संरक्षित स्मारक हैं। जयपुर-दिल्ली-आगरा स्वर्णिम त्रिकोण के बीच स्थित इस ऐतिहासिक स्थल पर दिनोंदिन पर्यटकों की संख्या बढ़ रही है। जयपुर-आगरा राजमार्ग और जयपुर के पास स्थित होने से आभानेरी को लाभ भी प्राप्त हुआ है। जयपुर से आभानेरी की दूरी लगभग 95 कि.मी. है। यह जयपुर से आगरा की ओर चलने पर दौसा से आगे सिकंदरा क़स्बे से उत्तर में लगभग 12 कि.मी. की दूरी पर स्थित है।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 आभानेरी-शिल्प की स्वर्णनगरी (हिन्दी) पिंकसिटी.कॉम। अभिगमन तिथि: 04 अक्टूबर, 2014।

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