लुहांगी

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लुहांगी मध्य प्रदेश के विदिशा में स्थित है। यह अत्यंत मनोरम स्थान है। इसके चारों ओर रायसेन का किला, साँची की पहाड़ियाँ, उदयगिरि की श्रेणियाँ, वैत्रवती नदी व उनके किनारों पर लगी वृक्षों की श्रृंखलाएँ अत्यंत सुंदर दिखती हैं। विदिशा नगर के मध्य रेलवे स्टेशन के निकट ही अत्यन्त कठोर बलुआ पत्थर से निर्मित यह स्थान 170 फीट ऊँची है। इसे अब राजेन्द्र गिरि के नाम से जाना जाता है।

  • इस स्थान का इतिहास महाभारत के काल का है। अश्वमेघ यज्ञ के समय पाण्डवों ने इस पहाड़ी पर अधिपत्य कर लिया था। जब यहाँ के राजा ने अश्वमेघ यज्ञ का घोड़ा पकड़ लिया, तब उसके रक्षार्थ आये कृष्ण, भीमकर्ण के पुत्रों ने राजा से युद्ध कर उन्हें पराजित किया। गुरु पूर्णिमा को यहाँ मेला लगता है।
  • इस पहाड़ी पर दो सहस्र वर्ष पहले का मंदिर व सम्राट अशोक के समय का लेखयुक्त चिकना स्तंभ खड़ा है। स्तंभ के शीर्ष पर चार सिंह बने हैं। इस शीर्ष को 'पानी की कुंडी' के नाम से पुकारा जाता है। मौर्य काल में बना यह स्तंभ यह संकेत देता है कि उस समय यहाँ कोई स्तूप या संघाराम बना होगा।
  • मुस्लिम शासकों ने कई मंदिर, धर्मशाला व स्तंभ को तोड़कर नष्ट कर दिये। चारों ओर मूर्तियों के खण्डित भाग बिखरे हैं।
  • सिंधिया शासकों ने लोहांगी गिरिश्रेणी के पुरातात्विक महत्त्व को समझते हुए इससे पत्थर काटना निषिद्ध कर दिया था।
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