Difference between revisions of "आनंदपुर"

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'''आनंदपुर''' [[गुजरात]] में स्थित एक ऐतिहासिक नगर है जिसका नाम अब [[आणंद]] कर दिया गया है। [[गुर्जर]] नरेश शीलादित्य सप्तम के अलिया ताभ्रदानपट्ट<ref>767 ई.</ref> में आनंदपुर का उल्लेख है। इस नगर में राजा का शिविर था जहां से यह शासन प्रचलित किया गया है। [[किंवदंती]] के अनुसार आनंदपुर सारस्वत<ref>नागर</ref> [[ब्राह्मण|ब्राह्मणों]] का मूल स्थान है। उनका कहना है कि उन्होंने ही [[देवनागरी लिपि]] का आविष्कार किया था। 7वीं शती ई.<ref>630-645 ई.</ref> में जब [[युवानच्वांग]] [[भारत]] आया था तो आनंदपुर का प्रांत [[मालवा]] के उत्तर पश्चिम की ओर [[साबरमती नदी|साबरमती]] के पश्चिम में स्थित था। यह [[मालवा]] [[राज्य]] के ही अधीन था। इसका दूसरा नाम वरनगर भी था। [[ऋग्वेद]] प्रातिशाख्य के रचयिता उव्वट ने अपने [[ग्रन्थ]] के प्रत्येक अध्याय के अंत में '''इति आनन्दपुर वास्तव्यं''' लिखा है। बहुत संभव है कि वह इसी नगर का निवासी रहा हो। नागर ब्राह्मण वरनगर के निवासी होने से ही नागर कहलाए।  
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'''आनंदपुर''' [[गुजरात]] में स्थित एक [[ऐतिहासिक स्थान|ऐतिहासिक नगर]] है जिसका नाम अब [[आणंद]] कर दिया गया है। [[गुर्जर]] नरेश शीलादित्य सप्तम के अलिया ताभ्रदानपट्ट<ref>767 ई.</ref> में आनंदपुर का उल्लेख है। इस नगर में राजा का शिविर था जहां से यह शासन प्रचलित किया गया है। [[किंवदंती]] के अनुसार आनंदपुर सारस्वत<ref>नागर</ref> [[ब्राह्मण|ब्राह्मणों]] का मूल स्थान है। उनका कहना है कि उन्होंने ही [[देवनागरी लिपि]] का आविष्कार किया था।  
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7वीं शती ई.<ref>630-645 ई.</ref> में जब [[युवानच्वांग]] [[भारत]] आया था तो आनंदपुर का प्रांत [[मालवा]] के [[उत्तर]] [[पश्चिम]] की ओर [[साबरमती नदी|साबरमती]] के पश्चिम में स्थित था। यह [[मालवा]] [[राज्य]] के ही अधीन था। इसका दूसरा नाम '''वरनगर''' भी था। [[ऋग्वेद]] प्रातिशाख्य के रचयिता उव्वट ने अपने [[ग्रन्थ]] के प्रत्येक अध्याय के अंत में '''इति आनन्दपुर वास्तव्यं''' लिखा है। बहुत संभव है कि वह इसी नगर का निवासी रहा हो। '''नागर ब्राह्मण''' वरनगर के निवासी होने से ही '''नागर''' कहलाए।  
 
{{संदर्भ ग्रंथ}}
 
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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*ऐतिहासिक स्थानावली | पृष्ठ संख्या= 62-63| विजयेन्द्र कुमार माथुर |  वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार
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[[Category:गुजरात]]
 
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Latest revision as of 12:21, 4 May 2018

anandapur gujarat mean sthit ek aitihasik nagar hai jisaka nam ab anand kar diya gaya hai. gurjar naresh shiladity saptam ke aliya tabhradanapatt[1] mean anandapur ka ullekh hai. is nagar mean raja ka shivir tha jahaan se yah shasan prachalit kiya gaya hai. kianvadanti ke anusar anandapur sarasvat[2] brahmanoan ka mool sthan hai. unaka kahana hai ki unhoanne hi devanagari lipi ka avishkar kiya tha.

7vian shati ee.[3] mean jab yuvanachvaang bharat aya tha to anandapur ka praant malava ke uttar pashchim ki or sabaramati ke pashchim mean sthit tha. yah malava rajy ke hi adhin tha. isaka doosara nam varanagar bhi tha. rrigved pratishakhy ke rachayita uvvat ne apane granth ke pratyek adhyay ke aant mean iti anandapur vastavyan likha hai. bahut sanbhav hai ki vah isi nagar ka nivasi raha ho. nagar brahman varanagar ke nivasi hone se hi nagar kahalae.

tika tippani aur sandarbh

  • aitihasik sthanavali | prishth sankhya= 62-63| vijayendr kumar mathur | vaijnanik tatha takaniki shabdavali ayog | manav sansadhan vikas mantralay, bharat sarakar


  1. 767 ee.
  2. nagar
  3. 630-645 ee.

bahari k diyaan

sanbandhit lekh