Difference between revisions of "इतिहास सामान्य ज्ञान 506"

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{[[चंपारण सत्याग्रह]] के दौरान [[महात्मा गांधी]] के साथ कौन शामिल थे?
 
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+[[राजेन्द्र प्रसाद]] व [[अनुग्रह नारायण सिंह]]
 
+[[राजेन्द्र प्रसाद]] व [[अनुग्रह नारायण सिंह]]
 
-[[महादेव देसाई]] व मणि बेन पटेल
 
-[[महादेव देसाई]] व मणि बेन पटेल
||[[चम्पारन सत्याग्रह]] का प्रारम्भ राष्ट्रपिता [[महात्मा गाँधी]] के द्वारा किया गया था। [[अंग्रेज़]] बाग़ान मालिकों ने चम्पारन के किसानों से एक अनुबन्ध करा लिया था, जिसमें उन्हें नील की खेती करना अनिवार्य था। नील के बाज़ार में गिरावट आने से कारखाने बन्द होने लगे। अंग्रेज़ों ने किसानों की मजबूरी का लाभ उठाकर लगान बढ़ा दिया। इसी के फलस्वरूप विद्रोह प्रारम्भ हो गया। महात्मा गाँधी ने अंग्रेज़ों के इस अत्याचार से चम्पारन के किसानों का उद्धार कराया। इसका परिणाम यह हुआ कि [[बिहार]] वालों के लिए वे देवतुल्य बन गये। यहाँ उनके साथ आन्दोलन में प्रमुख थे- [[राजेन्द्र प्रसाद]], [[कृष्ण सिंह|श्री कृष्ण सिंह]], [[अनुग्रह नारायण सिंह|अनुग्रह नारायन सिंह]], जनकधारी प्रसाद और ब्रजकिशोर प्रसाद।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[चम्पारन सत्याग्रह]], [[राजेन्द्र प्रसाद]], [[अनुग्रह नारायण सिंह]]
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||[[चम्पारन सत्याग्रह]] का प्रारम्भ [[महात्मा गाँधी|राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी]] के द्वारा किया गया था। [[अंग्रेज़]] बाग़ान मालिकों ने चम्पारन के किसानों से एक अनुबन्ध करा लिया था, जिसमें उन्हें नील की खेती करना अनिवार्य था। नील के बाज़ार में गिरावट आने से कारखाने बन्द होने लगे। अंग्रेज़ों ने किसानों की मजबूरी का लाभ उठाकर लगान बढ़ा दिया। इसी के फलस्वरूप विद्रोह प्रारम्भ हो गया। महात्मा गाँधी ने अंग्रेज़ों के इस अत्याचार से चम्पारन के किसानों का उद्धार कराया। इसका परिणाम यह हुआ कि [[बिहार]] वालों के लिए वे देवतुल्य बन गये। यहाँ उनके साथ आन्दोलन में प्रमुख थे- [[राजेन्द्र प्रसाद]], [[कृष्ण सिंह|श्री कृष्ण सिंह]], [[अनुग्रह नारायण सिंह]], जनकधारी प्रसाद और ब्रजकिशोर प्रसाद।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[चम्पारन सत्याग्रह]], [[राजेन्द्र प्रसाद]], [[अनुग्रह नारायण सिंह]]
  
{किस युद्ध में जीतने के उपरांत [[बाबर]] ने ख़ज़ाने का मुंह अमीरों, संगे-संबंधियों आदि के लिए खोल दिए और इस उदारता के लिए उसे 'कलन्दर' की उपाधि दी गई?
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{किस युद्ध में जीतने के उपरांत [[बाबर]] ने ख़ज़ाने का मुंह अमीरों, संगे-संबंधियों आदि के लिए खोल दिया और इस उदारता के लिए उसे 'कलन्दर' की उपाधि दी गई?
 
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+[[पानीपत का प्रथम युद्ध]] (1526)
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+[[पानीपत का प्रथम युद्ध]] (1526 ई.)
-[[खानवा का युद्ध]] (1527)
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-[[खानवा का युद्ध]] (1527 ई.)
-चंदेरी का युद्ध (1528)
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-[[चंदेरी का युद्ध]] (1528 ई.)
-[[घाघरा का युद्ध]] (1529)
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-[[घाघरा का युद्ध]] (1529 ई.)
|| 1526 ई. में [[पानीपत]] के प्रथम युद्ध में [[दिल्ली सल्तनत]] के अंतिम वंश ([[लोदी वंश]]) के सुल्तान [[इब्राहीम लोदी]] की पराजय के साथ ही [[भारत]] में [[मुग़ल वंश]] की स्थापना हो गई। इस वंश का संस्थापक "ज़हीरुद्दीन मुहम्मद बाबर" था। बाबर का पिता 'उमर शेख़ मिर्ज़ा', 'फ़रग़ना' का शासक था। इस युद्ध में लूटे गए धन को बाबर ने अपने सैनिक अधिकारियों, नौकरों एवं सगे सम्बन्धियों में बाँट दिया। सम्भवत: इस बँटवारे में [[हुमायूँ]] को वह [[कोहिनूर हीरा]] प्राप्त हुआ, जिसे [[ग्वालियर]] नरेश ‘राजा विक्रमजीत’ से छीना गया था। इस हीरे की क़ीमत के बारे में यह माना जाता है कि इसके मूल्य द्वारा पूरे संसार का आधे दिन का ख़र्च पूरा किया जा सकता था। भारत विजय के ही उपलक्ष्य में बाबर ने प्रत्येक [[काबुल]] निवासी को एक-एक [[चाँदी]] का सिक्का उपहार स्वरूप प्रदान किया था। अपनी इसी उदारता के कारण उसे ‘कलन्दर’ की उपाधि दी गई थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[बाबर]], [[पानीपत युद्ध प्रथम]]
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|| 1526 ई. में [[पानीपत का प्रथम युद्ध|पानीपत के प्रथम युद्ध]] में [[दिल्ली सल्तनत]] के अंतिम वंश ([[लोदी वंश]]) के सुल्तान [[इब्राहीम लोदी]] की पराजय के साथ ही [[भारत]] में [[मुग़ल वंश]] की स्थापना हो गई। इस वंश का संस्थापक "[[बाबर|ज़हीरुद्दीन मुहम्मद बाबर]]" था। बाबर का पिता 'उमर शेख़ मिर्ज़ा' [[फ़रग़ना]] का शासक था। इस युद्ध में लूटे गए धन को बाबर ने अपने सैनिक अधिकारियों, नौकरों एवं सगे सम्बन्धियों में बाँट दिया। सम्भवत: इस बँटवारे में [[हुमायूँ]] को वह [[कोहिनूर हीरा]] प्राप्त हुआ, जिसे [[ग्वालियर]] नरेश राजा विक्रमजीत से छीना गया था। इस हीरे की क़ीमत के बारे में यह माना जाता है कि इसके मूल्य द्वारा पूरे संसार का आधे दिन का ख़र्च पूरा किया जा सकता था। भारत विजय के ही उपलक्ष्य में बाबर ने प्रत्येक [[काबुल]] निवासी को एक-एक [[चाँदी]] का सिक्का उपहार स्वरूप प्रदान किया था। अपनी इसी उदारता के कारण उसे ‘कलन्दर’ की उपाधि दी गई थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[बाबर]], [[पानीपत युद्ध प्रथम]]
  
{किस मुग़ल शासक ने [[भारत]] की वनस्पति और प्राणी जगत, [[ऋतु|ऋतुओं]] और [[फल|फलों]] का विशद विवरण अपनी दैनन्दिनी (डायरी) में दिया है?
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{किस [[मुग़ल]] शासक ने [[भारत]] की वनस्पति और प्राणी जगत, [[ऋतु|ऋतुओं]] और [[फल|फलों]] का विशद विवरण अपनी दैनन्दिनी (डायरी) में दिया है?
 
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-[[अकबर]]
 
-[[अकबर]]
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+[[बाबर]]
 
+[[बाबर]]
 
-[[औरंगज़ेब]]
 
-[[औरंगज़ेब]]
||1526 ई. में [[पानीपत]] के प्रथम युद्ध में [[दिल्ली सल्तनत]] के अंतिम वंश ([[लोदी वंश]]) के सुल्तान [[इब्राहीम लोदी]] की पराजय के साथ ही [[भारत]] में [[मुग़ल वंश]] की स्थापना हो गई। इस वंश का संस्थापक "ज़हीरुद्दीन मुहम्मद बाबर" था। बाबर का पिता 'उमर शेख़ मिर्ज़ा', 'फ़रग़ना' का शासक था, जिसकी मृत्यु के बाद बाबर राज्य का वास्तविक अधिकारी बना। पारिवारिक कठिनाईयों के कारण वह मध्य [[एशिया]] के अपने पैतृक राज्य पर शासन नहीं कर सका। उसने केवल 22 वर्ष की आयु में [[काबुल]] पर अधिकार कर [[अफ़ग़ानिस्तान]] में राज्य क़ायम किया था। वह 22 वर्ष तक काबुल का शासक रहा। उस काल में उसने अपने पूर्वजों के राज्य को वापिस पाने की कई बार कोशिश की, पर सफल नहीं हो सका।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[बाबर]], [[बाबरनामा]]
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||'बाबर' योग्य शासक होने के साथ ही तुर्की भाषा का विद्वान् भी था। उसने तुर्की भाषा में अपनी आत्मकथा ‘[[बाबरनामा]]’ की रचना की, जिसका [[फ़ारसी भाषा]] में अनुवाद बाद में [[रहीम|अब्दुल रहीम ख़ानख़ाना]] ने किया। लीडेन एवं अर्सकिन ने 1826 ई. में 'बाबरनामा' का [[अंग्रेज़ी|अंग्रेज़ी भाषा]] में अनुवाद किया। बेवरिज ने इसका एक संशोधित अंग्रेज़ी संस्करण निकाला। इसके अतिरिक्त [[बाबर]] को ‘मुबइयान’ नामक पद्य शैली का जन्मदाता भी माना जाता है। इसके अतिरिक्त बाबर ने 'खत-ए-बाबरी' नामक एक लिपि का भी अविष्कार किया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[बाबर]], [[बाबरनामा]]
  
 
{'दीवान-ए-वजीरात-ए-कुल' नामक नये पद की स्थापना किसने की?
 
{'दीवान-ए-वजीरात-ए-कुल' नामक नये पद की स्थापना किसने की?
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-[[हुमायूँ]]  
 
-[[हुमायूँ]]  
 
-[[शाहजहाँ]]  
 
-[[शाहजहाँ]]  
||[[अकबर|जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर]] [[भारत]] का महानतम [[मुग़ल]] शंहशाह (शासनकाल 1556 - 1605 ई.) था, जिसने मुग़ल शक्ति का भारतीय उपमहाद्वीप के अधिकांश हिस्सों में विस्तार किया। अपने साम्राज्य की एकता बनाए रखने के लिए अकबर द्वारा ऐसी नीतियाँ अपनाई गईं, जिनसे ग़ैर मुसलमानों की राजभक्ति जीती जा सके। [[भारत का इतिहास|भारत के इतिहास]] में आज अकबर का नाम काफ़ी प्रसिद्ध है। उसने अपने शासनकाल में सभी धर्मों का सम्मान किया था, सभी जाति-वर्गों के लोगों को एक समान माना और उनसे अपने मित्रता के सम्बन्ध स्थापित किये। अकबर ने अपने शासनकाल में सारे भारत को एक साम्राज्य के अंतर्गत लाने का प्रयास किया, जिसमें वह काफ़ी हद तक सफल भी रहा।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[अकबर]]
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||[[अकबर|जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर]] [[भारत]] का महानतम [[मुग़ल]] शंहशाह (शासनकाल 1556-1605 ई.) था, जिसने मुग़ल शक्ति का भारतीय उपमहाद्वीप के अधिकांश हिस्सों में विस्तार किया। अपने [[मुग़ल साम्राज्य|साम्राज्य]] की एकता बनाए रखने के लिए अकबर द्वारा ऐसी नीतियाँ अपनाई गईं, जिनसे ग़ैर मुसलमानों की राजभक्ति जीती जा सके। [[भारत का इतिहास|भारत के इतिहास]] में आज अकबर का नाम काफ़ी प्रसिद्ध है। उसने अपने शासनकाल में सभी धर्मों का सम्मान किया था, सभी जाति-वर्गों के लोगों को एक समान माना और उनसे अपने मित्रता के सम्बन्ध स्थापित किये। अकबर ने अपने शासनकाल में सारे भारत को एक साम्राज्य के अंतर्गत लाने का प्रयास किया, जिसमें वह काफ़ी हद तक सफल भी रहा।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[अकबर]]
  
{भारतीय राष्ट्रीय व्यापार संघ कांग्रेस (Indian National Trade Union Congrerss- INTUC) की स्थापना किसने की?
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{'भारतीय राष्ट्रीय व्यापार संघ कांग्रेस' (Indian National Trade Union Congrerss- INTUC) की स्थापना किसने की?
 
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-एन. एम. लोखाण्डे
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-[[मनीभाई देसाई]]
 
-[[एन. एम. जोशी]]
 
-[[एन. एम. जोशी]]
 
-[[महात्मा गाँधी]]
 
-[[महात्मा गाँधी]]
 
+[[वल्लभभाई पटेल]]
 
+[[वल्लभभाई पटेल]]
||[[सरदार पटेल]] प्रसिद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानी तथा स्वतंत्र [[भारत]] के प्रथम गृहमंत्री थे। वे 'सरदार पटेल' के उपनाम से प्रसिद्ध हैं। सरदार पटेल भारतीय बैरिस्टर और प्रसिद्ध राजनेता थे। भारत के [[स्वाधीनता संग्राम]] के दौरान '[[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]]' के नेताओं में से वे एक थे। [[1947]] में भारत की आज़ादी के बाद पहले तीन वर्ष वे [[उप प्रधानमंत्री]], गृहमंत्री, सूचना मंत्री और राज्य मंत्री रहे थे। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद क़रीब पाँच सौ से भी ज़्यादा देसी रियासतों का एकीकरण एक सबसे बड़ी समस्या थी। कुशल कूटनीति और जरूरत पड़ने पर सैन्य हस्तक्षेप के जरिए सरदार पटेल ने उन अधिकांश रियासतों को [[तिरंगा|तिरंगे]] के तले लाने में सफलता प्राप्त की। इसी उपलब्धि के चलते उन्हें '''लौह पुरुष''' या '''भारत का बिस्मार्क''' की उपाधि से सम्मानित किया गया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[सरदार पटेल]]
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||[[सरदार पटेल]] प्रसिद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानी तथा स्वतंत्र [[भारत]] के प्रथम गृहमंत्री थे। वे 'सरदार पटेल' के उपनाम से प्रसिद्ध हैं। सरदार पटेल भारतीय बैरिस्टर और प्रसिद्ध राजनेता थे। भारत के [[स्वाधीनता संग्राम]] के दौरान '[[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]]' के नेताओं में से वे एक थे। [[1947]] में भारत की आज़ादी के बाद पहले तीन वर्ष वे [[उप प्रधानमंत्री]], गृहमंत्री, सूचना मंत्री और राज्य मंत्री रहे थे। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद क़रीब पाँच सौ से भी ज़्यादा देसी रियासतों का एकीकरण एक सबसे बड़ी समस्या थी। कुशल कूटनीति और ज़रूरत पड़ने पर सैन्य हस्तक्षेप के जरिए सरदार पटेल ने उन अधिकांश रियासतों को [[तिरंगा|तिरंगे]] के तले लाने में सफलता प्राप्त की। इसी उपलब्धि के चलते उन्हें '''लौह पुरुष''' या '''भारत का बिस्मार्क''' की उपाधि से सम्मानित किया गया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सरदार पटेल]]
 
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Latest revision as of 08:27, 2 April 2018

samany jnan prashnottari
rajyoan ke samany jnan


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  2. REDIRECTsaancha:nila band itihas praangan, itihas kosh, aitihasik sthan kosh

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2 kis yuddh mean jitane ke uparaant babar ne khazane ka muanh amiroan, sange-sanbandhiyoan adi ke lie khol diya aur is udarata ke lie use 'kalandar' ki upadhi di gee?

panipat ka pratham yuddh (1526 ee.)
khanava ka yuddh (1527 ee.)
chanderi ka yuddh (1528 ee.)
ghaghara ka yuddh (1529 ee.)

3 kis mugal shasak ne bharat ki vanaspati aur prani jagat, rrituoan aur phaloan ka vishad vivaran apani dainandini (dayari) mean diya hai?

akabar
jahaangir
babar
aurangazeb

4 'divan-e-vajirat-e-kul' namak naye pad ki sthapana kisane ki?

babar
akabar
humayooan
shahajahaan

5 'bharatiy rashtriy vyapar sangh kaangres' (Indian National Trade Union Congrerss- INTUC) ki sthapana kisane ki?

manibhaee desaee
en. em. joshi
mahatma gaandhi
vallabhabhaee patel

panne par jaean
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samany jnan prashnottari
rajyoan ke samany jnan